NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कार्टून क्लिक : मैं पीता नहीं हूं, पिलाई गई है...
शराब की दुकानें खुलते ही ख़रीदारों की लंबी-लंबी लाइनें लग गईं, मारामारी मच गई। अब पीने वाले चहक रहे हैं तो बहुत लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं कि राज्य सरकारें अपने राजस्व के लिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं।
आज का कार्टून
05 May 2020
कार्टून क्लिक

लॉकडाउन-3.O में थोड़ी ढील मिलते ही, सबसे पहले शराब की दुकानें खुली हैं, क्योंकि राज्य सरकारों को मिलने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री से ही आता है। इसलिए ये दोनों चीज़ें महंगी भी हुई हैं। अब दुकान खुली है तो पीने वाले भी जुटेंगे ही। संकेत मिलते ही दो दिन पहले से ही मीम बनने लगे थे कि “जिन्हें हम बेवड़ा समझते थे वो तो इकॉनमी वॉरियर्स निकले!”...आदि, आदि। इसलिए दुकानें खुलते ही ख़रीदारों की लंबी-लंबी लाइनें लग गईं, मारामारी मच गई। अब पीने वाले चहक रहे हैं तो बहुत लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं कि राज्य सरकारें अपने राजस्व के लिए लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही हैं। लेकिन लोग भी कहां मानते हैं...

सच, ये कैसा विरोधाभास है कि एक तरफ़ सरकारें शराब के ख़िलाफ़ टीवी पर बड़े-बड़े विज्ञापन देती हैं, किसी फिल्म में भी ऐसा कोई दृश्य आता है तो तुरंत उसके साथ नीचे लिखा आता कि ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और दूसरी तरफ़ लॉकडाउन में ढील देते हुए सबसे पहला फ़ैसला शराब की दुकाने खोलने का ही करती हैं।

cartoon click
cartoon
Lockdown 3.0
Liquor shops
Liquor shop open
Social Distancing
Central Government
State Government

Related Stories

कार्टून क्लिक: सरकार की आलोचना ज़रूरी लेकिन...

दिल्ली: बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच अंतिम संस्कार के लिए किया जा रहा है कुत्तों के श्मशान का इस्तेमाल

कार्टून क्लिक: संकट आते ही देश छोड़ने लगे धनवान

कोरोना ने खोली व्यवस्थाओं की कलई , ज़िंदा में इलाज को मोहताज़, मरने पर दफ़्न होने को 2 गज़ ज़मीन नहीं

कार्टून क्लिक: नए स्ट्रेन के लिए नए साल में कोई नया टास्क साहेब!

भूख और अकेलेपन का होता है दिमाग़ पर एक जैसा प्रभाव : शोध

कोविड के तीन प्रमुख देशों-भारत, अमेरिका और ब्राज़ील में क्या आम है?

कार्टून क्लिक : बाक़ी कुछ बचा तो महंगाई मार गई

कार्टून क्लिक: कोरोना पर नरेंद्र मोदी सरकार का दावा!

...यही है 'आपदा में अवसर'!


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License