NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अमेरिका
मजबूत गठजोड़ की ओर अग्रसर होते चीन और रूस
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने उच्च-स्तरीय “स्रोत” के हवाले से खुलासा किया है कि बीजिंग का 2022 के शीतकालीन ओलंपिक में अमेरिकी एवं पश्चिमी राजनेताओं को आमंत्रित करने का कोई इरादा नहीं है।
एम. के. भद्रकुमार
02 Dec 2021
putin
30 नवंबर, 2021 को मास्को में ‘रूस कालिंग! इन्वेस्टमेंट फोरम’ में चीन-रुसी साझेदारी पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने उच्च-स्तरीय “स्रोत” के हवाले से खुलासा किया है कि बीजिंग का 4 से 20 फरवरी तक चलने वाले 2022 शीतकालीन ओलिंपिक खेलों में अमेरिकी और पश्चिमी राजनेताओं को आमंत्रित करने का कोई इरादा नहीं है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के खेलों के राजनयिक बहिष्कार पर विचार करने की व्यंग्योक्ति के बाद सामने आया है।

व्हाइट हाउस ने स्पष्ट रूप से महसूस कर लिया था कि बिडेन के बीजिंग की मेहमान सूची में स्थान पाने की संभावना न के बराबर लग रही है। विराम तास ने 16 सितंबर को दुशांबे में रुसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ हुई बैठक के बाद यह कहते हुए उद्धृत किया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से खेलों के निमंत्रण को “बेहद ख़ुशी के साथ” स्वीकारा है।

बिडेन ने इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए दो महीने का और इंतजार किया कि वे शी के मेजबानों की सूची में नहीं हैं। ओलिंपिक नियमों के हिसाब से राजनेताओं को खेलों में भाग लेने के लिए, सबसे पहले उन्हें मेजबान देश द्वारा आमंत्रित किया जाना चाहिए, इसके बाद जाकर अंतर्राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति इसका अनुमोदन करती है।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि “मेजबान देश होने के नाते, चीन के पास ऐसे राजनेताओं को आमंत्रित करने की कोई योजना नहीं है जो बीजिंग खेलों के “बहिष्कार” की बात को हवा दे रहे हैं।” इसने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा है कि बिडेन के बहिष्कार करने की बात “खुद को छलावा देने से अधिक कुछ नहीं है।”

अमेरिका में महामारी की स्थितियों के अप्रत्यक्ष सन्दर्भ में ग्लोबल टाइम्स ने पाया है कि, “वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए, बड़ी संख्या में विदेशी मेहमानों को आमंत्रित करना उचित नहीं होगा, जिसे लोग व्यवहारिक ज्ञान का उपयोग कर आसानी से समझ सकते हैं।”

यह अनादर 15 नवंबर को शी जिनपिंग के साथ बिडेन की वर्चुअल बैठक के मुश्किल से एक पखवाड़े बाद ही आ गया है। हालाँकि यदि इसे वृहद परिप्रेक्ष्य में देखें तो जिस प्रकार से बिडेन प्रशासन द्वारा हाल ही में चीन के मूल हितों की अवहेलना कर बीजिंग पर ताना मारा जा रहा था, उसे देखते हुए यह असाधारण प्रकरण अपनी जगह पर सटीक बैठता है।

वहीं दूसरी तरफ, शी की तरफ से अगस्त में एक फोन कॉल में व्यक्तिगत रूप से खेलों के लिए निमंत्रित करके पुतिन के प्रति दिखाया गया असाधारण भाव दोनों देशों की “नए युग के लिए समन्वय की व्यापक रणनीतिक साझेदारी”की उच्च गुणवत्ता के प्रमाण के तौर पर है।

30 नवंबर को चीन और रूस के सरकारों के प्रमुखों के बीच में नियमित चलने वाली द्विपक्षीय वार्ता को पिन करते हुए इस विषय पर एक लंबी टिप्पणी में, ग्लोबल टाइम्स ने दोनों सैन्य बलों के बीच में तेजी से बढ़ते और गहराते रिश्तों का विशेष तौर पर उल्लेख किया है। इसने विशेष तौर पर इस बात का जिक्र किया है, “सैन्य सहयोग के क्षेत्र में, हाल ही में दोनों देशों ने प्रगाढ़ रिश्तों के लिए एक रोडमैप पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके बारे में सैन्य विशेषज्ञों का मत है कि यह रूस और चीन के रणनीतिक स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा पर समान हितों और विचारों को दर्शाता है, विशेष तौर पर प्रशांत क्षेत्र के बारे में।”

विशेषज्ञों का कहना है कि, “रक्षा क्षेत्र में इस प्रकार की सहयोगात्मक वृद्धि को रूस पर पश्चिम के बढ़ते दबाव और चीन को अमेरिका और उसके सहयोगियों की तरफ से मिल रहे खतरनाक संकेतों की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है।” 

गुरूवार को एक संवावदाता सम्मेलन में राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा कि चीनी सेना अपने रुसी समकक्ष के साथ इससे भी बेहतर संबंध की उम्मीद रखती है, और विश्व शांति एवं स्थिरता की रक्षा के लिए इससे भी बड़ी भूमिका को निभाने के लिए तत्पर है।

ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित उपरोक्त दोनों खबरें उस दिन सामने आई हैं जब क्रेमलिन ने इस बात के संकेत दिए कि रूस-चीन रणनीतिक संबंध एक ऐतिहासिक छलांग की दहलीज पर खड़े हैं। परसों अलग-अलग टिप्पणियों में पुतिन और रुसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन ने बीजिंग के साथ वास्तविक गठबंधन के लिए मास्को की इच्छा का संकेत दिया था।

पुतिन ने चीन की “बढती रक्षा क्षमता का सकारात्मक तौर पर मूल्यांकन करते हुए कहा है कि (रूस) चीन के साथ सर्वोच्च स्तर के संबंधों का लुत्फ़ ले रहा है और अपने स्वंय के सैन्य बलों को चाक-चौबंद कर रहा है।” अपने खास सूक्ष्म अंदाज में, पुतिन ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के बीच मौजूदा गठबंधन के साथ एक अर्थपूर्ण तुलना कर डाली।

इसके साथ ही, कल दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बातचीत के दौरान मिशुस्तिन ने प्रधानमंत्री ली केकियांग के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि प्रतिबंधों के मौजूदा “जटिल बाहरी वातावरण”, “गैर-दोस्ताना कार्यवाहियों”, “अनुचित प्रतिस्पर्धा” एवं “अवैधानिक एकतरफा प्रतिबंधों के साथ-साथ राजनीतिक एवं आर्थिक दबाव” के मद्देनजर, रूस और चीन को भी अपने संयुक्त विकास के लिए “एकजुट” होकर काम करना चाहिए।

मिशुस्तिन ने मास्को के नेतृत्व वाले यूरेशियाई आर्थिक संघ और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के बीच योजनाओं की एक अंतःक्रिया की ओर इशारा किया है। मिशुस्तिन ने ली से कहा, “यूरेशियाई जमीन में अंतरसंबंध को मजबूत करने के लिए यह महत्वपूर्ण है। इससे रूस और चीन की आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और वृहत्तर यूरेशियाई साझेदारी के गठन के लिए एक ठोस आधार को तैयार किया जा सकता है।” इसके साथ ही उन्होंने इस बात को दुहराया कि पुतिन ने पहले भी इस विचार को पेश किया था।

निश्चित तौर पर फरवरी में पुतिन की बीजिंग यात्रा में पहले से ही उच्च स्तर वाली चीनी-रुसी साझेदारी में और भी उंचाई पर ले जाने का वादा नजर आता है। दोनों शक्तियों के बीच प्रगाढ़ सहयोग से समन्वय एवं संसाधनों के सक्रिय पूलिंग के लिए संक्रमण काल चल रहा है ताकि न सिर्फ बिडेन प्रशासन की रणनीतियों में बढ़ती उग्रता के समक्ष अपने मूल हितों के बचाव के लिए एक दूसरे का समर्थन किया जाए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी क्षेत्रीय गठबंधनों के नेटवर्क को खड़ा किया जा सकें।

पेंटागन के 2021 ग्लोबल पोस्चर रिव्यु में, जिसे सोमवार को घोषित किया गया था, ने एक ऐसी वैश्विक मुद्रा और “वैश्विक प्रतिक्रिया क्षमता” को विकसित करने के इरादे के संकेत दिए हैं जो न सिर्फ इंडो-पैसेफिक और यूरोप को ही अपने में शामिल करता है बल्कि मध्य पूर्व, अफ्रीका और लातिनी अमेरिका में भी अपनी “स्थायी मुद्रा जरूरतों” को शामिल करता है। यह पूर्व में बिडेन द्वारा स्वीकार किये गए शांतिवादी एजेंडे से कोसों दूर है जिसका उन्होंने अपने राष्ट्रपति पद की शुरुआत में जोरशोर से दावा किया था कि कूटनीति अब अमेरिकी विदेश नीति के “केंद्र में वापस आ गई” है।

यहाँ पर गौरतलब है कि पुतिन की कल की टिप्पणी में रूस और चीन के बीच तीसरे देश के साथ सहयोग की बात को उनकी साझेदारी के एक प्रमुख पथप्रदर्शक के तौर पर भी छुआ गया था। पुतिन के मुताबिक “चीन के साथ हमारे सहयोग के कई क्षेत्र हैं। उनमें से एक तीसरे देशों में हमारे काम के संबंध में है। फिलहाल यह अच्छे से चल रहा है लेकिन इसे आगे और भी बढ़ाया जा सकता है। क्यों? क्योंकि हम दोनों ही मोटे तौर पर समान दृष्टिकोण और सिद्धांतों को साझा करते हैं।”

पुतिन ने इस बात पर जोर देकर कहा कि मास्को बीजिंग के व्यापार मार्गों के वैश्विक बुनियादी ढाँचे को खड़ा करने के प्रयासों का समर्थन करता है। पुतिन ने कहा “हम अपने चीनी मित्रों के वन बेल्ट वन रोड रणनीति पर आधारित प्रयासों का समर्थन करते हैं।”

दिलचस्प बात यह है कि पुतिन ने पश्चिम एशिया को संभावित तौर पर रूस-चीन समन्वय के रंगमंच के तौर पर बताया है। वास्तव में, पुतिन ने इस स्वर में इसलिए बात की है क्योंकि चीनी-रुसी समन्वय एक ऐसे सामान्य रुख में स्थानांतरित हो चुका है जो अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाए जाने की ईरानी मांग का दृढ़ता से समर्थन करता है और वियना वार्ता की आशाजनक शुरुआत के प्रति आशावान है।

कुलमिलाकर बात यह है कि राजनयिक अभ्यास के किसी भी लिहाज से, पिछले हफ्ते जिस प्रकार से वाशिंगटन में रुसी और चीनी राजदूतों, अनातोली अन्तोनोव और किन गांग द्वारा एक प्रभावशाली अमेरिकी पत्रिका में एक जोरदार राय का सह-लेखन किया गया, उसमें इनके द्वारा बिडेन के लोकतंत्र के शिखर सम्मेलन को लताड़ लगाते हुए घोषणा की कि, चीनी-रुसी गठबंधन पहले से ही पोटोमैक नदी पर नौका विहार कर रहा है। दुःखद तथ्य यह है कि, राष्ट्रीय हित का आदेश था कि अपने वेबसाइट से इस लेख को दफा करो! 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

Russia, China Poised to Forge Alliance

Russia
China
beijing
Joe Biden
winter olympics
vladimir putin
Xi Jinping
Covid-19 Pandemic
United States

Related Stories

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

गुटनिरपेक्षता आर्थिक रूप से कम विकसित देशों की एक फ़ौरी ज़रूरत

डोनबास में हार के बाद अमेरिकी कहानी ज़िंदा नहीं रहेगी 

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

पश्चिम बनाम रूस मसले पर भारत की दुविधा

जम्मू-कश्मीर : रणनीतिक ज़ोजिला टनल के 2024 तक रक्षा मंत्रालय के इस्तेमाल के लिए तैयार होने की संभावना

भारत को अब क्वाड छोड़ देना चाहिए! 

रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध का भारत के आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

यूक्रेन संकट : वतन वापसी की जद्दोजहद करते छात्र की आपबीती

यूक्रेन संकट, भारतीय छात्र और मानवीय सहायता


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License