NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
अर्थव्यवस्था
दुग्ध उत्पादन में अग्रणी सोलापुर के डेयरी किसानों पर चोट, हर दिन एक करोड़ का नुकसान
ग्रामीण अर्थव्यवस्था : महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में प्रतिदिन 16 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान यहां के दूध उत्पादक 20 रुपये प्रति लीटर की दर पर दूध बेचना पड़ रहा है। 
शिरीष खरे
23 May 2020
डेयरी किसानों पर चोट

पुणे। कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार मज़दूरों के अलावा कृषि या कृषि आधारित अन्य व्यवसायों पर पड़ी है।

यही वजह है कि दुग्ध उत्पादन में अग्रणी महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के दुग्ध उत्पादकों की मुसीबत बढ़ गई है। व्यवसायिक क्षेत्रों में दूध की खपत कम होने से इसकी कीमत घट गई है। इसके कारण दुग्ध उत्पादकों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।

हालत यह है कि अकेले सोलापुर जिले में दुग्ध कारोबार मंद पड़ने से दुग्ध उत्पादकों को हर दिन एक करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

गत 24 मार्च लॉकडाउन के पहले सोलापुर में दूध की कीमत 32 रुपये प्रति लीटर थी। लेकिन, लॉकडाउन की घोषणा के बाद दूध की दर घटकर 20 से 22 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है।

बता दें कि अकेले सोलापुर जिले में प्रतिदिन 12 से 16 लाख लीटर दूध संकलन होता है। इसमें से लगभग 10 लाख लीटर दूध गाय का होता है।

जाहिर है कि लॉकडाउन के कारण दूध की कीमत सामान्यत: 10 से 12 रुपये प्रति लीटर कम हो गई है।

वहीं, सोलापुर जिला दुग्ध संघ के मुताबिक यदि गायों द्वारा उत्पादित 10 लाख लीटर को ध्यान में रखते हुए प्रति लीटर 10 रुपये के हिसाब से भी घाटे की गणना करें तो इस जिले के दुग्ध उत्पादकों को न्यूनतम हर दिन एक करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सोलापुर जिले के एक दुग्ध उत्पादक राजू नरगुंदे बताते हैं, 'पशुओं की बढ़ती कीमत, पशु खाद्य पदार्थों पर महंगाई की मार और चारे की कमी से हम वैसे ही परेशान हैं। अब इस हालत में आप कह सकते हैं कि हमारे लिए ये सबसे बुरे दिन हैं। इसी तरह कुछ और दिन रहे तो जीना दूभर हो जाएगा, क्योंकि हर चीज के दाम बढ़ेंगे। इसलिए, गायों को खिलाना तो दूर हमें ही खाने के लाले पड़ जाएंगे।'

IMG_20200506_085212.jpg

सोलापुर जिला दुग्ध संघ के प्रबंध संचालक सतीश मुले के अनुसार, 'राज्य सरकार ने सोलापुर जिला दुग्ध संघ से प्रतिदिन 20 हजार लीटर दूध खरीदने का कोटा निर्धारित किया है। इस वजह से दुग्ध उत्पादकों को बड़ी राहत मिल रही है। लेकिन, यदि सरकार समय पर भुगतान भी करें तो ऐसी स्थिति में दुग्ध उत्पादकों को बड़ी मदद मिल सकती है।'

दूसरी तरफ, इस बारे में महाराष्ट्र राज्य दुग्ध विकास निगम दूध की खपत के लिए विशेष उप-योजना बनाने पर विचार कर रही है।

सोलापुर जिले में दुग्ध विकास अधिकारी वी डी पाटिल बताते हैं कि महानंद (महाराष्ट्र राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ मर्यादित) द्वारा सोलापुर जिले से सोलपुर दुग्ध संघ के अलावा शिवामृत सहकारी दुग्ध संघ और संगोला तहसील सहकारी दुग्ध संघ से भी दूध खरीद रहा है।

वे कहते हैं, 'अतिरिक्त दूध की खरीद के मामले में और दूध उत्पादकों को हो रहे नुकसान का समाधान निकालने के लिए सरकारी स्तर पर जो भी उचित कदम उठाने होंगे, हम उठाए जाएंगे।'

दूसरी तरफ, पिछले दिनों राज्य में दूध की मांग में कमी को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने दुग्ध उत्पादकों को भारी घाटे से उबारने के लिए 127 करोड़ रुपये खर्च करके अगले दो महीने तक कुल 4 करोड़ लीटर दूध का मिल्क पाउडर बनाने का निर्णय लिया है।

राज्य सरकार के इस निर्णय को महानंद लागू कर रहा है। इसके तहत विभिन्न समितियों के माध्यम से संग्रहित दूध से दुग्ध उत्पादकों को 25 रुपये प्रति लीटर की दर से भुगतान हो रहा है।

दुग्ध उत्पादन से जुड़े कारोबारी बताते हैं कि महाराष्ट्र में 17 लाख लीटर दूध की मांग गिर गई है। वजह, देश में कोरोना वायरस की सबसे ज्यादा मार महाराष्ट्र राज्य पर ही पड़ी है। इसलिए, राज्य सरकार लॉकडाउन का बड़ी सख्ती से पालन कर रही है। लिहाजा, बंद के असर के कारण दूध खरीद केंद्रों से दूध की मांग में कमी आई है।

यही वजह है कि भारत में लॉकडाउन की घोषणा के बाद दूध उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य महाराष्ट्र में भी पिछले डेढ़ महीने के दौरान दूध का उत्पादन तो जारी है। लेकिन, दूध की खपत कम हो गई है। क्योंकि होटल, रेस्टोरेंट और चाय की दुकानें बंद हैं। इसी तरह, दूध से तैयार होने वाले अन्य खाद्य पदार्थों को बेचने वाली दुकानें भी बंद हैं। इसके अलावा, बड़ी संख्या में घरेलू उपयोग के लिए दूध पैकेट खरीदने वाले प्रवासी मजदूर राज्य के बड़े शहरों से अपनी घरों की तरफ लौट रहे हैं। इससे दूध की खुदरा और थोक बिक्री पर बुरा असर पड़ा रहा है।

Lockdown
Rural Economy
Pune
Dairy farmers
Milk Demand
Maharastra
solapur

Related Stories

कभी सिख गुरुओं के लिए औज़ार बनाने वाला सिकलीगर समाज आज अपराधियों का जीवन जीने को मजबूर है

महाराष्ट्र: फडणवीस के खिलाफ याचिकाएं दाखिल करने वाले वकील के आवास पर ईडी का छापा

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

जब तक भारत समावेशी रास्ता नहीं अपनाएगा तब तक आर्थिक रिकवरी एक मिथक बनी रहेगी

25 मार्च, 2020 - लॉकडाउन फ़ाइल्स

ख़बरों के आगे पीछे: यूक्रेन में फँसे छात्रों से लेकर, तमिलनाडु में हुए विपक्ष के जमावड़े तक..

लॉकडाउन में लड़कियां हुई शिक्षा से दूर, 67% नहीं ले पाईं ऑनलाइन क्लास : रिपोर्ट

ग्रामीण संकट को देखते हुए भारतीय कॉरपोरेट का मनरेगा में भारी धन आवंटन का आह्वान 

शिक्षा बजट: डिजिटल डिवाइड से शिक्षा तक पहुँच, उसकी गुणवत्ता दूभर

यूपी: महामारी ने बुनकरों किया तबाह, छिने रोज़गार, सरकार से नहीं मिली कोई मदद! 


बाकी खबरें

  • MGNREGA
    सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’
    27 Apr 2022
    मनरेगा में बनाये गए तलाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम लखनऊ से सटे कुछ गाँवों में पहुँचे तो ‘आदर्श’ के नाम पर तालाबों की स्थिति कुछ और ही बयाँ कर रही थी।
  • kashmir
    सुहैल भट्ट
    कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं
    27 Apr 2022
    सरपंचों का आरोप है कि उग्रवादी हमलों ने पंचायती सिस्टम को अपंग कर दिया है क्योंकि वे ग्राम सभाएं करने में लाचार हो गए हैं, जो कि जमीनी स्तर पर लोगों की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए…
  • THUMBNAIL
    विजय विनीत
    बीएचयू: अंबेडकर जयंती मनाने वाले छात्रों पर लगातार हमले, लेकिन पुलिस और कुलपति ख़ामोश!
    27 Apr 2022
    "जाति-पात तोड़ने का नारा दे रहे जनवादी प्रगतिशील छात्रों पर मनुवादियों का हमला इस बात की पुष्टि कर रहा है कि समाज को विशेष ध्यान देने और मज़बूती के साथ लामबंद होने की ज़रूरत है।"
  • सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    पीपल्स डिस्पैच
    सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    रक्षा पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाले 10 देशों में से 4 नाटो के सदस्य हैं। 2021 में उन्होंने कुल वैश्विक खर्च का लगभग आधा हिस्सा खर्च किया।
  • picture
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
    27 Apr 2022
    अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License