NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
दिल्ली: डीटीसी कर्मचारियों का लेबर कोड्स के विरुद्ध व किसानों के समर्थन में प्रदर्शन
कर्मचारियों ने ऑर्डनेन्स फैक्ट्रियों व रेल कर्मचारियों के आन्दोलनों के साथ भी एकजुटता व्यक्त की और डीटीसी कर्मचारियों के बीच मजदूर-किसान विरोधी विधेयकों और निजीकरण के ख़िलाफ़ व्यापक प्रचार-प्रसार करने का भी निर्णय लिया गया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Sep 2020
डीटीसी कर्मचारियों का लेबर कोड्स के विरुद्ध व किसानों के समर्थन में प्रदर्शन

दिल्ली : ऐक्टू से सम्बद्ध ‘डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर’ ने कल शुक्रवार को दिल्ली में इन्द्रप्रस्थ स्थित डीटीसी मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें डीटीसी में कार्यरत कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। दिल्ली समेत देश के अनेक हिस्सों में मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे श्रम संहिता कानूनों का जमकर विरोध हो रहा है। इसी कड़ी में डीटीसी कर्मचारियों ने भी एक सुर में ये बात कही कि मोदी सरकार जिस प्रकार से निजीकरण की नीति को बढ़ावा दे रही है उससे ये साफ़ है कि शायद ही देश में कोई सरकारी उपक्रम निजीकरण की मार से बच पाएगा।

प्रदर्शन में कर्मचारियों ने लॉक-डाउन के दौरान डीटीसी कर्मचारियों के वेतन में कटौती, डीपो स्तर पर हो रही मनमानी, कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की लम्बे समय से लंबित मांगें इत्यादि को लेकर भी बात उठाई गई।

डीटीसी कर्मचारियों ने जलाई श्रम संहिता विधेयकों की प्रतियाँ

प्रदर्शन के दौरान डीटीसी कर्मचारियों ने संसद में पारित श्रम संहिता विधेयकों की प्रतियाँ जलाई।

मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे किसान-मजदूर विरोधी कानूनों को लेकर भी कर्मचारियों ने अपना रोष व्यक्त किया और कहा कि आगे हमारे पास संघर्ष के अलावा और कोई उपाय नहीं। संघ-भाजपा की ये सरकार हमसे यूनियन बनाने और हड़ताल करने तक के अधिकार छीन रही है।

IMG-20200925-WA0067.jpg

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के महासचिव राजेश ने कहा कि, “बाबासाहेब हमें संविधान और श्रम क़ानून देकर गए थे, मोदी सरकार आज संविधान और श्रम क़ानून सब पर हमले तेज़ कर रही है। इन नए कानूनों के चलते परमानेंट व कॉन्ट्रैक्ट सभी कर्मचारियों को भारी क्षति पहुंचेगी। दिल्ली सरकार भी लगातार मजदूरों के मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है, दिल्ली के परिवहन मंत्री जो कि डीटीसी के चेयरमैन भी हैं, कर्मचारियों की एक भी मांग सुनने को तैयार नहीं।"

आगे उन्होंने कहा कि "केजरीवाल सरकार द्वारा डीटीसी को खत्म कर दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को निजी हाथों में दिया जा रहा है। पूरे देश में किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं, संसद में बहस की कोई जगह नहीं बची – हमें यहाँ से अपने आन्दोलन को आगे बढ़ाने का रास्ता खोजना ही होगा।”

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के अध्यक्ष संतोष राय ने अपने संबोधन में कहा कि देश के मजदूरों को धर्म-सम्प्रदाय के नाम पर बांटकर लगातार निजीकरण और गुलामी का राज लाने की कोशिश की जा रही है। डीटीसी समेत कई सरकारी विभागों व उपक्रमों में लगातार कुछ लोग संघ-भाजपा प्रायोजित सांप्रदायिक एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। आज के समय में यही हमारे सामने सबसे बड़ी मुश्किल है। हमें हर प्रकार से मजदूरों के बीच धर्म-सम्प्रदाय के नाम पर किए जा रहे विभाजन का मुकाबला करना पड़ेगा वरना न तो सरकारी नौकरियां बचेंगी और न ही श्रम-अधिकार।"

उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए पूरे देश में चल रहे किसान आन्दोलन का समर्थन किया और कहा कि डीटीसी के कई कर्मचारी कृषक परिवारों से आते हैं, ऐसे में सरकार द्वारा संसद के माध्यम से लाए जा रहे फरमान उनके घरों से लेकर कार्यस्थलों तक को बुरी तरीके से प्रभावित करेंगे।

कर्मचारियों ने ऑर्डनेन्स फैक्ट्रियों व रेल कर्मचारियों के आन्दोलनों के साथ एकजुटता व्यक्त की  और डीटीसी कर्मचारियों के बीच मजदूर-किसान विरोधी विधेयकों और निजीकरण के खिलाफ व्यापक प्रचार-प्रसार करने का भी निर्णय लिया गया।

DTC
DTC workers
DTC employees
Labor code
Farm Bills

Related Stories

DTC ठेका कर्मचारियों ने अभियान चलाकर केजरीवाल सरकार को दी चेतावनी, 'शवयात्रा' भी निकाली

किसान मोदी को लोकतंत्र का सबक़ सिखाएगा और कॉरपोरेट की लूट रोकेगा: उगराहां

मज़दूर हड़ताल : "कृषि कानूनों की तरह ही लेबर कोड की भी होगी वापसी"

किसानों की जीत: “यह आज़ादी का दूसरा आंदोलन रहा है”

बिहार में भी दिखा रेल रोको आंदोलन का असर, वाम दलों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया

किसान आंदोलन: करनाल हिंसा के विरोध में देश भर में आंदोलन, 5 सितंबर की महापंचायत की तैयारी ज़ोरों पर

बढ़ता जा रहा है बीजेपी नेताओं का विरोध, विधायक की कार का घेराव

ये देश है वीर किसानों का, मज़दूरों का, जवानों का...

किसान-आंदोलन राष्ट्रीय जनान्दोलन बनने की ओर!

किसान आंदोलनों का इतिहास: तीसा, त्रिवेणी और एका आन्दोलन


बाकी खबरें

  • brooklyn
    एपी
    ब्रुकलिन में हुई गोलीबारी से जुड़ी वैन मिली : सूत्र
    13 Apr 2022
    गौरतलब है कि गैस मास्क पहने एक बंदूकधारी ने मंगलवार को ब्रुकलिन में एक सबवे ट्रेन में धुआं छोड़ने के बाद कम से कम 10 लोगों को गोली मार दी थी। पुलिस हमलावर और किराये की एक वैन की तलाश में शहर का चप्पा…
  • non veg
    अजय कुमार
    क्या सच में हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ है मांसाहार?
    13 Apr 2022
    इतिहास कहता है कि इंसानों के भोजन की शुरुआत मांसाहार से हुई। किसी भी दौर का कोई भी ऐसा होमो सेपियंस नही है, जिसने बिना मांस के खुद को जीवित रखा हो। जब इंसानों ने अनाज, सब्जी और फलों को अपने खाने में…
  • चमन लाल
    'द इम्मोर्टल': भगत सिंह के जीवन और रूढ़ियों से परे उनके विचारों को सामने लाती कला
    13 Apr 2022
    कई कलाकृतियों में भगत सिंह को एक घिसे-पिटे रूप में पेश किया जाता रहा है। लेकिन, एक नयी पेंटिंग इस मशहूर क्रांतिकारी के कई दुर्लभ पहलुओं पर अनूठी रोशनी डालती है।
  • एम.के. भद्रकुमार
    रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं
    13 Apr 2022
    यह दोष रेखाएं, कज़ाकिस्तान से म्यांमार तक, सोलोमन द्वीप से कुरील द्वीप समूह तक, उत्तर कोरिया से कंबोडिया तक, चीन से भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान तक नज़र आ रही हैं।
  • ज़ाहिद खान
    बलराज साहनी: 'एक अपरिभाषित किस्म के कम्युनिस्ट'
    13 Apr 2022
    ‘‘अगर भारत में कोई ऐसा कलाकार हुआ है, जो ‘जन कलाकार’ का ख़िताब का हक़दार है, तो वह बलराज साहनी ही हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेहतरीन साल, भारतीय रंगमंच तथा सिनेमा को घनघोर व्यापारिकता के दमघोंटू…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License