नागरिकता संशोधन बिल जो अब कानून बन गया है और एनआरसी के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के मार्च पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है और आंसू गैस के गोले छोड़े। इससे बड़ी संख्या में छात्र घायल हुए हैं।
नई दिल्ली: संसद द्वारा पारित किए नागरिकता (संशोधन) विधेयक और एनआरसी के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ने वाले छात्रों के एक समूह ने मार्च निकाला। हालांकि यह मार्च जामिया मेट्रो से लेकर संसद भवन तक होने वाला था लेकिन पुलिस ने इसे जामिया विश्वविद्यालय के गेट नंबर एक पर बैरीकेड लगाकर रोक दिया।
इसे लेकर छात्रों ने विरोध किया जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और आंसू गैस के गोले छोड़े। अभी तक प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच पथराव जारी है। पुलिस की तरफ से कैंपस के भीतर आसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं।
इससे पहले प्रदर्शनकारियों में शामिल छात्र नाजिया ने कैब को लेकर कहा, 'एक धर्मनिरपेरक्ष देश में इस तरह का कानून बनने से पहले खारिज हो जाना चाहिए। भारत के लोगों ने ऐसे कानूनों को हमेशा से अस्वीकार किया है। इसे भी अस्वीकार कर दिया जाएगा। इसके लिए बस लोगों को सड़क पर उतरने की जरूरत है।'
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वहीं एक अन्य छात्र असद ने कहा, ' यह कानून धर्म के आधार पर समाज को बांटने वाला है। इससे देश में विभाजन के हालात पैदा होगें। बीजेपी सरकार इस तरह का कानून लाकर मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रही है। हम कैब और एनआरसी का विरोध करते हैं। यह सिर्फ मुसलमानों को डराने वाला है।'
आपको बता दें कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने गुरुवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस याचिका में कहा गया है कि यह विधेयक संविधान के समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें उनके देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।