NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
दोहरी लड़ाई : कोरोना संकट के बीच फ़र्ज़ी ख़बरों का आतंक
1.  लॉकडाउन बढ़ाने और आपातकाल लगाने की झूठी ख़बर

2.  पीएम केयर्स फंड के नाम पर भी ठगी!

3.  इलाज को लेकर भी भ्रामक दावे

4.  धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट भी
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Mar 2020
fact check
प्रतीकात्मक तस्वीर

पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ने में लगी हुई है। लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी इसके रोकथाम के लिए लॉकडाउन जारी है और हर दिन संक्रमित लोगों की संख्या में इज़ाफ़ा भी हो रहा है। बावजूद इसके कुछ ऐसे लोग हैं जो सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल फ़र्ज़ी ख़बरों के लिए कर रहे हैं।

व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर घूम रहीं फ़र्ज़ी ख़बरें समस्या उत्पन्न कर रही हैं। ऐसी ही कुछ ख़बरों में देश में आपातकाल की घोषणा और लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने जैसे दावे भी किए जा रहे हैं।

हालांकि, आधिकारिक और तथ्यों की जांच करनेवाली निजी एजेंसियों ने तत्काल ऐसी ख़बरों का खंडन कर इन्हें फ़र्ज़ी और अफवाह करार दिया है। इतना ही नहीं धोखाधड़ी के कार्यों में लिप्त कुछ लोग सरकार के राहत कोष में दान के लिए फ़र्ज़ी बैंक खाता देकर लोगों को चूना लगाने की कोशिशों में भी लगे हैं।

लॉकडाउन बढ़ाने और आपातकाल लगाने की झूठी ख़बर

इन ख़बरों के चलते अनेक लोग एक अप्रैल से पहले ही सोमवार को ‘अप्रैल फूल’ बन गए। सोशल मीडिया पर एक फ़र्ज़ी दस्तावेज को सरकारी दस्तावेज के रूप में पेश कर सरकार द्वारा 21 दिन के लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की बात कही गई।

भारतीय सेना को भी इस फ़र्ज़ी ख़बर का खंडन करना पड़ा कि अप्रैल में देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की जाने वाली है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सेवानिवृत कर्मियों, नेशनल कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत पंजीकृत स्वंयसेवकों की मदद लेने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।

सेना के जन सूचना विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजीपीआई) ने ट्वीट किया, 'सोशल मीडिया पर अप्रैल के मध्य में देश में आपातकाल लगाने और नागरिक प्रशासन की मदद के लिए भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्मियों, एनसीसी और एनएसएस की सहायता लेने के फ़र्ज़ी और दुर्भावनापूर्ण संदेश फैलाए जा रहे हैं।'

एडीजीपीआई ने ट्वीट किया, 'स्पष्ट किया जाता है कि यह पूरी तरह फ़र्ज़ी हैं।' सरकार ने भी इन अफवाहों को खारिज किया कि 21 दिन के लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने की उसकी कोई योजना है। मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा का स्पष्टीकरण ऐसे समय आया जब पिछले पांच दिनों में हजारों मज़दूर लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन जाने के कारण सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल ही यात्रा करते देखे गए।

सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ट्वीट किया, ‘ऐसी अफवाह हैं और मीडिया में ख़बर हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि सरकार 21 दिन के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ा देगी। मंत्रिमंडल सचिव ने इन ख़बरों को खारिज किया है और इन्हें निराधार बताया है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समाज कल्याण के लिए काम करनेवाले संगठनों के साथ चर्चा में उनसे कोरोना वायरस पर गलत जानकारी और अंधविश्वास का मुकाबला करने को कहा।  

पीएम केयर्स फंड के नाम पर भी ठगी!

पीआईबी के फैक्ट चेक टि्वटर हैंडल पर कहा गया कि लोग पीएम केयर्स फंड के नाम पर सोशल मीडिया पर फैले फ़र्ज़ी बैंक खातों को लेकर सतर्क रहें।

दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध इकाई ने रविवार को पीएम केयर्स फंड के नाम पर दानदाताओं को ठगने के लिए बनाई गई फ़र्ज़ी यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस आईडी का पता लगाया था।        

इलाज को लेकर भी भ्रामक दावे

इसी तरह कोरोना वायरस के उपचार को लेकर भी सोशल मीडिया पर कई तरह की गलत जानकारियां दी जा रही हैं। पीआईबी फैक्ट चेक ने ट्वीट किया, ‘इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि गरम पानी की भाप लेने से कोरोना वायरस मर जाता है। श्वसन संबंधी स्वास्थ्य, भौतिक दूरी बनाए रखने और हाथ धोना कोविड-19 के प्रसार को रोकने का प्रभावी तरीका है।’

इसी तरह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पहले हुए एक दिन हुए जनता कर्फ्यू को लेकर तमाम सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया था कि इस दिन हवाई मार्ग से दवा का छिड़काव किया जाएगा। साथ ही यह दावा किया गया कि 14 घंटे में वायरस मर जाएगा। जबकि यह दोनों ख़बरें ही झूठी थीं।

प्रधानमंत्री द्वारा संक्रमण रोकने में लगे डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के आभार व्यक्त करने के लिए ताली बजाने के अनुरोध को भी फ़र्ज़ी ख़बर में बदल दिया गया। इसमें दावा किया गया कि ताली, थाली और शंख से शोर से कोरोना वायरस मर जाएगा। इस फ़र्ज़ी ख़बर की चपेट में सुपर स्टार अमिताभ बच्चन समेत तमाम गणमान्य लोग भी आ गए थे। यह ख़बर भी झूठी ही थी।

इसी तरह कभी कहा जा रहा है कि शराब, गांजे, हल्‍दी से कोरोना को हराया जा सकता है तो कभी मॉक ड्रिल के वीडियो को कोरोना मरीज के नाम पर वायरल किया जा रहा है। इसी तरह यह भी दावा किया गया कि मख्खियों से कोरोना फैल रहा है या फिर अजमेर की बकरा मंडी में कोरोना वायरस के कारण बकरे/बकरियां बीमार हो गए हैं। जबकि ये सारी ख़बरें झूठी हैं।

धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट भी

कोरोना वायरस की भीषण त्रासदी के बीच में लोग धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले पोस्ट से बाज़ नहीं आ रहे हैं। इसमें कुछ नेताओं को भी निशाने पर लिया जा रहा है।

यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की एक पुरानी तस्‍वीर के साथ छेड़छाड़ करके उसे सोशल मीडिया में फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि मुख्‍यमंत्री ने कोरोना वायरस से बचने के लिए गायों को भी मास्‍क बांट दिया। जबकि यह ख़बर झूठी थी। योगी आदित्यनाथ की यह तस्वीर बहुत पुरानी थी।

इसी तरह सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें विदेश मूल के कई नागरिकों को बाहर निकलते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह सभी चीनी नागरिक हैं, जिन्हें पटना पुलिस ने एक मस्जिद से पकड़ा है। हालांकि बाद में फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों ने इसे झूठा दावा बताया।

इसके अलावा अलग अलग समुदाय के नेताओं, अभिनेताओं द्वारा राहत कार्यों को लेकर तमाम फ़र्ज़ी दावे सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। साथ ही यूनीसेफ के नाम का इस्तेमाल करके तमाम फ़र्ज़ी दावे भी किए जा रहे हैं।

फ़र्ज़ी ख़बरों से लड़नी होगी लंबी लड़ाई

फिलहाल कोरोना वायरस से देश और दुनिया के डॉक्टर देर सबेर निपट ही लेंगे। लेकिन फ़र्ज़ी ख़बरों का जो ख़तरा पूरे दुनिया में दिख रहा है उससे मुक्ति पाना इतना आसान नहीं दिख रहा है। हालात इस कदर खराब हैं कि सरकार और सामाजिक संस्थाओं को जब अपनी पूरी ताकत से कोरोना से लड़ना चाहिए था तब उन्हें अपनी एनर्जी बेबुनियाद ख़बरों के खंडन में खर्च करनी पड़ रही है।

अभी पिछले दिनों ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाथ जोड़कर कहा था कोरोना को लेकर फेक न्यूज न फैलाएं। ऐसा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। बावजूद इसके पश्चिम बंगाल में भी फेक न्यूज फैलाने वाले नहीं रुके, मजबूरन पुलिस को कुछ लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा। वैसे यह सिर्फ पश्चिम बंगाल की कहानी नहीं है पूरे देश में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है लेकिन इस खतरे से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है।

हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि सोशल मीडिया तो इस तरह की ख़बरों से भरा पड़ा है लेकिन इसमें से कुछ ख़बरें कभी कभार मुख्यधारा के मीडिया तक में पहुंच जाती हैं। जिससे लोगों को यकीन पुख्ता होने लगता है। इसे लॉकडाउन बढ़ाने की फ़र्ज़ी ख़बर से समझा जा सकता है। सोशल मीडिया की यह अफवाह कुछ मुख्यधारा के संस्थानों में जब सुर्खी बनने लगी तब सरकार को सामने आकर सफाई देनी पड़ी।

फिलहाल इस समय जो हालात हैं उसमें एक दूसरे की मदद जरूरी है। और जो लोग बीमारी के नाम पर अफवाह फैलाकर लोगों को आतंकित करने और भय पैदा करने का काम कर रहे हैं। उन पर कड़ी कार्रवाई की ज़रूरत है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

इसे भी पढ़े : 50 जीबी फ्री इंटरनेट डाटा का व्हाट्सऐप मैसेज़ झूठा है

इसे भी पढ़े : फैक्ट चेक : पोर्नोग्राफ़िक वीडियो को शाहीन बाग़ का बताकर किया गया शेयर

fact check
fake news
India Lockdown
Coronavirus
PM fund
religion
Corona virus epidemic
Social Media

Related Stories

अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

पड़ताल: क्या टिकैत वाकई मीडिया को धमकी दे रहे हैं!

छत्तीसगढ़ की वीडियो की सच्चाई और पितृसत्ता की अश्लील हंसी

उच्च न्यायालय ने फेसबुक, व्हाट्सऐप को दिए सीसीआई के नोटिस पर रोक लगाने से किया इंकार

विश्लेषण : मोदी सरकार और सोशल मीडिया कॉरपोरेट्स के बीच ‘जंग’ के मायने

कैसे बना सोशल मीडिया राजनीति का अभिन्न अंग?

नए आईटी कानून: सरकार की नीयत और नीति में फ़र्क़ क्यों लगता है?

जिसे कांग्रेस की ‘COVID टूलकिट’ बताया जा रहा है, वो जाली लेटरहेड पर बनाया गया डॉक्युमेंट है

महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक न लगाई जाए : उच्चतम न्यायालय


बाकी खबरें

  • Neha Singh Rathore
    न्यूज़क्लिक टीम
    ‘यूपी में सब बा’ के जवाब में नेहा सिंह राठौर का ‘ यूपी में का बा’
    23 Jan 2022
    यूपी विधानसभा चुनाव में वोटरों को रिझाने के लिए सांसद और अभिनेता रवि किशन भाजपा की तारीफ़ में एक वीडियो लेकर आए, जिसके बोल हैं ‘ यूपी में सब बा’। भाजपा की उपलब्धियों का बखान वाला यह वीडियो घर-घर…
  • pm
    अजय कुमार
    दो टूक: मोदी जी, आप ग़लत हैं! अधिकारों की लड़ाई से देश कमज़ोर नहीं बल्कि मज़बूत बनता है
    23 Jan 2022
    75 वर्षों में हम सिर्फ़ अधिकारों की बात करते रहे हैं। अधिकारों के लिए झगड़ते रहे, जूझते रहे, समय भी खपाते रहे। सिर्फ़ अधिकारों की बात करने की वजह से समाज में बहुत बड़ी खाई पैदा हुई है: प्रधानमंत्री…
  • Ethiopia
    शिरीष खरे
    इथियोपिया : फिर सशस्त्र संघर्ष, फिर महिलाएं सबसे आसान शिकार
    23 Jan 2022
    इथियोपिया, अफ्रीका महाद्वीप का यह देश पिछले दो वर्षों से अधिक समय से सुखिर्यों में है, जहां नवंबर, 2020 से शुरू हुआ सशस्त्र संघर्ष अभी भी जारी है, जहां टिग्रे अलगाववादियों और उनके खिलाफ इथियोपियाई…
  • nehru and subhash
    एल एस हरदेनिया
    नेताजी की जयंती पर विशेष: क्या नेहरू ने सुभाष, पटेल एवं अंबेडकर का अपमान किया था?
    23 Jan 2022
    नरेंद्र मोदी का यह आरोप तथ्यहीन है कि नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस, डॉ. अंबेडकर और सरदार पटेल को अपेक्षित सम्मान नहीं दिया।
  • cartoon
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    …सब कुछ ठीक-ठाक है
    23 Jan 2022
    "क्यों, क्या सब ठीक-ठाक नहीं हैं? क्या सब ख़ैरियत से नहीं है? क्या हम हिंदू राष्ट्र नहीं बन रहे हैं? ठीक है भाई! बेरोज़गारी है, महंगाई है, शिक्षा बरबाद हो रही है और अस्पताल बदहाल। पर देश में क्या…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License