NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
हर साल दलित और आदिवासियों की बुनियादी सुविधाओं के बजट में कटौती हो रही है :  बीना पालिकल
काफी सालों से देखते आ रहे हैं कि हर साल सोशल सेक्टर बजट- जो शिक्षा का बजट है, जो स्वास्थ्य का बजट है या जो बजट लोगों के उद्योग के लिए है, इस बजट की कटौती हर साल हम लोग देखते आ रहे हैं। आशा है कि इस बजट में फाइनेंस मिनिस्टर ऐसा  नहीं करेंगीं
राज वाल्मीकि
31 Jan 2022

मंगलवार, एक फरवरी को आम बजट आ रहा है। इस बजट से सभी वर्गों को अपनी–अपनी आवश्यकता अनुसार उम्मीदें होती हैं जो कि स्वाभाविक ही हैं। पर किसकी कितनी उम्मीदें पूरी होती हैं ये तो आनेवाला बजट बताएगा। इस सन्दर्भ में हमने न्यूज़क्लिक के लिए बात की दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की महासचिव बीना पालिकल से।

बीना जी, आप दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की महासचिव हैं और कई वर्षों से बजट का विश्लेषण करती रही  हैं। इस बार के बजट से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?

जय भीम जोहार और  सलाम। काफी सालों से दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन जो  राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार अभियान से जुड़ा है। हम लोग बजट को एनालिसिस  करते हैं कि कितने पैसे आते हैं उस पैसे से कितना आवंटन कौन सी योजना के लिए होता है। क्या यह योजना वाकई  में विकास योजना है या सिर्फ पैसा आवंटित होता है लेकिन इस  पैसे का कुछ होता नहीं या फिर ग्राउंड लेवल तक पहुंचता ही नहीं है। काफी सालों से देखते आ रहे हैं कि हर साल सोशल सेक्टर बजट- जो शिक्षा का बजट है, जो स्वास्थ्य का बजट है या जो बजट लोगों के उद्योग के लिए है, इस बजट की कटौती हर साल हम लोग देखते आ रहे हैं। आशा है कि इस बजट में फाइनेंस  मिनिस्टर ऐसा  नहीं करेंगीं और पॉलिसी के अनुसार जनसंख्या के अनुसार दलितों के लिए 16% और  आदिवासियों के लिए बजट का 8% आवंटित होना चाहिए। इसका फाइनेंस मिनिस्टर ध्यान रखेंगीं।

दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की महासचिव के रूप में आप इस बजट को लेकर किस प्रकार की मांगे रखना चाहती हैं?

वैसे तो हमारी कई मांगे हैं पर प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं :

1. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप : केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में प्रतिबद्ध दायित्व के केंद्रीय हिस्से के रूप में अगले 6 वर्षों के लिए 4 करोड़ अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) के लिए 35,219 करोड़ रुपये की वृद्धि की बात कही, लेकिन पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में अनुसूचित जाति के लिए बजट आवंटन 3,415.62 करोड़ रुपये और एसटी के लिए 1993 करोड़ था जो देश भर में पूरे एससी / एसटी छात्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अनुपातहीन है। हम कम से कम 7000 करोड़  के आवंटन की मांग करते हैं।

2. एससी एवं एसटी महिलाओं के लिए आवंटन : दलित महिलाओं के लिए 50% का आवंटन और दलित महिलाओं के लिए एक विशेष घटक योजना की निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र के साथ स्थापित किया जाना चाहिए।

3. सामाजिक सुरक्षा : एक न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा स्तर जो पर्याप्त बजटीय आवंटन के साथ सभी दलितों और आदिवासियों को मातृत्व लाभ और बुनियादी आय सुरक्षा सहित सार्वभौमिक बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की गारंटी देता है।

4.आपदा जोखिम में कमी (DRR) और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए उनके लचीलापन और अनुकूली क्षमता का निर्माण करने के लिए जनसंख्या आनुपातिक धन और प्रत्यक्ष आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए) कार्यक्रमों को  आवंटित करें। इन योजनाओं में सूखे के दौरान विशेष रूप से भूमिहीन खेतिहर मजदूरों और महिला किसानों और कृषि श्रमिकों की आजीविका तंत्र को मजबूत करने के लिए आजीविका शामिल हो सकती है।

5.न्याय तक पहुँच : दलित महिलाओं, पुरुषों, बच्चों, विकलांग लोगों और क्वीर और ट्रांस व्यक्तियों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए। जाति-आधारित भेदभाव और हिंसा के शिकार किसी भी पीड़ित को सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्पष्ट तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। वर्तमान आवंटन पूरी तरह से अपर्याप्त है। मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित की जानी चाहिए और जाति और जाति आधारित अत्याचारों के पीड़ितों को अधिक मुआवजा दिया जाना चाहिए।

union budget
Budget-2022
Budget 2022-2023
aadiwasi
Dalit Economic Rights
Dalit Rights
Bina Palikal

Related Stories

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में सैलून वाले आज भी नहीं काटते दलितों के बाल!

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

अमित शाह का शाही दौरा और आदिवासी मुद्दे

दलित किशोर की पिटाई व पैर चटवाने का वीडियो आया सामने, आठ आरोपी गिरफ्तार

ग्राउंड रिपोर्ट: ‘पापा टॉफी लेकर आएंगे......’ लखनऊ के सीवर लाइन में जान गँवाने वालों के परिवार की कहानी

राजस्थान : दलितों पर बढ़ते अत्याचार के ख़िलाफ़ DSMM का राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन

भेदभाव का सवाल व्यक्ति की पढ़ाई-लिखाई, धन और पद से नहीं बल्कि जाति से जुड़ा है : कंवल भारती 


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License