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किसान आंदोलन: रेप की घटना एक बार फिर किसानों के संघर्ष को बदनाम करने का हथियार बन रही है!
पीड़िता के पिता का कहना है कि उन्होंने अपनी शिकायत में सिर्फ़ दो लोगों पर आरोप लगाया था लेकिन पुलिस ने छह लोगों पर एफ़आईआर दर्ज कर ली है। इसमें किसान आंदोलन से जुड़ीं वे दो महिलाएं भी हैं जिन्होंने मामले को उठाने में मदद की थी, लेकिन पुलिस ने मददगारों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया है।
सोनिया यादव
12 May 2021
kisan aandolan

किसान आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह किसानों की बात या संघर्ष नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल से आंदोलन में शामिल होने आई एक युवती के साथ बलात्कार की कथित घटना है। इस मामले में हरियाणा पुलिस ने छह लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है, इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा पूरे मामले की जांच के लिए विशेष पुलिस दल का गठन किया गया है। हालांकि पीड़िता के पिता का कहना है कि उन्होंने अपनी शिकायत में सिर्फ़ दो लोगों पर आरोप लगाया था लेकिन पुलिस ने छह लोगों पर मुकदमा दर्ज कर लिया है।

 वहीं स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव का कहना है कि क्योंकि किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश पहले भी हुई हैं, इसलिए लोग इस घटना का भी इस्तेमाल करेंगे। लेकिन संयुक्त मोर्चा और आंदोलन सच के साथ है और दोषियों को सजा मिलनी चहिए।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मृतक पीड़िता 25 साल की थी और बलात्कार की ये कथित घटना अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पश्चिम बंगाल से दिल्ली के टिकरी बार्डर की ट्रेन यात्रा के दौरान हुई। बाद में युवती को कोरोना हो गया था और फिर बहादुरगढ़ के एक अस्पताल में उसने 30 अप्रैल की सुबह दम तोड़ दिया।

पीड़िता के पिता ने एफ़आईआर में कहा है कि दिल्ली से पश्चिम बंगाल गए एक किसान दल से युवती की मुलाक़ात हुई थी जिसके बाद वो आंदोलन में शामिल होने के लिए 11 अप्रैल को टिकरी बार्डर के लिए निकल पड़ी थी। ट्रेन में उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया। इस संबंध में युवती ने एक वीडियो स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड करवाई थी। युवती के पिता के अनुसार उसने मरने से पहले दो लोगों का नाम भी लिया था।

बाद में युवती के पिता ने कुछ किसान नेताओं से संपर्क कर मदद मांगी और फिर वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए लेकिन तब तक युवती कोरोना संक्रमित हो गई थी और उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया था।

दिल्ली आने से पहले युवती के पिता ने जिन लोगों से संपर्क साधा था उसमें स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में योगेंद्र यादव से मंगलवार, 11 मई को पूछताछ भी की है।

योगेंद्र यादव ने बताया कि उन्हें पुलिस ने नोटिस भेजा था जिसके बाद उन्होंने इस संबंध में जो भी जानकारी उनके पास थी वो पुलिस को दे दी है। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा जांच में पूरा सहयोग करेगा। महिला के साथ बदसलूकी आंदोलन बर्दाश्त नहीं करेगा।

पुलिस में शिकायत की देरी को लेकर योगेंद्र यादव ने पीड़िता के पिता के साथ ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि क्योंकि ये अधिकार पहले परिवार के लोगों का है इसलिए किसान मोर्चा चाहता था कि इस पर पहले फैसला लड़की के पिता लें। क्योंकि लड़की अपने पिता से अंत समय में ये कह के गई थी कि उसे न्याय भी चाहिए लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा का नाम नहीं बदनाम होना चाहिए, इसलिए पिता असमंजस में थे और फिर उन्होंने समय लेकर कानूनी शिकायत करने का फैसला लिया।

पीड़िता के पिता ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीडि़ता के पिता ने संयुक्त किसान मोर्चा को क्लीन चिट देते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ किसान सोशल आर्मी से जुड़े अनिल मलिक और अनूप चणौत पर आरोप लगाए थे, लेकिन पुलिस ने उनकी खुद की मदद करने वाले लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया। किसान आंदोलन से जुड़ीं दो महिलाओं ने मामले को उठाने में मदद की थी, लेकिन पुलिस ने मददगारों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया है।

उन्होंने कहा कि जिन अन्य दो लड़कियों का नाम पुलिस एफ़आईआर में शामिल किया है उन्होंने पीड़िता की मदद की थी। पीड़िता का वीडियो स्टेटमेंट रिकॉर्ड करके मेरे पास भेजा था। पिता के मुताबिक़ ये रिकॉर्डिंग अब पुलिस के पास है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में युवती के पिता ने कहा कि उनकी बेटी मौत से पहले बहुत परेशान थी और उसने कहा था कि किसान सोशल आर्मी के दो लोग अनूप और अनिल अच्छे लोग नहीं हैं और ये दोनों उसे परेशान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की तबीयत बहुत ख़राब थी।

उन्होंने अनूप और अनिल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे गलत लोकेशन बता कर बेटी को हरियाणा के अलग हिस्से में ले जा रहे थे। इस मामले में पीड़िता के पिता ने संयुक्त किसान  मोर्चा और किसान नेता योगेंद्र यादव का मामले में मदद करने पर आभार जताया है। पिता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन निर्दोष लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो।

वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा योगेंद्र यादव ने?

इस मसले पर सोमवार शाम को बुलाई गई वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव में किसानों की कुछ टीमें गई थीं। इसमें से एक टीम में किसान सोशल आर्मी से जुड़े ये अभियुक्त भी शामिल थे। वहां पर इस युवती की मुलाक़ात अपने पिता के जरिये इस टीम में शामिल अभियुक्तों से हुई। युवती ने किसान आंदोलन में जाने की ख़्वाहिश जताई तो ना-नुकुर के बाद माता-पिता ने उसे भेज दिया।

यादव ने कहा है कि आरोप के मुताबिक़ ट्रेन में इस युवती के साथ एक अभियुक्त ने बदसलूकी और जबरदस्ती की और टिकरी बॉर्डर पर भी उसके साथ ऐसी घटना हुई। यादव ने कहा कि ये बातें तब किसान नेताओं तक नहीं पहुंचीं थीं। उन्होंने कहा कि 18-19 अप्रैल को युवती की तबीयत ख़राब होनी शुरू हुई तो उसे स्थानीय डॉक्टर के जरिये दवा दी गई। इसके बाद युवती ने अपने पिता से संपर्क किया।

यादव ने कहा कि 24 अप्रैल की रात को उनकी युवती के पिता से बात हुई। इसके बाद 25 अप्रैल को युवती से बात हुई और युवती के साथ मौजूद अभियुक्तों से उन्होंने कहा कि वे तुरंत युवती को लेकर टिकरी बॉर्डर पहुंचें और देर रात तक वे लोग पहुंच गए। यादव ने कहा कि 26 अप्रैल को युवती को बहादुरगढ़ के शिवम अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका और 30 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। इस दौरान उसके पिता भी दिल्ली पहुंच गए थे।

शहीद युवती को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ेगा संयुक्त किसान मोर्चा

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी किया है। मोर्चा की ओर से कहा गया है कि वह अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर चुका है और वह शहीद युवती को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ेगा।

मोर्चा की टिकरी कमेटी ने किसान सोशल आर्मी के टैंट और बैनर आदि चार दिन पहले ही हटा दिए थे और मोर्चा अपने मंच से अभियुक्तों को आंदोलन से बहिष्कृत करने और उनके सामाजिक बहिष्कार की घोषणा कर चुका है। मोर्चा ने साफ कर दिया है कि किसान सोशल आर्मी का उनके आंदोलन से किसी तरह का कोई संबंध नहीं है।

किसान मोर्चा के नेता गुरनाम चढूनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि किसान आंदोलन में आई सभी महिलाओं की सुरक्षा पर पूरा चेक है। महिलाओं के रहने, बैठने और बाथरूम का भी अलग इंतजाम है। उन्होंने कहा कि 3 तारीख को हमने फैसला लिया कि हम विक्टिम के साथ खडे हैं और किसी आरोपी को बख्शेंगे नहीं। इस मामले में पीडि़त के पिता ने 8 तारीख की शाम बहादुरगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कर दी। इसमें हैरानी की बात ये है कि उन्होंने अपनी शिकायत में केवल दो आरोपियों का नाम लिया, लेकिन पुलिस 6 लोगों को आरोपी बनाया, उनको भी जो गवाह थे।

इस मसले पर जनवादी महिला समिति की नेता जगमति सांगवान ने मीडिया से कहा कि जब उन्हें घटना का पता चला तो उस समय युवती की तबीयत काफी ख़राब थी और उसका इलाज करवाना ज़्यादा ज़रूरी था।

रेप की घटना के जरिए किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश!

गौरतलब है कि इस मामले के खुलासे के बाद संयुक्त किसान मोर्चा और किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। हालांकि इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कई लोगों का कहना है कि क्योंकि घटना की जांच हरियाणा पुलिस कर रही है, जो बीजेपी की मनोहरलाल खट्टर सरकार को रिपोर्ट करती है, इसलिए बहुत गुंजाइश है कि मामले की लीपापोती हो जाए।

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