NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
गूगल ने दुरुपयोग रोकने के लिए राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सख्त की अपनी नीति
पिछले हफ्ते ट्विटर ने भी कुछ ऐसा ही कदम उठाया था। उसने अपनी नई नीति के तहत सभी राजनीतिक विज्ञापनों को प्रतिबंधित कर दिया था।
भाषा
21 Nov 2019
google
Image courtesy: Google

सैन फ्रांसिस्को: गूगल ने राजनीतिक विज्ञापनों के संबंध में अपनी नीति को सख्त बना दिया है। दरअसल अंदेशा है कि मतदाताओं को प्रभावित करने के इरादे से और गलत जानकारी फैलाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल हो सकता है, जिसके चलते इस तरह के प्लेटफॉर्म पहले से दबाव में हैं।

इंटरनेट कंपनी का कहना है कि उसके नियम किसी भी विज्ञापनदाता को गलत जानकारी देने से रोकते हैं चाहे वह विज्ञापनदाता राजनीति या किसी भी अन्य क्षेत्र से जुड़ा हो। लेकिन अब वह अपनी नीति को और अधिक स्पष्ट बना रही है और ऐसे उदाहरणों को शामिल कर रही है कि छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों या वीडियो को किस प्रकार रोका जाए।

गूगल के विज्ञापन उत्पाद प्रबंधन के उपाध्यक्ष स्कॉट स्पेंसर ने एक ऑनलाइन पोस्ट में कहा, ‘किसी भी विज्ञापनदाता का गलत दावे करना हमारी नीतियों के खिलाफ है। चाहे वह किसी कुर्सी की कीमत का विज्ञापन हो, या यह विज्ञापन हो कि आप टेक्स्ट मैसेज से मतदान कर सकते हैं या फिर चुनाव टल गया है या फिर ऐसा संदेश हो कि चुनाव में खड़े किसी उम्मीदवार की मौत हो गई है।’

जिन विज्ञापनों को प्रतिबंधित किया जा सकता है उनमें ऐसे विज्ञापन शामिल हैं जो ऐसे गलत दावे करते हैं जिससे मतदाता का विश्वास कम होता हो या फिर चुनाव में उनकी भागीदारी पर असर पड़ता हो।

स्पेंसर ने कहा, ‘हम जानते हैं कि सुदृढ़ राजनीतिक संवाद लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है और कोई भी इस बारे में पुख्ता तौर पर यह नहीं जान सकता है कि हर राजनीतिक दावा, उसका विरोधी दावा या कटाक्ष सच्चे हैं या नहीं। इसलिए ऐसे विज्ञापन कम ही होंगे जिनके बारे में हम कोई कदम उठाएं। लेकिन जहां स्पष्ट उल्लंघन दिखेगा वहां पर हम जरूर फैसला लेंगे।’

गूगल में राजनीतिक विज्ञापनों को सर्च क्वेरी रिजल्ट के साथ जगह मिलती है और वीडियो सेवा यू ट्यूब पर या वेबसाइट पर डिस्प्ले विज्ञापनों वाले स्थान पर रखा जाता है। गूगल आयु, लैंगिक तथा अन्य श्रेणियों के आधार पर राजनीतिक विज्ञापनों की पहुंच को भी सीमित कर देगा।

स्पेंसर ने कहा, ‘हालांकि राजनीतिक विज्ञापनदाताओं को लक्षित दर्शक/पाठक अभी भी मिल सकेंगे मसलन अगर कोई अर्थव्यवस्था की खबर देख या पढ़ रहा है तो वे लोग उन विज्ञापनों को देख सकेंगे। इस तरह चुनावी विज्ञापनों को लेकर हमारा रुख टीवी, रेडियो और प्रिंट जैसे मीडिया के परंपरागत चलन के अनुरूप हो जाएगा।’

गूगल इन बदलावों को ब्रिटेन में हफ्तेभर के भीतर लागू कर देगा, पूरे यूरोपीय संघ में यह इस वर्ष के अंत तक लागू होंगे और बाकी दुनिया में छह जनवरी से लागू किए जाएंगे। स्नेप ने इस हफ्ते पुष्टि की थी कि वह स्नेपचैट पर राजनीतिक विज्ञापनों पर नजर रखता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भ्रामक जानकारी तो नहीं फैलाई जा रही।

पिछले हफ्ते ट्विटर ने भी कुछ ऐसा ही कदम उठाया था। उसने अपनी नई नीति के तहत सभी राजनीतिक विज्ञापनों को प्रतिबंधित कर दिया था।

google
Misuse of Google
Political advertisements
twitter
Internet Company

Related Stories

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

मुख्यमंत्री पर टिप्पणी पड़ी शहीद ब्रिगेडियर की बेटी को भारी, भक्तों ने किया ट्रोल

कांग्रेस, राहुल, अन्य नेताओं के ट्विटर अकाउंट बहाल, राहुल बोले “सत्यमेव जयते”

ट्विटर बताए कि आईटी नियमों के अनुरूप शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति कब तक होगी : अदालत

संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा: देश का कानून सर्वोपरि, आपकी नीति नहीं

मोहन भागवत समेत कई आरएसएस पदाधिकारियों के ट्विटर अकाउंट से हटा ब्लू टिक

विश्लेषण : मोदी सरकार और सोशल मीडिया कॉरपोरेट्स के बीच ‘जंग’ के मायने

नए आईटी कानून: सरकार की नीयत और नीति में फ़र्क़ क्यों लगता है?

जिसे कांग्रेस की ‘COVID टूलकिट’ बताया जा रहा है, वो जाली लेटरहेड पर बनाया गया डॉक्युमेंट है


बाकी खबरें

  • मुकुल सरल
    मदर्स डे: प्यार का इज़हार भी ज़रूरी है
    08 May 2022
    कभी-कभी प्यार और सद्भावना को जताना भी चाहिए। अच्छा लगता है। जैसे मां-बाप हमें जीने की दुआ हर दिन हर पल देते हैं, लेकिन हमारे जन्मदिन पर अतिरिक्त प्यार और दुआएं मिलती हैं। तो यह प्रदर्शन भी बुरा नहीं।
  • Aap
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक
    08 May 2022
    हर हफ़्ते की ज़रूरी ख़बरों को लेकर एक बार फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: हम सहनशील तो हैं, पर इतने भी नहीं
    08 May 2022
    हम ग़रीबी, बेरोज़गारी को लेकर भी सहनशील हैं। महंगाई को लेकर सहनशील हो गए हैं...लेकिन दलित-बहुजन को लेकर....अज़ान को लेकर...न भई न...
  • बोअवेंटुरा डे सौसा सैंटोस
    यूक्रेन-रूस युद्ध के ख़ात्मे के लिए, क्यों आह्वान नहीं करता यूरोप?
    08 May 2022
    रूस जो कि यूरोप का हिस्सा है, यूरोप के लिए तब तक खतरा नहीं बन सकता है जब तक कि यूरोप खुद को विशाल अमेरिकी सैन्य अड्डे के तौर पर तब्दील न कर ले। इसलिए, नाटो का विस्तार असल में यूरोप के सामने एक…
  • जितेन्द्र कुमार
    सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी
    08 May 2022
    सामाजिक न्याय चाहने वाली ताक़तों की समस्या यह भी है कि वे अपना सारा काम उन्हीं यथास्थितिवादियों के सहारे करना चाहती हैं जो उन्हें नेस्तनाबूद कर देना चाहते हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License