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मध्य प्रदेश : धमकियों के बावजूद बारात में घोड़ी पर आए दलित दूल्हे
मध्य प्रदेश में पिछले तीन हफ़्तों में चार दलित दूल्हों की बारात पुलिस सुरक्षा के बीच निकाली गई है।
काशिफ काकवी
16 Feb 2022
MP

भोपाल: मध्यप्रदेश में राजगढ़ जिले के राजेश अहिरवार, नीमच के राहुल मेघवाल, छत्तरपुर के दयाचंद अहिरवार, सागर के दिलीप अहिरवार की तरह यह पहली बार था, जब उनके गांव में कोई दलित दूल्हा पहली बार घोड़ी पर चढ़कर बारात जा रहा था।  यहां तक कि राजगढ़ और सागर जिले में दो दलित दूल्हों के घरों पर हमला तक किया गया। लेकिन घोड़े पर चढ़ने की उनकी इच्छा और भी ज़्यादा ताकतवर होती गई।

फिलहाल जारी शादी के मौसम में, पिछले तीन हफ़्तों में चार दलित दूल्हों की बारात पुलिस की मौजूदगी में निकाली गई है। क्योंकि उनके गांव के ताकतवर जातियों के लोगों ने उन्हें डीजे बजाने और घोड़े पर सवार होकर बारात निकालने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।  

मध्यप्रदेश के राजगढ़ में कचनारिया गांव के रहने वाले 21 साल के रमेश अहिरवार का हालिया मामला भारत में गहराई तक पैठ बनाकर बैठे जातिगत भेदभाव को प्रदर्शित करता है। 

जब रमेश अहिरवार ने 13 फरवरी, 2022 को होने वाली अपनी शादी के लिए कार्ड छपवाया था, तो गुज्जर समुदाय के लोगों ने उन्हें घोड़ी पर ना चढ़ने और डीजे ना बजाने की नसीहत दी थी। क्योंकि अब तक गांव में किसी दलित ने ऐसा नहीं किया था। गांव में गुज्जर समुदाय के लोग प्रभुत्व में हैं।

2016 में जब रमेश के चचेरे भाई कमल सिंह ने अपनी शादी में घोड़ी पर सवार होने की कोशिश की थी, तो गुज्जर समुदाय के लोगों ने परिवार की पिटाई कर दी थी और उनकी हज़ारों रुपये की फ़सल बर्बाद कर दी थी।  लेकिन जान के डर से परिवार ने शिकायत नहीं की और इस घटना पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अतीत से सीख लेते हुए राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट और आईएएस की परीक्षा के उम्मीदवार रमेश ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए माचलपुर पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई। जहां से उसे शादी के बारात के लिए एसडीएम से अनुमति लेने के लिए कहा गया। अगले दिन रमेश ने एसडीएम और पुलिस एसपी को दो खत पहुंचा दिए। लेकिन उसे मदद नहीं मिली।

राजेश घटना की भयावहता को याद करते हुए कहते हैं, “शादी के बारात के एक दिन पहले करीब साढ़े नौ बजे के आसपास सौ से ज़्यादा लोग लाठी-डंडों के साथ विवाह स्थल पर घुसे और पत्थरबाजी की। उन्होंने खाने के भोजन को बर्बाद कर दिया और परिवार के सदस्यों पर हमला किया। लेकिन राजगढ़ पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया के चलते हमारी जान बच गई। 

पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा बिना वक्त गंवाए अपने आदमियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए और वहां 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। वहीं रमेश की शिकायत पर 38 लोगों के खिलाफ़ शिकायत दर्ज की गई। राजगढ़ के एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया, “कुल मिलाकर आईपीसी और एससी-एसटी एक्ट के तहत 38 लोगों पर मुक़दमा दर्ज़ किया गया।  वहीं तीन आरोपियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए गए। 

भारी पुलिस बल और एक दलित संगठन के सदस्यों की भारी मौजूदगी में अगले दिन रमेश गांव में तीन घंटे तक घोड़ी पर घूमे, उनकी गोद में आंबेडकर की फोटो थी, जो भारतीय संविधान के निर्माता हैं। 48 साल के मदनलाल अहिरवार के लिए यह एक जादुई पल है, जो दूल्हे के पिता हैं। मदनलाल को हमेशा से एक सम्मानजनक जीवन की चाह रही है।

शर्मा कहते हैं, “इस मामले के ज़रिए मैं एक उदाहरण बनाना चाहता था कि इस तरह का जातिगत भेदभाव भविष्य में दोहराया नहीं जा सकता। संविधान के मुताबिक़ हम सभी कानून के सामने बराबर हैं।”

लेकिन रमेश के लिए इस प्रकरण का यह खुशी भरा पटाक्षेप नहीं है। रमेश के मुताबिक़, बारात के एक दिन बाद गांव के सरपंच मदन सिंह ने उन्हें धमकी देते हुए कहा, “हमारे खेतों और कॉलोनी में कदम मत रखना, नहीं तो तुम्हारे पांव तोड़ दिए जाएंगे।“ 

मध्यप्रदेश पुलिस की एसएसटी शाखा के मुताबिक़, पिछले दो सालों में इस तरह की आठ घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से भी पांच 2021 और तीन 2020 में हुई थीं। एसएसी-एसटी एक्ट शाखा के एडीजी राजेश गुप्ता कहते हैं, “पिछले दो सालों में ऐसी सिर्फ़ आठ घटनाएं ही हुई हैं। पुलिस के आंकड़े इस तरह की घटनाओं में लगातार गिरावट को दिखाते हैं।”

राजगढ़ से 550 किलोमीटर दूर 11 फरवरी को 24 साल के दलित कॉन्सटेबल दयाचंद अहिरवार 100 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में ही घोड़ी चढ़ पाया। उन्होंने बताया, “मेरे गांव से कभी किसी दलित ने घोड़ी पर चढ़कर शादी का बारात नहीं निकाला। क्योंकि उन्हें गांव के उच्च जाति के लोगों से जान का ख़तरा होता था। किसी भी तरह की बुरी घटना से बचने के लिए मैंने पुलिस की सहायता की और सबकुछ ठीक रहा।”

छत्तरपुर के अतिरिक्त एएसपी विक्रम सिंह जो इस मामले पर नज़र रखे हुए थे, वे कहते हैं, “कुंडाल्यापुर गांव के रहने वाले दयाचंद अहिरवार, जो टीकमगढ़ में तैनात हैं, उन्हें मंदिर तक अपने शादी के बारात में घोड़ी पर चढ़ने से ऊंची जाति के लोगों ने रोक दिया था। उनका परिवार उच्च जाति के लोगों की मांग को मान गया और अहिरवार को घोड़ी से उतरना पड़ा। इसके बाद जैसी अनुसूचित जातियों मे प्रथा है, दयाचंद पैदल ही मंदिर गए।

यहां भी भेदभाव की खबर सुनकर पुलिस हरकत में आई और ना केवल दूल्हे को सुरक्षा प्रदान की। बल्कि जहां बारात को रुकवाया गया था, वहां से बारात निकलवाया। छत्तरपुर एसपी सचिन शर्मा ने भगवा पुलिस थाने के एसएचओ के के खनूजा और एएसआई रतिराम अहिरवार को कर्तव्यों का पालन ना करने के चलते सस्पेंड कर दिया। 

पुलिस कॉन्सटेबल दयाचंद अहिरवार के शादी के बारात को रोकने से दो हफ़्ते पहले वहां से 650 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सरसी गांव में 25 साल के राहुल मेघवाल को शादी के बारात में घोड़ी पर ना बैठने के लिए धमकाया गया। 

राहुल ने पुलिस और दलित संगठन की मदद ली और उन्हें शादी में न्योता दिया। 29 जनवरी को भारी पुलिस की तैनाती और दलित संगठन के लोगों की मौजूदगी के बीच वे घोड़ी चढ़े। वे सिरसा गांव के पहले दलित हैं, जो घोड़ी पर चढ़े हैं। राहुल कहते हैं, “जैसे ही मेरी शादी की खबर फैली, मेरे परिवार से कहा गया कि अगर हमने शादी का बारात निकाला और घोड़ी पर चढ़े, तो हमें एक साल के भीतर गांव निकाला दे दिया जाएगा, इसके चलते हमें शिकायत करनी पड़ी। 

अपने बेटे को दूल्हे के कपड़ों में घोड़ी पर बैठे हुए देख फकीरचंद मेघवाल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाए और उनके चेहरे आसुंओ से सरोबार हो गए। वे कहते हैं, “अपनी पूरी जिंदगी मैंने मज़दूर के तौर पर काम किया और कभी हम पर होने वाले दमन का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाया। इस शादी के साथ मुझे गर्व महसूस हो रहा है।”

राजगढ़ के राजेश अहिरवार की ही तरह राहुल ने भी घोड़ी पर बारात निकालते हुए संविधान की कॉपी अपनी गोद में रखी थी, जो भारत के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। दलित दूल्हे पर सबसे ख़तरनाक हमला सागर जिले के गनियारी गांव में हुआ।

लोधी समुदाय से प्रतिक्रिया के डर से दलित दूल्हे 27 साल के दिलीप अहिरवार ने पुलिस सुरक्षा की मांग की और दलित संगठन के लोगों को किसी भी अनचाही घटना को रोकने के लिए बुलाया। घोड़ी पर चढ़े दिलीप का बारात घंटों तक गनियारी गांव में निकाला गया, इस दौरान हज़ारों की संख्या में गांव वाले, पुलिस वाले और दलित संगठन के लोग मौजूद रहे। आस पड़ोस के गांव भी इस ऐतिहासिक बारात को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। 

लेकिन दिलीप का घोड़ी चढ़ना लोधी समुदाय के लोगों को रास नहीं आ रहा था, जो खुद पिछड़ा वर्ग में आते हैं। बारात खत्म होने के कुछ घंटों बाद एक तनातनी शुरू हो गई और लाठी-डंडों के साथ हथियारबंद दर्जनों लोगों ने दूल्हे के घर और उसके परिवार के लोगों पर हमला किया। 

हमले में घायल 25 साल के प्रमोद अहिरवार कहते हैं, “साढ़े आठ बजे बिजली जाने के बाद 100 से ज़्यादा लोग लाठी लेकर आए और घर में घुसे, फिर सबके ऊपर हमला करना शुरू कर दिया। उन्होंने 60 साल की महिला को तक नहीं छोड़ा।” 

प्रमोद का आरोप है कि हमला करने वालों ने घर के बाहर खड़ी एक कार को नुकसान पहुंचाया। सागर पुलिस ने बंडा पुलिस स्टेशन में आईपीसी की 6 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें दंगा करना भी शामिल है। एफआईआर में 8 लोगों के नाम हैं, वहीं 15 अज्ञात लोगों को भी आरोपी बनाया गया है। बंडा पुलिस स्टेशन के नगर निरीक्षक मानस द्विवेदी ने बताया कि घटना के संबंध में 6 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है।

अपने बेटे को घोड़ी पर देखना दूल्हे के पिता देवेंद्र अहिरवार के लिए कभी ना भूलने वाला मौका था। लेकिन अब उन्हें ऊंची जातियों वालों से बदले का डर है, क्योंकि ऊंची जाति वालों ने उन्हें फिर से धमकी दी है। शादी के बाद लोधी समुदाय द्वारा दी गई धमकी की तरफ इशारा करते हुए देवेंद्र अहिरवार कहते हैं कि “अब कभी कोई अहिरवार समुदाय का लड़का घोड़ी नहीं चढ़ेगा।”

राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लगते मध्य प्रदेश के जिलों में जाति आधारित भेदभाव आम है। राजगढ़ और नीमच राजस्थान की सीमा पर हैं। जबकि छत्तरपुर और सागर बुंदेलखंड क्षेत्र में पड़ता है, जो जातिगत अत्याचार के लिए बदनाम है।

फोन पर बात करते हुए आज़ाद समाज पार्टी के सुनील असत्य ने बताया कि हर साल ऐसी घटनाएं मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड, चंबल और विंध्य क्षेत्र में होती रहती हैं,जहां ऊंची जातियों और ओबीसी का प्रभुत्व है। वह कहते हैं, “लेकिन अब मामला उच्च जातियों से पिछड़ों की तरफ चला गया है। अब ज़्यादातर पिछड़ा समुदाय के लोग ही ज़्यादातर मामलों में दलितों को निशाना बना रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने खुद नीमच में उस शादी में शिरकत की थी, जिसमें घोड़ी पर चढ़ने के चलते दलित दूल्हे को धमकी दी जा रही थी। लेकिन ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, दलित संविधान का सहारा लेते हुए इनका जरूरी प्रतिकार करेंगे।

विपक्षी कांग्रेस ने भी राज्य सरकार पर इस मुद्दे पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, “राज्य में दलित और जनजातियों के खिलाफ़ हाल में काफ़ी सारे अत्याचार के मामले सामने आए हैं। सागर, नीमच और छत्तरपुर के बाद दलितों को राजगढ़ में भी घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया जा रहा है।”

सलूजा ने कहा, “राज्य सरकार को अत्याचारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और दलितों और जनजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।” 

हालांकि मध्यप्रदेश डीजीपी विवेक जोहरी ने कहा कि पुलिस ने दलितों को घोड़ी पर ना बैठने देने की कोशिश करने या उन्हें धमकी देने वालों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की है।

उन्होंने कहा, “जाति आधारित अत्याचारों से कड़ाई से निपटा जाएगा। चारों मामलों में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की है और संविधान का राज बरकरार रखा है। दो मामलों में जहां, दलित दूल्हे के घर पर हमला हुआ था, वहां पुलिस ने आईपीसी और एससी-एसटी एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत 44 लोगों को गिरफ़्तार किया है। साथ ही पीड़ित परिवारों की सुरक्षा के लिए तीन लोगों का गन लाइसेंस भी निरस्त किया है।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

MP: Despite Threats, Dalit Bridegrooms Ride Horses in Their Wedding Processions

Caste Atrocity
Casteism
Scheduled Caste and Scheduled Tribe Prevention of Atrocities Act
Dalit assertion
Rajgarh
Neemuch
Chattarpur
Sagar
Bundelkhand
Caste Violence
BR Ambedkar
Constitution of India

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