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कोविड-19 : एनबीएफ़सी के लिए आरबीआई के राहत उपायों में एनपीए का इलाज नहीं है
केंद्रीय बैंक इस बात पर फिर से चुप है कि क्या अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक एनबीएफ़सी को मोरीटेरियम दे सकते हैं जिनका 1.7 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त क़र्ज़ जून 2020 में मैच्योर हो रहा है।
पृध्वीराज रूपावत
18 Apr 2020
Translated by महेश कुमार
RBI

नई दिल्ली: ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की नकदी संबंधी चिंताओं के कई हलकों में जिक्र के बाद और कोविड-19 महामारी के प्रकोप और कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए आगामी लॉकडाउन के बीच कई तिमाहियों से उठे थे, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को कहा कि वह एक और लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ 2.0) करेगा जो 50,000 करोड़ रुपये की राशि के लिए किया जाएगा ताकि बैंक एनबीएफसी को कर्ज़ के प्रवाह की सुविधा को प्रदान कर सकें।

आरबीआई द्वारा घोषित अन्य उपायों में कोविड़-19 संबंधित वित्तीय तनाव को कम करने और बाजारों के सामान्य कामकाज को सरल बनाने के लिए पर्याप्त नकदी और इसके घटकों को बनाए रखना शामिल है।

टीएलटीआरओ 2.0 योजना के तहत, बैंकों को एनबीएफसी से प्रतिभूतियों के नए अधिग्रहण के मामले में योजना के तहत उधार ली गई राशि का कम से कम 50% रकम का निवेश करना होगा।

शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “टीएलटीआरओ 2.0 के तहत बैंकों द्वारा प्राप्त धन को निवेश ग्रेड बांड, वाणिज्यिक पत्र और एनबीएफसी के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर में निवेश करना होगा, जिसमें कुल राशि का कम से कम 50% लाभ छोटे और मध्यम आकार के एनबीएफसी और एमएफआई को जाएगा।”

आरबीआई ने कहा कि इस सुविधा के तहत एक्सपोज़र को इस शर्त के तहत उस बड़े जोखिम ढांचे के तहत भी नहीं माना जाएगा जिसमें आरबीआई से नकदी प्राप्त करने के एक महीने के भीतर इसे निवेश करना होगा।

हालांकि पहले संघर्षरत एनबीएफसी क्षेत्र के लिए किए उपाय एक राहत के रूप में है, जो महामारी फैलने से पहले से नकदी के संकट का सामना कर रहै है, केंद्रीय बैंक इस बात पर फिर से चुप है कि क्या अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक उन एनबीएफसी को मोरेटेरियम दे सकते हैं जिन पर पहले से 1.7 लाख रुपये का संयुक्त ऋण है और जो जून 2020 तक परिपक्व हो जाएगा, जिसके अदा न किए जाने का जोखिम है, इसका अनुमान रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने दिया है।

इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने एनबीएफसी को पुनर्गठन करने पर विचार किए बिना एक अतिरिक्त वर्ष तक वाणिज्यिक रियल स्टेट को दिए गए ऋणों के लिए वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की तारीख बढ़ाने की अनुमति दे दी है।

एनपीए का संकट 

बढ़ते एनपीए से जो वित्तीय संस्थानों दबाव में है उनको संबोधित करने के लिए आरबीआई ने दो विशिष्ट उपाय किए है। सबसे पहले, 27 मार्च को, आरबीआई ने ऋण देने वाले संस्थानों को 1 मार्च और 31 मई, 2020 के बीच पड़ने वाले वर्तमान बकाया के भुगतान पर तीन महीने की मोहलत देने की अनुमति दी है, इसने बैंकों को इस अवधि के दौरान परिसंपत्ति वर्गीकरण को स्थिर करने की बी अनुमति दे दी है।

दूसरे उपाय के रूप में, बड़े खातों के डिफ़ॉल्ट करने वाले मामलों के तहत, उधार लेने वालों के लिए वर्तमान में 20% का एक अतिरिक्त प्रावधान रखने की आवश्यकता होती है, यदि इस तरह के कर्ज़ को डिफ़ॉल्ट की तारीख से 210 दिनों के भीतर निपटाया नहीं जाता है तो, आरबीआई इसका समय अतिरिक्त बढ़ा कर 90 दिन कर दिया है। यह बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को राहत प्रदान करेगा जो इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन से गुजरने वाली संस्थाओं के लेनदार हैं।

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ़ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, 1,961 मामले विभिन्न नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में समाधान प्रक्रिया या दिवालियापन के समाधान के लिए लंबित हैं। इसमें से 635 मामले 270 दिनों से अधिक के समाधान की प्रक्रिया के हैं और 247 मामले 180 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं।

प्रभावी रूप से, आरबीआई ने अपने ताज़ा उपायों में एनबीएफसी से पैदा एनपीए के जोखिम को संबोधित करने से परहेज किया है।

अंग्रेज़ी में लिखे मूल आलेख को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

RBI’s COVID-19 Relief Measures for NBFCs Do Not Address NPA Concerns

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Liquidity Crisis
TLTRO 2.0
RBI

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