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पर्यावरण
एक बूढ़े पेड़ की प्रार्थना  
“सुनो...बाढ़ की चेतावनी जारी हो चुकी है”। आज 5 जून, पर्यावरण दिवस पर विशेष
न्यूज़क्लिक डेस्क
05 Jun 2021
एक बूढ़े पेड़ की प्रार्थना  

एक बूढ़े पेड़ की प्रार्थना

 

मैं जानता हूं

तुम्हारी नज़र में खटक रहा हूं

तुम्हारी राह में अटक रहा हूं

मैं वो बूढ़ा पेड़

जो आ गया हूं तुम्हारे घर के सामने

(हालांकि जब मुझे रोपा गया था तब तुम्हारा घर नहीं था)

 

देखता हूं रोज़

तुम्हे, देखते हुए

सोच रहे हो तुम

कि कैसे मिलेगा छुटकारा?

 

अड़ती है तुम्हारी कार

छुपती है तुम्हारे घर की बालकनी

दूर से नहीं दिखता खूबसूरत महंगा पेंट

सजावट

कम पड़ती है जगह

जानता हूं

 

जानता हूं

एक दिन काटकर

बेच आओगे बाज़ार में

या यूं ही कर दोगे

आग के हवाले

 

मगर तनिक ठहरो

बाढ़ की चेतावनी जारी हो चुकी है...

 

कभी भी घर के भीतर तक आ सकता है

बौराया पानी

ख़ून की लालिमा लिए

 

मैं कहता हूं

तुम मुझे काटकर बना लेना नाव

चले जाना दूर देस

मैं उफ़! तक नहीं करुंगा

नहीं पूछूंगा कुछ

 

पर अभी ठहरो

अभी मुझे अपने बच्चों का

झूला बना रहने दो

दीदी को तोड़ने दो फूल-पत्तियां

दादी मां को रहने दो

धूप-छांव का आराम

 

मत उजाड़ो

गौरैया का घोंसला

पंछियों का बसेरा

तनिक ठहरो

सुनो-

बाढ़ की चेतावनी जारी हो चुकी है

 

मुकुल सरल

(वर्ष 2011 में प्रकाशित कविता संग्रह ‘उजाले का अंधेरा’ से)

world environment day
Environment
poem
Hindi poem

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