NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
‘इतवार की कविता’: मेरी चाहना के शब्द बीज...
“…जो चाहते हैं एक पक्के ग्लास का गमला/ थोड़ी सी मिट्टी/ और जीने के लिये पानी/ चाहते हैं फूल बनकर/ जीवन में सुगंध सौंदर्य का सुवास”। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं कवि-संस्कृतिकर्मी श्याम कुलपत की चुनिंदा कविताएं। लखनऊ निवासी श्याम कुलपत अब से पहले श्याम अंकुरम के नाम से लिखते-पढ़ते और जाने जाते रहे हैं। बरसों-बरस अंकुरम नाम से ही आपकी कविताएं, कहानियां और लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। 2020 में आप एक नई शुरुआत कर रहे हैं...
न्यूज़क्लिक डेस्क
05 Jul 2020
इतवार की कविता
पेटिंग साभार : डॉ. मंजु प्रसाद

दो फूल
----------------------


अर्थ और हैसियत का असर
होता है सामाजिकता का स्तर
ज़रूरतों के दख़ल से अभावों में दबी ज़िन्दगी
चुकती जाती है शक्ति
शब्द कसमसाए
ज़बान लड़खड़ाए
आवाज़ बनने से;
घुट कर रह गए गले में
कच्चे ग्लास की मानिंद टूट गए हौसले
निराशा के घने कार्बन में
रोशनी की लौ बुझ गई !
कह रही होती हो तुम-
पक्के ग्लास कभी नहीं टूटते
और साश्चार्य देखता हूं तुम्हे 

ढूंढता हूं तुम्हारी आंखों में
रिक्तता का वह बिंदु
जिसके  प्रभाव में देख नहीं पाती
मेरी चाहना के शब्द बीज
जो चाहते हैं एक पक्के ग्लास का गमला
थोड़ी सी मिट्टी
और जीने के लिये पानी
चाहते हैं फूल बनकर
जीवन में
सुगंध सौंदर्य का सुवास
तुम्हारी हथेलियों में हो
वो पुष्प की नरम छुअन
भीनी-भीनी ख़ुशबू लिए!
सुगंधा की जोड़ी
चहके महके मन आंगन में

----------
 

बसेरा
------------------


जब भी हवा बहती है
तो लगता है
बहुत कुछ मौजूद है
तुम्हारा होना भर
निर्मित करता है
बसेरा ख़ुशबूदार
रंग बिरंगा फूलदार।

सड़क
-------------------

कुछ छोड़ जाती हैं
बीच राह
दिशा तय किये बग़ैर
कुछ बिछुड़ जाती हैं
कुछ मुड़ जाती हैं
मैं केवल सोचता हूँ
छूटी और मुड़ी सड़कों के बारे में
कैसे जाना हो फिर उस राह!

बिछुड़ी सड़कों के ख़्याल से ही
सिहरन भरी सनसनाहट होती

 

अंधेरा- 1
--------------------


ग़म क्यों होता है
यदि लोग रोशनी के
ख़िलाफ़ नहीं हैं
तुम्हारे अंदर का अंधेरा
भीषण -प्रबल क्यों है?
        
      

2.


जब भी मैं  सोचता हूँ
गहराते हुए अंधेरे के बारे में
बल्ब की मौजूदगी
आदमी के खोजी मन के
रोशन दिमाग़ी कोशिश
का आभास होता है मुझे
           

आवाज़
----------------------


मैं आवाज़ से दूर जाना चाहता हूँ
और आवाज़ मुझसे कहती है
मेरे पास रहो
मेरे बारे में सोचो, मुझे गुनो;
क्यों तुम्हारी होकर
तुम्हारी मज़बूती नहीं बन पाती
क्यों तुम्हारे अंदर का आवेश
सधी हुई दीनता
तुम्हारी अकुलाहट
सम्भली हुई लाचारी
में भीगी-भीगी
क्यों जब मैं तुम्हारी गुनगुनाहट बन रही होती
तुम्हारे भीतर के अवसाद से
गीत मेरे रूदाली बन जाते।
  

 

-    श्याम कुलपत
लखनऊ

इसे भी पढ़े : मुफ़्त में राहत नहीं देगी हवा चालाक है...

इसे भी पढ़े : तुम ज़िंदा हो पापा... : फ़ादर्स डे विशेष

इसे भी पढ़े : वचन देते हैं, हम विजयी होंगे या मौत का सामना करेंगे

इसे भी पढ़े :  चलो ख़ुद से मुठभेड़ करते हैं...

Sunday Poem
Hindi poem
poem
इतवार की कविता
कविता
हिन्दी कविता

Related Stories

वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

इतवार की कविता: वक़्त है फ़ैसलाकुन होने का 

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

...हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी

जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान

फ़ासीवादी व्यवस्था से टक्कर लेतीं  अजय सिंह की कविताएं

सर जोड़ के बैठो कोई तदबीर निकालो

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!


बाकी खबरें

  • MGNREGA
    सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’
    27 Apr 2022
    मनरेगा में बनाये गए तलाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम लखनऊ से सटे कुछ गाँवों में पहुँचे तो ‘आदर्श’ के नाम पर तालाबों की स्थिति कुछ और ही बयाँ कर रही थी।
  • kashmir
    सुहैल भट्ट
    कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं
    27 Apr 2022
    सरपंचों का आरोप है कि उग्रवादी हमलों ने पंचायती सिस्टम को अपंग कर दिया है क्योंकि वे ग्राम सभाएं करने में लाचार हो गए हैं, जो कि जमीनी स्तर पर लोगों की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए…
  • THUMBNAIL
    विजय विनीत
    बीएचयू: अंबेडकर जयंती मनाने वाले छात्रों पर लगातार हमले, लेकिन पुलिस और कुलपति ख़ामोश!
    27 Apr 2022
    "जाति-पात तोड़ने का नारा दे रहे जनवादी प्रगतिशील छात्रों पर मनुवादियों का हमला इस बात की पुष्टि कर रहा है कि समाज को विशेष ध्यान देने और मज़बूती के साथ लामबंद होने की ज़रूरत है।"
  • सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    पीपल्स डिस्पैच
    सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    रक्षा पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाले 10 देशों में से 4 नाटो के सदस्य हैं। 2021 में उन्होंने कुल वैश्विक खर्च का लगभग आधा हिस्सा खर्च किया।
  • picture
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
    27 Apr 2022
    अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License