46 साल पहले लगी इमरजेंसी की ख़ौफ़नाक छाया 2021 में कितनी भयावह है, इस पर वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की, न्यूज़क्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ से, जिन्होंने उस समय गिरफ़्तारी और जेल को झेला था। आख़िर आज मोदी सरकार में किस तरह से असहमति और अभिव्यक्ति की आज़ादी नज़रबंद है।