NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
यूएन विशेषज्ञ की रिपोर्ट का आतंकवाद-विरोधी अभियानों में मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर इशारा
यूएनएचआरसी को प्रस्तुत एक रिपोर्ट में पाया गया है कि विभिन्न सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है।
पीपल्स डिस्पैच
05 Mar 2020
UN Report

यूएनएचसीआर को संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में आतंकवाद को खत्म करने की "आड़" में बड़े पैमाने पर मानव अधिकारों के उल्लंघन का मामला पाया गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43 वें सत्र को पेश की गई वार्षिक रिपोर्ट में आतंकवाद को खत्म करने की कार्रवाई के दौरान मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर विशेष दूत फियोन्नुला नी एओलेन ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों ने लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

रिपोर्ट बताती है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की सरकारों द्वारा "आतंक से लड़ाई" के 2001 के बाद के बयानों ने दुनिया भर में आतंकवाद विरोधी या चरमपंथ विरोधी अभियानों को बहुत प्रभावित किया है। इऩ निष्कर्षों के अनुसार, अक्सर सरकारों के इन तरीकों ने नागरिक समाज समूहों और जातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया है।

नी एओलेन की रिपोर्ट में इस तरह के ऑपरेशन के दौरान किए जाने वाले घृणित तरीके का भी विवरण दिया गया है और साथ यह किस तरह "प्रतिप्रकारक" नहीं होता है इसे भी बताया गया है। यह चरमपंथ को रोकने के लिए विशिष्ट समुदायों और समूहों को लक्षित करने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में चर्चा करता है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के व्यवहार ने समुदायों और सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास की कमी पैदा की है।

इस रिपोर्ट ने उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए ऐसी नीतियों को तैयार करने का सुझाव दिया है जिसके केंद्र में मानवाधिकारों के संरक्षण को रखेगा। इसने सरकारों को सलाह दिया है कि जबकि रोकथाम महत्वपूर्ण है ऐसे में प्रभावित समुदायों को भी भरोसे में लेने की आवश्यकता है।

इसमें यह भी जोर देकर कहा गया है कि नीतियों को किसी भी संभावित "ओवररपोर्टिंग या ओवरसलेक्शन" से सावधान रहने की आवश्यकता है जो दीर्घकालिक रूप से लोगों के भरोसे पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

UNHRC
Counter-terrorism operations
human rights violations
America
United kingdom

Related Stories

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

ब्रिटेन की कोर्ट ने जूलियन असांज के अमेरिका प्रत्यर्पण की अनुमति दी

यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंध का मूल्यांकन

पड़ताल दुनिया भर कीः पाक में सत्ता पलट, श्रीलंका में भीषण संकट, अमेरिका और IMF का खेल?

लखनऊ में नागरिक प्रदर्शन: रूस युद्ध रोके और नेटो-अमेरिका अपनी दख़लअंदाज़ी बंद करें

यूक्रेन पर रूस के हमले से जुड़ा अहम घटनाक्रम

यूक्रेन की बर्बादी का कारण रूस नहीं अमेरिका है!

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

ओडिशा में जिंदल इस्पात संयंत्र के ख़िलाफ़ संघर्ष में उतरे लोग


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License