NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पुस्तकें
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
जन मुक्तियुद्ध की वियतनामी कथा- ‘हंसने की चाह में’
ये वियतनामी समाज को नयी वैचारिक हलचल से  मथ देने वाली  कहानियां हैं। इन कहानियों में  वियतनामी समाज  की धड़कनों को सुना जा सकता है। लेखक कपिलदेव द्वारा हिन्दी में अनुदित कर लाई गईं इन कहानियों की एक संक्षिप्त समीक्षा पेश कर रहे हैं कवि-लेखक श्याम कुलपत।
श्याम कुलपत
26 Jul 2020
जन मुक्तियुद्ध की वियतनामी कथा-
प्रतीकात्मक तस्वीर (पेंटिंग) साभार : डॉ. मंजु प्रसाद

हमारे भीतर साम्राज्यवाद के विरोध में मातृभूमि की मुक्ति को लेकर युद्धरत वियतनाम के बारे में एक तीव्र जिज्ञासा तब से रही है जब मैं नवीं कक्षा का छात्र था।

उत्तरी वियतनाम मुक्ति युद्ध जीत चुका था। वियतनामी योद्धाओं ने अमेरिकी साम्राज्यवादियों को अपनी  मातृभूमि से मार भगाया। देश की राजधानी हनोई में कामरेड हो ची मिन्ह के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी वियतनाम द्वारा "जनवादी वियतनाम गणतंत्र "की स्वतंत्र सम्प्रभू राज्य की घोषणा की कर दी गई। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) सहित दुनिया के शांति प्रिय जन तंत्र समर्थक देशों द्वारा  वियतनाम को एक स्वतंत्र गणतंत्र राज के बतौर मान्यता दी गई।

वियतनाम के दक्षिणी हिस्से में भी स्वतंत्रता संघर्ष अपने चरम पर चल रहा था। अख़बारों में निरंतर उनके मुक्ति संघर्ष की खबरें आ रही थी। हिंदी अख़बारों में भी महानगरों से लेकर, शहरों तक सुदूर कस्बों में भी गंवई बाजार की चाय  की दुकानों पर भी अख़बारों में वियतनाम-मुक्ति युद्ध  की खबरें मिल जाया करती थीं।

IMG-20200725-WA0010.jpg

वो सत्तर का दशक था, जब दुनिया भर में साम्राज्यवादी लूट और दमन के विरूद्ध लोग भारी मात्रा में  साम्राज्यवाद के खिलाफ  जन मुक्ति युद्ध में होश-हवास और   जोशो -खरोश के  साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। 

साम्राज्यवादी अमेरिका  के लूट और दमन के खिलाफ  दक्षिणी वियतनाम  में  मुक्ति संघर्ष के लड़ाकों ने कम्युनिस्ट पार्टी वियतनाम के नेतृत्व में निर्णायक मुक्ति युद्ध छेड़ दिया। बेमिसाल कुर्बानियां दे कर अंत में उन्होंने गौरवशाली विजय प्राप्त की ।देश को अमेरिकी लूट, से मुक्ति दिलाई। और  देश आज़ाद हुआ। आगे चल कर दक्षिणी वियतनाम का उत्तरी के संग विलय हो गया। अब एकीकृत वियतनाम विश्व पटल पर वियतनाम जनवादी गणराज्य  के बतौर स्वतंत्र संप्रभू देश है।

स्वतंत्र वियतनाम कैसा है,यह जानने की जिज्ञासा रही है कि ध्वंस पर पुनः सृजन की प्रक्रिया कैसी रही है। ध्वस्त प्राय: वियतनाम की आर्थिकी ,सामाजिकी व सांस्कृतिक -साहित्यिक-कलात्मक गतिविधियों की नवोत्थान प्रक्रिया का स्वरूप और अवधारणात्मक दिशा, किस प्रकार निर्मित हुई।

हमारे पास वियतनामी कहानियों का  एक संग्रह है जिसके हिंदी अनुवाद का नाम है 'हंसने की चाह 'है। यह अनुवाद, दुनिया  के परतंत्र  देशों में हुए मातृभूमि  जन मुक्ति संघर्षों के प्रति रूचि व उत्सुकता रखने वाले लेखक कपिल देव ने किया है। 2018 में इसका प्रथम संस्करण आया। कपिलदेव हिंदी की कथित मुख्य धारा से जुड़े चर्चा में बने रहने वाली पंक्ति के लेखक नहीं हैं। कपिलदेव का लेखन ,आम जनों  के जीवन हित व लोक संवेदनाओं के बीच बने रहने के आग्रह से सम्बद्ध है ।

सोवियत संघ की समाजवादी क्रांति व चीन की लोक जनवादी क्रांति के प्रभाव से दुनिया भर में, ख़ासकर तीसरी दुनिया के देशों में  मार्क्सवादी  लेनिन वादी क्रांतिकारी सशस्त्र मुक्ति संघर्ष के व्यापक उभार का  तूफानी दौर चला। विशेष कर हिंद चीन के देशों में उत्तरी वियतनाम ,दक्षिणी वियतनाम,कम्बोडिया,लावोस में प्रभावकारी  निर्णायक परिणाम घटित हुए। मुक्ति युद्ध के प्रभावी आवेग से लड़े गए युद्ध के फलस्वरूप, अमरिकी अत्याचार व दमन चक्र  के विरोध में वियतनामी जनता को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। वियतनाम  ,कम्बोडिया,लाओस जैसे देश स्वतंत्र हो गए। जनमुक्ति संघर्ष कामयाब हुआ।

कपिलदेव जैसे स्वतन्त्रता  प्रिय और सजग- प्रबुद्ध  लेखकों के भीतर  कौतूहल  व उत्सुकता यह मंथन करती रहती थी कि वियतनामी लेखकों द्वारा  वियतनामी भाषा "किन्ह"  में लिखा हुआ साहित्य का मर्म  एवं वेदना कितनी सघन है। दीर्घ समय की दासता से मुक्ति की चाहना  साहित्य में किस प्रकार  अभिव्यक्त हुई  है? वह जानना  चाहते थे अमरिकी सोच के प्रभाव  से इतर 'किन्ह 'भाषा  में लिखे गए वियतनामी साहित्य वियतनामी  आकांक्षा,स्वतंत्र सोच,स्वाधीन इच्छा शक्ति ,मौलिक चिंतन ,आबाध कल्पना शक्ति  व नवीन मूल्यों के प्रति आग्रह कितना तीव्र है ।

बकौल कपिलदेव  वियतनाम का साहित्य दुनिया के तमाम देशों के  लिए एक अनजानी शय बना  हुआ है। वियतनाम का सारा काम काज मातृ भाषा किन्ह में  ही होता है ।वहां अंग्रेज़ी जानने वालो की संख्या बहुत कम है।

नेट के जरिये मित्र बनी वियतनाम के एक अंग्रेज़ी स्कूल की  अध्यापिका और कवि वू वॉन ली से वियतनामी भाषा  'किन्ह ' से अंग्रेजी में अनुवाद उपलब्ध कराने का आग्रह किया। कपिलदेव के अनुसार,यह संकलन आपके हाथ में है तो इसका पूरा श्रेय वू वॉन ली को है। वह अपने अच्छे हिन्दी अनुवाद का पूरा श्रेय वियतनामी कवि वू वान ली को ही देते हैं। वह स्पष्ट शब्दों में कहते हैं, "हिन्दी अनुवाद यदि अच्छा हुआ है तो इसका पूरा श्रेय वू वॉन ली को है, 'ली' ने वियतनामी भाषा 'किन्ह' से अंग्रेजी में बहुत ही उम्दा अनुवाद किया है।”

मिली जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि यह कहानी संग्रह  हिंदी के पाठकों को पहली बार पढ़ने के लिए उपलब्ध हुआ है। जो वर्तमान में  सामयिक, प्रेरक और प्रासंगिक है। कपिलदेव के  कथनानुसार, 'यह विस्मृति के  गर्त में जा चुके,वियतनाम के दिवंगत कथाकारों की कहानियों का संग्रह भी नही है। इस संकलन के सभी लेखक न केवल जीवित हैं बल्कि समकालीन वियतनामी साहित्य के शीर्ष लेखको में  शामिल  है। 
ये वियतनामी समाज को नयी वैचारिक हलचल से  मथ देने वाली  कहानियां हैं। इन कहानियों में  वियतनामी समाज  की धड़कनों को सुना जा सकता है।

कपिलदेव के  इस कथन को ध्वनित करती  हुई संग्रह की  एक कहानी  है,'तेरहवां घाट', लेखक  हैं सुवाइंग न्गुइट मिन्ह। 

'तेरहवां घाट'

कहानी  'तेरहवां घाट' की शुरूआत कहानी  की  मुख्य पात्र सावो के  इस कथन से, 'मैंने अपने पति की  नयी शादी करा दी'। शादी कराते समय अपनी अंतर मनः स्थिति की पीड़ा की टपकन को पति की मनोदशा  में टटोलते हुए ,उसे प्रतीत होता है,'जब हमारी शादी हुई थी, मेरे पति बहुत खुश दिख रहे थे।' लेकिन इस बार उनके चेहरे पर खुशी और दुख का मिला जुला भाव तैर रहा था। वे काफी असहज और परेशान थे ।

दूसरी ओर पति की शादी कराने के पश्चात सावो की मनःस्थिति गाढ़ी पीर भरी हो जाती है। नयी दुल्हन जैसे उनके (पति के) कक्ष में दाखिल होने आयी, उससे पहले ही वह अपना समान एक बैग में समेट  पिछले दरवाजे से शार्ट कट निकल आई। बैग को सीने से लगाए।

वह ज़ार-ज़ार रोते हुए और नदी के नाव को रोकने के लिए चिल्लाते हुए नदी के घाट की ओर दौड़ पड़ी। वियतनामी मान्यता में यह माना जाता है कि एक औरत की तकदीर समुद्र में तैरती नाव के जैसी  है, माना जाता है कि एक स्त्री को जिन्दगी में बारह प्रकार के  अनिश्चयों या घाटों  से गुजरना  होता है। सावो  रूलाई के घटाटोप में स्व से संवाद करती हुई बुदबुदाती है,लेकिन मेरी तकदीर में एक और भी दुर्भाग्य जुड़ा था --तेरहवां घाट!

एक प्रकार से देखा जाए तो कहानी ' तेरहवाँ घाट' अमरीकी साम्राज्यवाद का वियतनाम पर बलात कब्जा और कब्जे के खिलाफ वहाँ की देशभक्त जनता मुक्ति संघर्ष के सैनिकों का पुरजोर और सक्रिय समर्थन कर रही थी। अमरीकी सेना द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे रासायनिक हथियारों के प्रयोग से आम जनता उनकी होने वाली संतानें, बड़े हो रहे बच्चे, खेत,फसलें,जंगल और जलाशय सब प्रदूषण ग्रस्त हो रहे थे। पैदा हो रहे  बच्चे विकृति -विकार व विकलांगता के शिकार थे। इन  सब स्थितियों में पिस रही थी वहां की  औरतें  और मासूम बच्चे। कहानी की सावो इसी अमरीकी विनाश तांडव  से त्रस्त और पीड़िता है। सावो का कैशोर्य, प्रेम, उसका वैवाहिक जीवन और मातृत्व सुख सब कुछ विनाशकारी युद्ध ने तहस-नहस कर दिया था।

प्रेम वाया मुक्ति युद्ध

वियतनामी कथा संग्रह  की पहली कहानी है ,'प्रेम का जंगल'। जिसके लेखक हैं, ट्रंग ट्रग डिन्ह। डिन्ह हाई स्कूल की शिक्षा के बाद वियतनाम की सेना में भर्ती हो गए। सेना में रहते हुए आर्ट्स कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। ट्रंग ट्रग डिन्ह टे-गुवेन के  मोर्चे पर अमरीकी फौजों का कहानी 'तेरहवाँ घाट' की तरह ही 'प्रेम का जंगल' के मुख्य पात्र कामरेड थिन की मृत्यु लड़ाई के दौरान मोर्चे पर अमरिकी फौजों द्वारा आसमान से  गिराई गई  डाईआक्सिन नामक जहर की चपेट में आ जाने से हो गई थी। हाई और थिन दोनों वर्षों तक एच पंद्रह यूनिट में साथ रह चुके थे। थिन और हाई एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे।

...बाद में उसे पता चला था  कि थिन यूनिट के काम से रूका हुआ है। वह मरा नहीं है। जब वह लौट कर आया तो हाई ने महसूस किया कि अब वह पहले वाला थाई नहीं है। अब वह हाई से बहुत कम मिलता  था।

हैग के अलग होने के बाद हाई से थिन के अग्रिम दस्ते की भेंट हो गई। थिन और हाई एक दूसरे को पा कर चकित रह गये थे। सभी कामरेड थिन और हाई की मुहब्बत से परिचित थे। एकांत पाते ही दोनों एक दूसरे पर चुंबनो की बौछार करते रहे। वे इस कदर  लिपट गये थे जैसे कोई भी ताकत उन्हें जुदा नही कर सकती। हाई खुद को थिन की बाँहों में खो देने के लिए बेताब हो रही थी और थिन था कि  रोमांच के अतिरेक से पत्ती की तरह कांप रहा था। उसे जाने क्या अचानक सूझा कि वो जल्दी-जल्दी कपड़े पहन कर जंगल की ओर भाग गया। हाई से बिना एक भी शब्द कहे। थिन हाई का पहला प्यार था। पवित्र, नि:स्वार्थ और समर्पित। दोनों एकांत में जब भी एक दूसरे के तरफ बढ़ते और जब दोनों उत्तेजना के चरम पर पहुंचते, उसके पहले ही हाई के प्रति सतर्क और भयभीत हो जाता था। वो नहीं चाहता था कि डाईआक्सिन जहर जिससे वह संक्रमित था उसका कोई दुष्परिणाम हाई पर पड़े। 

थिन के घर पहुंचने पर पता चला कि युद्ध के दुष्परिणाम थिन की बीवी का पीछा नहीं छोड़ रहे थे। उसकी संतानों में भी उस जहर का प्रभाव चला आया है। उसके दोनों बच्चे जन्म जात विकृति से ग्रस्त हैं। थिन की बीवी तो बांस की छड़ी जैसी दुबली और कमजोर है। इतनी कमजोर की उन अभागे बच्चों की देख भाल भी उसके लिये मुश्किल काम था। हाई की रूलाई फूट पड़ी। अपनी बेटी और दामाद से कहा, इनकी  पीड़ा बांटने के लिए अपनी रिटायर्मेंट पेंशन और सैनिक बुक इन्हें देना चाहती हूँ--- जंगल के उस आखिरी ढलान पर जिसे अंकल थिन प्यार का जंगल कहा करते थे।"

चाउ नदी के घाट पर : लोरियां सुनते सैनिक

कहानी 'तेरहवां घाट'के लेखक सुवाइंग न्गुइट मिन्ह वियतनाम सेना की साहित्यिक पत्रिका के संपादकीय विभाग से सम्बद्ध रहे हैं। संग्रह में उनकी दूसरी कहानी 'चाउ नदी के घाट पर' अमेरिका से युद्धरत वियतनाम की एक और प्रेमकथा है। वैसे संग्रह 'हंसने की चाह में 'की सभी कहानियों का केंद्रीय मर्म जनमुक्ति, क्रांति, जनतंत्र, प्रेम, साथी भावना, संघर्ष और स्वतंत्रता के लक्ष्य से ही सम्बद्ध एवं प्रेरित हैं। कहानी  में युद्ध की विनाशलीला है तो नवनिर्माण हेतु कठोर श्रम का जज़्बा भी है।

अमरीकी साम्राज्यवाद के विरूद्ध  संघर्ष करते हुए असंख्य वियतनामी युवक-युवतियों ने अपने सपने,अपना सौंदर्य,अपनी भावना व प्रेम को गंवाया है,उसे उत्सर्ग किया है। वियतनामी धरती के निर्मम  दोहन और विनाशलीला ने, प्रतिक्रिया स्वरूप  उनके बहादुर विप्लवी युवा मन में   स्वतंत्रता ,स्वसृजन एवं नव निर्माण की महान आकांक्षा को लेकर उद्वेलित और प्रेरित किया।

.....'गावा' फूलों का मौसम था। चाऊ नदी के घाट तक जाने वाले रास्ते पर गुड़हल की लाल लाल पत्तियां बिखरी हुई थीं। अमरीकी बमों के फटने  और एण्टीएयर क्राफ्ट हथियारों के चलने की आवाज़ें रेलवे स्टेशन की तरफ से आती हुई सुनाई दे रही थीं। नीले आसमान में बारूद के धुएं घुमड़ रहे थे। नदी के बीच में बमों से नष्ट हो  चुके हुए पुल का एक हिस्सा बरबादी की गवाही करता हुआ दिख रहा  है। एक लड़की नाव चला रही थी। वह अपने प्रेमी को  विदा करने जा रही थी। उसका प्रेमी विदेश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने जा रहा था। तभी  अचानक बी-52 बमवर्षक विमानों का एक झुण्ड उनके सर के उपर से गुजरा। खतरा भांप कर पतवार चलाना छोड़ लड़की ने प्रेमी की छाती में अपना सिर घुसा लिया।

वही प्रेमी जिसकी छाती में बमवर्षक विमानों के अपने  सर के ऊपर से गुजरने पर डर कर अपने को सुरक्षित महसूस कर रही थी,वही अब उसका नहीं रहा कहानीकार सुवाइंग न्गुइट मिन्ह 'मे' आंटी के प्रेम के दुखांत का बहुत ही सटीक नैरेटिव रचा है।

इस अतियथार्थ नैरेटिव से स्पष्ट होता है कि सुविधापूर्ण और व्यवस्थित कार्यलक्ष्य और सफेदपोश जीवन शैली और जब सामने स्वस्थ्य सुंदर और युवा शिक्षक जैसा सुरक्षित नौकरी करने वाली मंगेतर हो तो। ऐसे में 'मे' आंटी के ग़म में कोई अपनी जवानी क्यों नष्ट करे " कोई किसी पर मर जाए ये कहां देखा है" की तर्ज पर सैन अंकल मृत 'मे 'आंटी के लिये भला क्यों पड़े रहते । अफ़वाहें आती रहीं और शोर का हिस्सा बनकर गुम होती रहीं।

 'में ' आंटी व  'क्वैग' अंकल की लीजेण्ड लव स्टोरी मुक्ति और बराबरी की संघर्ष गाथा बन कर उमंग व तरंग का संगीत रच रही थीं। सच यह था कि 'मे' आंटी के नवनिर्मित घर से उठने वाली लोरियों का संगीत  सुने बिना घाट पर तैनात सैनिकों को रात में नींद नहीं आती थी।        

'कहानी-ढलान पर सुन्दरता :उत्सर्ग का रंगमंच ।                                                     

बूढे चिन का कहना था कि लाटरी का धंधा बहुत ही फायदेमंद है। कमाई के साथ-साथ इसके और भी बहुत सारे फायदे हैं। एक तो इसके जरिये लोगों को अपने भाग्य आजमाने का मौका मिलता है, और दूसरे ,इस धंधे की ही महिमा है कि वर्षों से बिछड़ी हांग जैसी अभिनेत्री से इतने दनों बाद हमारी फिर से मुलाकात हो सकी। चिन, घूम-घूम कर शरबत बेचने वाली बूढ़ी महिला का तीन गलियों से पीछा करता आ रहे थे। वह हांग थी। वही हांग जिससे छियालिस साल पहले उनकी भेंट  हुई थी। इन छियालिस सालों ने उसकी जवानी एवं सुन्दरता दोनों को  छीन लिया था।  जब हांग ने  शरबत बेचने की गुहार लगाई तो चिन को चिर सुनी,जानी-पहचानी आवाज उनकी प्रिय अभिनेत्री हांग की ही थी। चुचूके होठों से संगीत की मधुर धुन की तरह निकलते हर शब्द  चिन को उतने ही  मीठे और मुलायम लग रहे थे। हांग में पहले जैसी सुन्दरता जरा सी भी नहीं  रही। उसका चेहरा  मुरझा गया था और सुराहीदार गरदन लटक गई थी। चिन भर्राए गले से चिल्लाये,  ''हांग!!" उसका मन रोने रोने को हो आया था। लपक कर उसने हांग का  हाथ थाम लिया था और अपने साथ चलने को कहा। हांग ने पूछा, 'वह उसे  कहां ले जा रहा है। 'आफ्टरनून हाउस', चिन ने कहा। हांग ने बाज़ार से कुछ ले लेने को सोचा तो चिन ने मना दिया। चिन को पता लग गया था, माल-असबाब के नाम पर हांग के पास कंधे पर रखे शरबत से भरी एक बाल्टी और गली के छोर, तालाब के किनारे एक टूटी सी झोपड़ी के अलावा कुछ और नहीं है।

"आफ्टर नून हाउस", अधेड़ और बूढ़े नर्तक-नर्तकी गवैयों और नाटक-नौटंकी के उन कलाकारों के रहने के लिए बनाया गया था, जिनकी कला  का अब कोई मोल नहीं  रह गया था। सिर्फ चिन ही उसमे अपवाद था। ''आफ्टर नून हाउस'' को स्थापित करने में जिन लोगों ने सहयोग किया था, उनमें एक चिन भी था। यह नाम भी चिन का ही दिया हुआ था। एक बार चिन  से किसी ने कहा कि इसे 'आफ्टर नून हाऊस' के बजाय 'सनसेट हाउस' या ऐसा ही कोई  नाम दिया जाता तो अधिक अच्छा रहता। चिन ने स्पष्ट किया , 'आफ्टर नून' का मतलब है कि सूरज अभी डूबा नहीं है, बल्कि चमक रहा है। इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि इस हाउस में रहने वाले कलाकार अभी भी अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। कुल मिलाकर मतलब यह है कि उनका जीवन अभी बेमतलब नहीं हुआ है। यहां ज़िन्दगी अभी बची हुई है। 'आफ्टर नून हाउस ' का खर्च स्थानीय निकाय और जनता के आर्थिक सहयोग से  चलता था। सादा खाना खा कर वे लोग अपना गुजारा कर लेते थे। मांस मछली तो कभी-कभी ही मयस्सर होता था। आफ्टर नून हाउस के सभी कलाकार इतने से ही खुश थे कि उन्हें अपने खाने रहने की चिंता नहीं करनी थी। वे मुतमईन हो कर लोगों के बीच अपनी कला का  प्रदर्शन कर सकते थे। उनके लिए प्रेरक व संतोषप्रद अनुभूति थी कि उनकी कला की कद्र करने वाले दर्शक और श्रोताओं की उनकी प्रस्तुति में सुरुचिपूर्ण  व उल्लेखनीय उपस्थिति होती आईं  है।  

हांग को चिन तब से जानता है जब वह कुल  इक्कीस वर्ष की थी। लोगों के अनुसार चिन अपनी अमीरी और ऐय्याशी के लिए पूरे इलाके में बदनाम ताल्लुकेदार का बेटा था। वह दक्षिणी वियतनाम के एक कम्यून-प्रमुख न्ग्यूएन का नाती था। उसका बचपन बड़े शान और अमीरी में बीता था। मगर तमाम लाड़-प्यार में पले चिन का स्वभाव अपने बाप दादों से एकदम भिन्न था। एक बार ग्राम देवता के पूजन महोत्सव पर चिन के पिता ने 'साइगोन' नामक मण्डली को नाच गान के लिए बुलाया। मिस हांग इसी मण्डली में काम करती थीं। कहते हैं मिस हांग इतनी सुन्दर थीं कि उन्हें देख कर चिन पहली ही नजर में उनके रूप का दीवाना हो गया। मिस हांग की सुन्दरता ने उसे इतना बेचैन कर दिया कि वह अपने को रोक नहीं सका और सीधे हांग से ही पूछ बैठा।---क्या आप शादी करना पसंद करेंगी?' ''ओह ,बिल्कुल नहीं। मैंने तय कर लिया है कि अपना पूरा जीवन गीत-संगीत में ही बिताउंगी।" चिन को अब और आगे पूछने की हिम्मत नहीं हुई। अगले दिन जब मंडली वापस हुई,तो मालूम हुआ कि उस अमीर घराने का वह नवजवान भी मण्डली के साथ-साथ चला आया। 

चिन एक नया सदस्य ही नहीं बल्कि गीत संगीत के हुनर से अनजान था। उससे अभिनय या संगीत जैसा कोई काम नहीं लिया जा सकता है। अतःउसे मंच सजाने परदा उठाने-गिराने का काम दिया गया। मंडली के कलाकार उससे सेवा टहल का भी का भी काम लेते थे। जब भी कोई उसे बुलाता,एक आदेश पालक की भांति तुरंत बोल उठता--'जी '। वह मंच पर ही सोता। उसका खाना भी मंच पर भेज दिया जाता। जब तक मिस हांग मंच पर आ या जा रही होती, वह किसी तकलीफ की परवाह नहीं करता। इस प्रकार सामंती परिवार का नवजवान कला रसिक, अपने को वर्गच्युत करके मजदूर बन जाता है।

ये वर्गांतरण मिस्टर चिन के प्यार ने कराया था। जैसा कि कहानी से विदित है कि चिन अपने विलासी पिता के विपरीत खुले दिल का एक उदार आदमी था।वह अपने खानदान के सामन्ती मूल्यों और आध्यात्मिक आदर्शों से प्रभावित और प्रेरित था।

मण्डली में चिन के शामिल होने के दो वर्ष बाद हांग के दिल में चिन के प्रति नरमी या  दया  का भाव दिखने लगा था, इसलिए कि चिन ने उसके पेट में पल रहे बच्चे का स्वयं को पिता बता कर हांग को संकट से उबार लिया था। इस बीच 'साईगान' मण्डली  का वातावरण बदलने लगा। कारण कि अमरीकी सेना ने उसके सदस्यों पर निगरानी शुरू कर दी थी। हालत यहां तक पहुंच गई  कि कॉफी बार भी पुलिस के कारतूसों के गंध से भरते जा रहे थे।

इसी बीच अचानक एक दिन सुबह पुलिस ने चिन को गिरफ्तार कर लिया। चिन जैसे सीधे साधे आदमी  की गिरफ्तारी से बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। पुलिस को संदेह हो गया था कि 'साईगान' मण्डली में कुछ क्रान्तिकारी भी शामिल हो गये हैं। पुलिस ने दस दिनों तक पूछताछ के बाद चिन को छोड़ दिया गया। इन दस दिनों के बाद हांग से दुबारा मिलने में उसे छियालिस साल लग गये। चिन की गिरफ्तारी के बाद साईगान मण्डली के लोग तितर बितर हो गये थे। हांग ने चिन के छूट कर आने की प्रतीक्षा नहीं की। अफवाह फैली थी कि हांग का अभिनेता  प्रेमी थुआन्ह कान्ह गिरफ्तार हो गया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद हांग अपने बच्चे के साथ लापता हो गई क्योंकि वह अपने और बच्चे के लिए प्रेमी का मनोबल तोडना नहीं चाहती थी।

.....वह एक चांदनी रात थी। आफ्टरनून हाउस में पुराने दोस्तों से मिल कर हांग ने अपने बीते दिनों की पूरी कहानी बतायी। उसकी दुख भरी दास्तान सुन कर सबकी आंखों में आंसू आ गये क्योंकि वे सब खुद भी उसी प्रकार के दुर्दिनों को झेल चुके थे।

वो मार्च की पूर्णिमा की रात थी। उस रात हांग के गाने की बारी थी। गम्भीर रूप से बीमार होने के बावजूद हांग गाने की जिद कर रही थी। चिन ने उनके चेहरे को सजाया और कुर्सी पर बैठने में मदद की। कुर्सी पर बैठे बैठे वह गाने लगी। गाते-गाते हांग अचेत हो गईं। उनका  सिर एक ओर लुढ़क गया। गीत के भावों को बर्दाश्त करना उनके लिए मुश्किल साबित हुआ। चिन उन्हें उठाकर बिस्तर पर लाया। वह अचेत पड़ी थी। आफ्टरनून हाउस के सदस्य और आस-पड़ोस के लोगों ने उनके सम्मान में गीत गाये। आखिर वे अच्छी आर्टिस्ट थीं! खबर पाकर उनके पुराने परिचित और संबंधी जुटने लगे। अचेता अवस्था में उन्होंने सुना उनका बेटा उन्हें 'माँ' कह कर पुकार रहा है, उनके माँ-बाप उन्हें उनकी ग़लतियों के लिए माफ़ कर रहे हैं।  उनके कानों में   वो शब्द सुनाई पड़े जिसे सुनने के लिए उन्हें पूरे पचास वर्ष इंतजार करने पड़ा। एक लड़की जो गीत संगीत को अपना प्रोफेशन बनाने के लिए घर बार छोड़कर बाहर निकल गई थी, आज इतने दिनों बाद अपनी यादों में तितलियाँ पकड़ रही थी। मां-बाप,घर परिवार और समाज का व्यवहार उनके प्रति सामान्यतः अनुकूल नहीं रहा होता है।

अधिकांश एशियाई देशों में रंग मंच के  कलाकारों के प्रति एक सम्मान रहित प्रशंसा का भाव रहता है। वे उनके प्रेरक संवादों से उद्वेलित होते हैं,उनके प्रणय -प्रीति से भीगे अभिनय को देखकर विमुग्ध हो जाते हैं ,उनका हास्य व्यंग्य प्रधान अभिनय और संवाद अदायगी का लहजा ,उनके तनावपूर्ण उदास जीवन में,उनके मुख पर  हंसी के ठहाके और मधुर मुस्कराहट फैला देता है । उनका दुखांत अभिनय दर्शकों में करूणा भाव भर देता है । यह सिर्फ वियतनाम में  कहानी 'आफ्टरनून हाउस' 'की 'साईगान' मण्डली ही नहीं  है जो नौटंकी और लोककला शैली में अपना अभिनय और गान प्रस्तुत करते आ रहे थे ,जो अमरीकी पुलिस का दमन और अपने  'अपनों' की, उपेक्षा, अवहेलना एवं ताने झेलते रहे हैं। पूरबी गोलार्द्ध में अब भी 'रंगमंच' (थियेटर) प्रतिष्ठाजनक प्रोफेशन (पेशा) नहीं है।

'साईगान' मण्डली की 'हांग' और 'चिन' की त्रासदी आज भी बदस्तूर जारी है।

 'किस्सा गो' को 'अंकल टू बंग के कॉफी बार में' एक दिन चिन से भेंट हो गई। वह निहायत ही दुबला- पतला लेकिन साफ दिल वाला एक दयालु आदमी लग रहा था। चिन ने कहा " यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उस संगीत मंडली के साथ रहने का मौका मिला ,जिसमें हांग जैसी खूबसूरत अभिनेत्री थी और सबसे बड़ी बात तो यह है कि नाटक में हमको हांग के बेटे का मुख्य चरित्र निभाने का मौका मिला। इससे भी बड़ी बात यह है कि हांग ने,जिसे मैंने जीवन भर दिलो जान से चाहा ,आखिरी समय में जब मैंने 'माँ '(अभिनय में) कहकर  पुकारा तब मेरी पुकार सुनी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराईं।

ठोस जमीनी यथार्थ की तिक्त अनुभूतियों ने चिन के 'इश्क-ए-हक़ीक़ी' को 'इश्क-ए-मजाज़ी' में तब्दील कर दिया। उनके इश्क की कश्ती मायूसी के मुहाने पर जा रही थी और उसका हश्र 'न ख़ुदा ही मिला, न विसाले सनम' की नाकामयाबी में मुकम्मल होना था, उसी वक्त चिन की 'सदा' को हांग ने सुना और चिन की ओर देख कर मुस्कुराई। चिन को हांग की नज़र और मुस्कान में अपने इश्क का खुदा मिल गया!!

कहानी संग्रह में अन्य कहानियां हैं 'सवालिया निशान '(ले.डो आन ली ),'क्योंकि मैं औरत हूं '(बे बान),'यह सब मौसम का करिश्मा था' (होंग होआंग),'करन्ट ऑफ नाश्टाल्जिया '(एन गुयेन यन गाक टू), असीमित मैदान।

ये सभी कहानियां वियतनाम के लोगों के असीम साहस उनके संघर्षशीलता ,वहां के समाज में स्त्री की बराबर की सहभागिता,स्त्री शक्ति घर ,परिवार,सेना,शासन प्रशासन में उनकी उपस्थिति और भागीदारी को दर्शाती है। वहां के पुरूष उनके सखा और सहयात्री जैसा उनके जीवन साथी हैं।

----
पुस्तक का नाम : हंसने की चाह में ( वियतनामी कहानियों का संकलन)
अनुवादक : वू वान ली ( 'किन्ह ' भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद)
हिन्दी अनुवाद: कपिलदेव
प्रकाशक : परिकल्पना प्रकाशन,लक्ष्मी नगर ,दिल्ली-110092

Vietnamese story
American imperialist
United Nations organisation
Soviet Union
Socialist Revolution
China
People's Revolution
Book

Related Stories

किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है

लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्याप्त खामियों को उजाकर करती एम.जी देवसहायम की किताब ‘‘चुनावी लोकतंत्र‘‘

‘शाहीन बाग़; लोकतंत्र की नई करवट’: एक नई इबारत लिखती किताब

पृथ्वी पर इंसानों की सिर्फ एक ही आवश्यक भूमिका है- वह है एक नम्र दृष्टिकोण की

सतत सुधार के लिए एक खाका पेश करती अंशुमान तिवारी और अनिंद्य सेनगुप्ता की किताब "उल्टी गिंनती"

रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार 2021, 2022 के लिए एक साथ दिया जाएगा : आयोजक

तरक़्क़ीपसंद तहरीक की रहगुज़र :  भारत में प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन का दस्तावेज़

समीक्षा: तीन किताबों पर संक्षेप में

मास्टरस्ट्रोक: 56 खाली पन्नों की 1200 शब्दों में समीक्षा 

विशेष : सोशल मीडिया के ज़माने में भी कम नहीं हुआ पुस्तकों से प्रेम


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License