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चीन के ख़िलाफ़ टैरिफ़ लगाकर अमेरिका ने व्यापार नियमों का उल्लंघन किया : डब्ल्यूटीओ
व्यापार संस्था ने पाया कि हाल के टैरिफ़ को सही ठहराने के लिए अमेरिका चीन की कथित अनुचित व्यापार कार्यप्रणालियों और प्रौद्योगिकियों की चोरी के पर्याप्त सबूत नहीं दे पाया।
पीपल्स डिस्पैच
17 Sep 2020
(फोटो: निकोलस असफोरी / एएफपी)

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की चीन विरोधी विदेश नीति को एक बड़ा झटका देते हुए विश्व व्यापार संगठन ने फैसला सुनाया कि व्यापार युद्ध शुरू करने वाले ये टैरिफ वास्तव में अवैध हैं। डब्ल्यूटीओ के एक पैनल ने मंगलवार 15 सितंबर को ये फैसला सुनाया कि अमेरिका ने 2018 में लगाए गए इस टैरिफ को उचित ठहराने के लिए चीन द्वारा कथित तौर पर अनुचित व्यापार व्यवहार या तकनीकी चोरी का एक ठोस मामला पेश नहीं कर सका है।

चीन की एक अपील के बाद ये फैसला आया है। चीन ने डब्ल्यूटीओ से 2018 और 2019 के बीच यूएस-चीन व्यापार विवाद के बढ़ने के बाद मध्यस्थता करने को कहा था। डब्ल्यूटीओ ने कहा कि अमेरिका में व्यापारिक संस्थानों और व्यक्तियों पर हाल के टैरिफ को 1994 में मारकेश समझौता और अन्य समझौते के तहत जिन्हें विश्व व्यापार संगठन ने गठन किया था उसे व्यापार विवादों से निपटने की अनुमति नहीं दी जाती है।

चीन सरकार ने इस फैसले को स्वीकार किया है क्योंकि इसने अपना रुख स्पष्ट कर दिया था कि इसने मौजूदा व्यापार मानदंडों और कार्यप्रणालियों के उल्लंघन नहीं किया। हालांकि ट्रम्प प्रशासन ने इस व्यापार संगठन के ख़िलाफ़ कड़ी निंदा की। पैनल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने कहा कि "डब्ल्यूटीओ चीन की हानिकारक कार्यप्रणालियों को रोकने के लिए पूरी तरह से अयोग्य है।"

साल 2018 में जनवरी और मार्च महीनों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीनी सरकार द्वारा अनुचित व्यापार का आरोप लगाते हुए चीनी वस्तुओं पर विभिन्न सीमा शुल्क की घोषणा की। इसके चलते अप्रैल 2018 में चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर भी टैरिफ लगा दी गई जिसके परिणामस्वरुप सैकड़ों अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं पर दोनों ओर से भारी टैरिफ लगी दी गई।

मीडिया में प्रचलित इस व्यापार युद्ध ने साल 2019 और 2020 के बीच अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों को हिला कर रख दिया और अमेरिकी सहयोगियों द्वारा चीन-विरोधी अभियान में बदल दिया गया। लेकिन मौजूदा पैनल के फैसले में यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया जैसे पारंपरिक सहयोगियों ने भी इस टैरिफ और बाधाओं के अमेरिकी तर्क का विरोध किया।

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