NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या संजीव चुतर्वेदी को लोकपाल में नियुक्ति मिल सकेगी?
भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी अथक लड़ाई का हवाला देते हुए व्हिसलब्लोअर नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी ने खुद को लोकपाल में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने का अनुरोध किया है।
वर्षा सिंह
19 Nov 2019
sanjeev chaturvedi

इस समय उत्तराखंड के हल्द्वानी में कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (रिसर्च) पद पर तैनात आईएफएस ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी ने लोकपाल को पत्र लिखकर संस्था की इनवेस्टिगेशन विंग में नियुक्ति का अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 312 के तहत ये उनका संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य है कि वे केंद्र में भी अपनी सेवाएं दें।

सिस्टम में रहकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने वाले और रैमन मैग्सेसे सम्मान हासिल करने वाले ऑल इंडिया सर्विसेस के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से फोन पर बात की थी। भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें हटाने के लिए कई पत्र लिखे। सूचना के अधिकार से इस तरह के दस्तावेज मिले हैं।

तीन वर्ष से रिसर्च विंग में संजीव चतुर्वेदी

हरियाणा से लेकर दिल्ली एम्स तक भ्रष्टाचार के कई बड़े और हाई प्रोफाइल मामले उजागर करने वाले संजीव चतुर्वेदी को उत्तराखंड में ही रिसर्च विंग में डाल कर साइड लाइन किया गया है। जबकि राज्य में कंजरवेटर रैंक की 11 पोस्ट हैं, जिनमें से 9 फील्ड की पोस्ट हैं। दो अन्य पोस्ट हैं, जिसमें से एक रिसर्च से जुड़ी है। फील्ड की दो पोस्ट इस समय खाली भी है। बावजूद इसके उन्हें तैनाती नहीं दी गई। जबकि उनसे तीन साल जूनियर अधिकारी को प्रमोट कर एक साथ फील्ड के दो सर्किल दिये गये हैं। सीनियर होने के बावजूद संजीव की पोस्टिंग फील्ड में नहीं की गई। क्या उनकी ईमानदार और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली छवि से सरकारों को डर लगता है?

लोकपाल की जांच शाखा में नियुक्ति के लिए लिखा पत्र

आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने लोकपाल को पत्र लिखकर कहा है कि इस वर्ष अगस्त महीने में तीन वर्ष का 'कूलिंग ऑफ' अंतराल पूरा कर लिया है। अगस्त 2016 में उन्हें उत्तराखंड में तैनाती मिली थी। अब उन्होंने लोकपाल में इन्क्वायरी/ इनवेस्टिगेशन विंग में प्रतिनियुक्ति मांगी है।
letter 1.JPG
पत्र में उन्होंने लिखा है कि लोकपाल नई बनी संस्था है, जिसमें इस समय वेकेंसी हैं। उत्तराखंड से फॉरेस्ट सर्विस के 13 अधिकारी केंद्र में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। इस समय राज्य के 9 अधिकारी केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, तो चार पद रिक्त हैं। लोकपाल में भी वेकेंसी है। तो अपनी योग्यताओं के हिसाब से वे इस पद के लिए सही उम्मीदवार हैं।

उत्तराखंड कैडर के 2002 बैच के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने इससे पहले दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय में विशिष्ट अधिकारी के पद पर प्रतिनियुक्ति मांगी थी। जिसे केंद्र ने यह कहकर ख़ारिज कर दिया था कि उन्होंने तीन साल का कूलिंग पीरियड पूरा नहीं किया।

लोकपाल को भेजे गए पत्र में संजीव चतुर्वेदी ने लिखा है कि भ्रष्टाचार इस समय हमारे देश की एक बड़ी समस्या है। उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ अपने 17 वर्ष के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई की। हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड में अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने कई अहम मामले उजागर किए। पत्र में इसका सिलसिलेवार उल्लेख भी किया गया है। हालांकि संजीव को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा।

प्रधानमंत्री ने संजीव को हटाने के लिए किया था फ़ोन

सूचना के अधिकार से मिला पत्र संख्या- वी-16020/36/2009-एमई-I के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से एम्स में केंद्रीय सतर्कता अधिकारी पद पर तैनात संजीव चुतर्वेदी को हटाने के लिए फ़ोन पर बात की थी।

वर्ष 2012-14 के बीच एम्स में सीवीओ पद पर रहते हुए संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार से जुड़े कई अहम मामले उजागर किए थे। उनमें से कुछ मामलों का जिक्र उन्होंने लोकपाल को लिखे पत्र में भी किया है।

जेपी नड्डा ने एम्स सीवीओ पद से हटाने के लिए लिखे थे पत्र

सूचना के अधिकार के तहत मिले पत्रों में जेपी नड्डा का पत्र भी है। जिसमें उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से संजीव चतुर्वेदी को हटाने की सिफारिश की थी। उन्होंने लिखा था कि सीवीओ पद पर रहते हुए संजीव द्वारा बिठाए गए जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई को रोक कर, नए सीवीओ के विवेक से उन पर फ़ैसला लिया जाए और स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में लाया जाए।

24 जून 2014 को जेपी नड्डा द्वारा तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पत्र लिखा गया कि संजीव चतुर्वेदी की एम्स सीवीओ पद पर नियुक्ति में गडबड़ी हुई है। इस बारे में उन्होंने इससे पहले के स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद को भी दो बार पत्र लिखा था(वर्ष 2013 और 2014 में)।
2_7.JPG
उसमें लिखा गया कि डेप्यूटी सेक्रेटरी पद के अधिकारी को सतर्कता का जिम्मा नहीं दिया जा सकता, न ही इस तरह की जिम्मेदारी के लिए उन पर भरोसा किया जा सकता है। जेपी नड्डा ने डॉ हर्षवर्धन को कहा कि वे संजीव चतुर्वेदी को एम्स सीवीओ पद से हटाएं। इसके बाद ही वर्ष 2014 में संजीव को जबरन छुट्टी पर भेजा गया। केंद्र में दो साल तक कोई जिम्मा नहीं दिया गया और वर्ष 2016 में उत्तराखंड भेजा गया। डॉ हर्षवर्धन को भी स्वास्थ्य मंत्री पद से हटाकर जेपी नड्डा को ये ज़िम्मेदारी दे दी गई।

19 मुकदमे, कई तबादले और रैमन मैग्सेसे सम्मान

19 मुकदमे झेलने वाले संजीव चतुर्वेदी के पक्ष में वर्ष 2008 से 2014 के बीच रिकॉर्ड 4 बार राष्ट्रपति ने निर्देश दिए। कैबिनेट की अप्वाइंटमेंट कमेटी ने उनका कैडर हरियाणा से बदलकर उत्तराखंड कर दिया। आईबी ने भी अपनी रिपोर्ट में माना कि भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाने के चलते संजीव चतुर्वेदी को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

केंद्र सरकार ने जुर्माने के रूप में दिए 25 हज़ार रुपये

इसी वर्ष अगस्त महीने में नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने संजीव चुतर्वेदी को जुर्माने के रुप में 25 हजार रुपए दिये। केंद्र सरकार ने उनके कैरेक्टर सर्टिफिकेट में ज़ीरो नंबर दिए थे। जिस पर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने इसे प्रतिशोध में लिया गया फ़ैसला माना।

सोशल मीडिया पर संजीव के पत्र की चर्चा

संजीव चतुर्वेदी की लोकपाल की इनवेस्टिगेटिव विंग में नियुक्ति के अनुरोध के बाद सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है। ट्विटर पर एक तरफ कुछ लोग चतुर्वेदी के पक्ष में बातें कर रहे हैं, वहीं एक धड़ा उनके खिलाफ़ भी है।

लेकिन ये तो तय है कि लोकपाल में नियुक्ति पाने के सटीक दावेदार होने के बावजूद संजीव चतुर्वेदी की यहां तक आने की राह आसान नहीं होगी।

Sanjeev Chaturvedi
Lokpal
Uttrakhand
Corruption
IFS officer Sanjeev Chaturvedi
Ramon Magsaysay Award

Related Stories

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

उत्तराखंड के ग्राम विकास पर भ्रष्टाचार, सरकारी उदासीनता के बादल

उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!

बिहार में 1573 करोड़ रुपये का धान घोटाला, जिसके पास मिल नहीं उसे भी दिया धान

बढ़ती हिंसा और सीबीआई के हस्तक्षेप के चलते मुश्किल में ममता और तृणमूल कांग्रेस

दिल्ली से देहरादून जल्दी पहुंचने के लिए सैकड़ों वर्ष पुराने साल समेत हज़ारों वृक्षों के काटने का विरोध

बिहारः बड़े-बड़े दावों के बावजूद भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम नीतीश सरकार

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव परिणाम: हिंदुत्व की लहर या विपक्ष का ढीलापन?

उत्तराखंड में बीजेपी को बहुमत लेकिन मुख्यमंत्री धामी नहीं बचा सके अपनी सीट

EXIT POLL: बिग मीडिया से उलट तस्वीर दिखा रहे हैं स्मॉल मीडिया-सोशल मीडिया


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान
    24 May 2022
    वामदलों ने आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बेरज़गारी के विरोध में 25 मई यानी कल से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है।
  • सबरंग इंडिया
    UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध
    24 May 2022
    संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दावा किया है कि देश में 10 करोड़ से ज्यादा आदिवासी और दूसरे समुदायों के मिलाकर कुल क़रीब 30 करोड़ लोग किसी ना किसी तरह से भोजन, जीविका और आय के लिए जंगलों पर आश्रित…
  • प्रबीर पुरकायस्थ
    कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक
    24 May 2022
    भारत की साख के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में अकेला ऐसा देश है, जिसने इस विश्व संगठन की रिपोर्ट को ठुकराया है।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी मस्जिद की परछाई देश की राजनीति पर लगातार रहेगी?
    23 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ज्ञानवापी मस्जिद और उससे जुड़े मुगल साम्राज्य के छठे सम्राट औरंगज़ेब के इतिहास पर चर्चा कर रहे हैं|
  • सोनिया यादव
    तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?
    23 May 2022
    पुलिस पर एनकाउंटर के बहाने अक्सर मानवाधिकार-आरटीआई कार्यकर्ताओं को मारने के आरोप लगते रहे हैं। एनकाउंटर के विरोध करने वालों का तर्क है कि जो भी सत्ता या प्रशासन की विचारधारा से मेल नहीं खाता, उन्हें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License