NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
ग्रामीण भारत की पीड़ाः मनरेगा में काम के लिए 9 करोड़ लोगों ने पिछले साल आवेदन दिया
सिमटती कृषिगत आय, कम होती मज़दूरी और काम की कमी बड़ी संख्या में लोगों को इस योजना के तहत काम करने के लिए मजबूर कर रही है।
सुबोध वर्मा
11 Apr 2018
मनरेगा

ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ वर्ष 2017-18 में लगभग 9 करोड़ मज़दूरों को ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस-मनरेगा) में काम करने के लिए आवेदन कर चुके हैं। ये ग्रामीण कार्य बल का 42% है। जिन लोगों ने इसके लिए आवेदन किया उनमें से करीब 1.4 करोड़ लोग (लगभग 15%) वास्तव में काम कर रहे 7.6 करोड़ में शामिल हो गए हैं।

 

पीएम नरेंद्र मोदी के शासन काल में एमजीएनआरईजीएस में काम तलाशने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई। साल 2014 में लगभग 7.3 करोड़ से बढ़कर 2017-18 में क़रीब 9करोड़ हो गई है। इस तरह काम तलाशने वालों की क़रीब 23% की बढ़ोतरी हुई।

 

इस ग्रामीण रोज़गार योजना के तहत काम के लिए निम्न भुगतान किया जाता है और यह अनियमित और अस्थिर है। यह बेहद ही कठिन काम होता है जैसे सड़कें बनाना, तालाब का खुदाई और इसी तरह के अन्य काम। इसके बावजूद ग्रामीण भारत के लोग बड़ी संख्या में लगातार इसमें काम की तलाश कर रहे हैं। लगातार दूसरे साल अच्छे मॉनसून और रिकॉर्ड स्तर तक कृषिगत उत्पादन के बावजूद काम तलाशने वालों की इतनी बड़ी संख्या यह बताती है कि ग्रामीण भारत में काम की कितनी कमी है।

 

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के सहयोगी लोगों को आश्वस्त करते रहे हैं कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, प्रत्येक वर्ष 1 करोड़ नौकरियां दी जाएगी और किसान अपनी उत्पादन लागत के मुक़ाबले 50% अधिक क़ीमत प्राप्त करेंगे। काम की तलाश करने वाले लोगों के ये आंकड़ें बताते हैं इन वादों में से कुछ भी पूरा नहीं किया गया है।

 

हाल ही में 31 मार्च को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में इस योजना के तहत मज़दूरी को संशोधित किया था जिसे 1 अप्रैल से प्रभावी होना था। औसत प्रतिदिन मज़दूरी मात्रRs.182.9 है। वर्ष2017-18 में औसतन लोगों को इस योजना के तहत केवल 46 दिन ही का काम मिला। यह बेहद कम कार्य दिवस है जिसमें 7.6 करोड़ लोग रहे और उन्होंने अपना जीवनयापन किया।

 

दो राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में एमजीएनआरईजीएस के तहत मज़दूरी राज्य में कृषि मजदूरों के वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी से कम है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु में एमजीएनआरईजीएस के तहत मज़दूरी राज्य के न्यूनतम मज़दूरी से ज़्यादा है जहां न्यूनतम मज़दूरी पहले ही काफी कम है। बता दें कि महाराष्ट्र में 1 9 4 रुपए और तमिलनाडु में 1 9 5रुपए है।

 

बीजेपी शासित राज्यों जैसे बिहार, उत्तराखंड, झारखंड सहित कम से कम 10 राज्यों में एमजीएनआरजीएस मज़दूरी में कोई संशोधन नहीं हुआ है। यह पिछले साल की तरह ही जारी रहेगा। जबकि कुछ अन्य बीजेपी शासित राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में मज़दूरी मात्र 2 रुपए प्रति दिन के हिसाब से बढ़ा दी गई है!

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक़ वर्ष 2017-18 में इस योजना के तहत केवल 46 दिन का काम उपलब्ध कराया गया था। हालांकि जिस अधिनियम के तहत काम दिया जाता है उसके अनुसार 100 दिन का काम मुहैया कराना है।

इस पृष्ठभूमि में देखा गया है कि औसत रूप से मज़दूरी प्रतिदिन 183 रुपए और प्रतिवर्ष केवल 46 दिन का काम मिलने के बावजूद काम की मांग लगातार जारी है। सरकार की पूर्ण विफलता का इससे बेहतर सबूत नहीं हो सकता है कि वह न्यूनतम मज़दूरी और उत्पादन की कम क़ीमत का समाधान करने में असफल रही है जिसके चलते किसान लगातार विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं और यहां तक कि वे आत्महत्या तक कर लेते हैं।

वास्तव में ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग अल्पकालिक तौर पर दूसरे दूसरे काम करते हैं। कटाई के मौसम में वे कटाई और इससे संबंधित काम करते हैं। ये काम वे अपने घर के पास या दूसरे राज्यों में जहां वे काम के लिए पलायन करते हैं वहां करते हैं। वे कुछ महीनों के लिए निर्माण परियोजनाओं, या ईंट भट्टों या अन्य ऐसे काम कर सकते हैं। वे पास के शहरों साइकिल रिक्शा चलाने, घरेलू नौकरों के रूप में काम करने या इसी तरह के अन्य काम के लिए जाते हैं। और जब उनके इलाक़े में एमजीएनआरईजीएस के तहत काम उपलब्ध हो जाता है तो वे इसमें दो या तीन सप्ताह तक काम करते हैं।

ये सरकार शुरूआत से ही इस योजना की विरोधी थी और इसके तहत मिलने वाले फंड को वर्ष 2014-15 में घटा दिया, यह महसूस किया कि ऐसा करना राजनीतिक रूप से असंभव है और तब से इस योजना की समर्थक बन गई। हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ये कहते हुए अपनी पीठ थपथपाई कि उसने वर्ष 2013-14 के मुक़ाबले इस योजना के लिए वित्त पोषण में 37% तक की वृद्धि की थी। 2017-18 में ये वृद्धि मुख्य रूप से पिछले साल के ख़र्च की क्षतिपूर्ति करने के लिए थी। इस सरकार द्वारा इस योजना की सराहना करना भी एक कलंक जैसा है क्योंकि भारत में आज की दो समस्याओं - बेरोज़गारी और कृषि आय में कमी को समाप्त या कम करने में पूरी तरह असफल रही है।

 

 

मनरेगा
ग्रामीण रोज़गार योजना
नरेंद्र मोदी
भाजपा

Related Stories

भारतीय अर्थव्यवस्था : हर सर्वे, हर आकंड़ा सुना रहा है बदहाली की कहानी

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

रोज़गार में तेज़ गिरावट जारी है

अविश्वास प्रस्ताव: विपक्षी दलों ने उजागर कीं बीजेपी की असफलताएँ

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

चुनाव से पहले उद्घाटनों की होड़

अमेरिकी सरकार हर रोज़ 121 बम गिराती हैः रिपोर्ट

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License