NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फिलिस्तीन
इज़रायल को फिलिस्तीनी पत्रकारों और लोगों पर जानलेवा हमले बंद करने होंगे
टेली एसयूआर और पान अफ्रीकन टीवी समेत 20 से ज़्यादा प्रगतिशील मीडिया संस्थानों ने वक्तव्य जारी कर फिलिस्तीनी पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की हत्या की निंदा की है।
पीपल्स डिस्पैच
13 May 2022
Shireen Abu Akleh

बुधवार, 11 मई को अल-जजीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह (51) की इज़रायली सुरक्षाबलों ने उस वक़्त हत्या कर दी थी, जब वे कब्जाए गए वेस्ट बैंक क्षेत्र में जेनिन शरणार्थी कैंप में हो रही छापेमारी को कवर कर रही थीं। उन्होंने प्रेस जैकेट पहन रखी थी, जिससे साफ़ समझ में आ रहा था कि वे पत्रकार हैं। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें सीधे चेहरे पर गोली मारी गई। एक और दूसरे फिलिस्तीनी पत्रकार और अकलेह के साथी अली अल-समौदी को भी गोलियां लगी थीं। उन्हें पीठ पर गोलियां मारी गई थीं, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत अब ख़तरे से बाहर है।

बड़े स्तर के मानवाधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन की प्रतिक्रिया में दुनियाभर के प्रगतिशील मीडिया संस्थानों के समूह ने निम्नलिखित वक्तव्य जारी किया है।

"हम, दुनिया के अलग-अलग हिस्से के प्रगतिशील समाचार प्रकाशक, फिलिस्तीन की ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाली इज़रायली फौज़ द्वारा हमारी साथी शिरीन अबु अकलेह की नृशंस हत्या की निंदा करते हैं। शिरीन अल-जजीरा की एक कुशल और संवेदनशील पत्रकार थीं, वे जेनिन शरणार्थी कैंप में इज़रायली सुरक्षाबलों द्वारा हिंसक छापेमारी को कवर कर रही थीं, तभी उनके और अन्य पत्रकारों के ऊपर इज़रायली स्नाइपर सैनिकों ने हमला किया, जबकि साफ़ समझ में आ रहा था कि वे पत्रकार हैं। शिरीन ने हेलमेट और बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखी थी, उन्हें चेहरे पर गोली मारकर मारा गया। उनके साथी अली अल-समौदी को भी गोली मारी गई, जिसमें वे घायल हो गए, लेकिन अब उनकी हालत सुधर रही है।"

"इज़रायली अधिकारियों और मुख्यधारा की मीडिया द्वारा अकलेह की हत्या की जिम्मेदारी इज़रायली फौज़ से स्थानांतरित करने की कोशिशें निंदनीय हैं। ऊपर से उनकी हत्या न ही कोई अपवाद है, न ही कोई दुर्घटना है। पिछले कुछ सालों में फिलिस्तीनी पत्रकारों को लगातार इज़रायली राज्य निशाना बना रहा है और उन्हें इज़रायली फौज के हाथों हिंसा का शिकार होना पड़ता है। हमें यासेर मुर्तजा याद हैं, जो फिलिस्तीनी वीडियोग्राफर और फोटो पत्रकार थे, जिनकी हत्या गाजा पट्टी में 7 अप्रैल, 2018 को ग्रेट मार्च ऑफ़ रिटर्न को कवर करते की गई थी। हम फिलिस्तीन के लोगों के साथ खड़े हैं, जो इज़रायली नस्लभेद करने वाली सत्ता का लगातार प्रतिरोध कर रहे हैं, हम उन पत्रकारों के साथ भी हैं, जो यह कहांनियां सुनाने के लिए अपना जीवन दांव पर लगाते हैं।"

साझा वक्तव्य जारी करने वाले संस्थान:

फिलिस्तीन कॉर्निकल

अजनास प्रेस पोपाइल अयीस्येन (हैती)

एजेंसिया लैटिनो अमेरिकाना डि इनफॉर्मेशियन- एएलएआई

अल-मायादीन (लेबनान)

एआरजी मेडियोस (अर्जेंटीना)

बार्रिकाडा टीवी (अर्जेंटीना)

ब्राजील डे फाटो (ब्राजील)

ब्रेकथ्रू न्यूज़ (अमेरिका)

कैपाइर

कार्टागो टीवी (अर्जेंटीना)

कोलंबिया इंफॉर्मा (कोलंबिया)

डॉयलोगॉस डो सुल (ब्राजील)

एल सिउडाडानो (चिली)

द इनसाइट न्यूज़पेपर (घाना)

जर्नलिस्ट लिवरेस (ब्राजील)

काव्साचुन न्यूज (बोलिविया)

लिबरेशन न्यूज (यूएसए)

मदार

मल्टी पोलारिस्टा

नेटिवा (बोलिविया)

न्यूज़क्लिक (भारत)

न्यू फ्रेम (दक्षिण अफ्रीका)

पान अफ्रीकन टेलिविजन (घाना)

पीपल्स डिस्पैच

प्रेसांजा इंटरनेशनल प्रेस एजेंसी

रेडियो रेजिस्टांस (हैती)

रिपोर्टेरॉल डि इंवेस्टिगेसियन (होंडुरास)

रेसुमेन लैटिनोअमेरिकानो (अर्जेंटीना)

शैडोप्रूफ (यूएसए)

टेले एसयूआर टीवी

इज़रायल को पत्रकारों और फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ़ अपने जानलेवा हमलों को तुरंत रोकना चाहिए।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Israel Must Stop its Murderous Attacks on Palestinian Journalists and People

इसे भी पढ़े : अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

Al-Jazeera
Arrests in Palestine
extrajudicial killing of Palestinian
Human Rights in Palestine
israeli apartheid
Israeli occupation forces
Press freedom
Shireen Abu Akleh

Related Stories

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!

भारत में ‘वेंटिलेटर पर रखी प्रेस स्वतंत्रता’, क्या कहते हैं वैकल्पिक मीडिया के पत्रकार?

प्रेस स्वतंत्रता पर अंकुश को लेकर पश्चिम में भारत की छवि बिगड़ी

Press Freedom Index में 150वें नंबर पर भारत,अब तक का सबसे निचला स्तर

प्रेस फ्रीडम सूचकांक में भारत 150वे स्थान पर क्यों पहुंचा

नागरिकों से बदले पर उतारू सरकार, बलिया-पत्रकार एकता दिखाती राह


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License