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भारत
राजनीति
सोनिया गांधी ने मनरेगा बजट में ‘कटौती’ का विषय लोकसभा में उठाया
सोनिया गांधी ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया। सरकार ने उनके आरोपों को तथ्यों से परे करार देते हुए कहा कि मनरेगा के लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन हुआ है।
भाषा
01 Apr 2022
sonia gandhi

नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के बजट में कटौती की गई है जिसके कारण मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में सरकार को पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित करना चाहिए।

सोनिया गांधी ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया।

सरकार ने उनके आरोपों को तथ्यों से परे करार देते हुए कहा कि मनरेगा के लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन हुआ है, जबकि पूर्व की संप्रग (यूपीए) सरकार के समय न सिर्फ आवंटन कम था, बल्कि ‘भ्रष्टाचार’ भी होता था।

सोनिया गांधी ने शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाते हुए कहा, ‘‘मनरेगा का कुछ साल पहले कई लोगों ने मजाक उड़ाया था, उसी मनरेगा ने कोविड और बार-बार के लॉकडाउन में प्रभावित करोड़ों गरीब परिवारों को ठीक समय पर सहायता प्रदान करते हुए सरकार के बचाव में एक सार्थक भूमिका निभाई है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘मनरेगा के लिए आवंटित बजट में लगातार कटौती की जा रही है, जिसके कारण काम मिलने और समय पर मजदूरी के भुगतान की कानूनी गारंटी कमजोर पड़ रही है। इस साल मनरेगा का बजट 2020 की तुलना में 35 प्रतिशत कम है, जबकि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। बजट में कटौती से कामगारों के भुगतान में देरी होती है, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय ने ‘फोर्स्ड लेबर’ माना है।’’

उनके मुताबिक, इसी वर्ष 26 मार्च को, दूसरे सभी राज्यों ने इस योजना के तहत अपने खाते में नकारात्मक संतुलन दिखाया है, जिसमें कामगारों को भुगतान का लगभग 5,000 करोड़ रुपये बकाया है।

सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘हाल में सभी राज्यों से कहा गया है कि उनके सालाना श्रम बजट को तब तक मंजूरी नहीं दी जाएगी, जब तक कि वे लोकपालों की नियुक्ति और सोशल ऑडिट से संबंधित शर्तों को पूरा नहीं करेंगे। सोशल ऑडिट को निश्चित रूप से प्रभावी बनाया जाना चाहिए, लेकिन इसे लागू करने में कमियों को आधार बनाकर, इस योजना के लिए पैसे का आवंटन रोककर कामगारों को दंडित नहीं किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह अनुचित है और अमानवीय है। सरकार को इसमें बाधा डालने के बजाय इसका समाधान निकालना चाहिए।

सोनिया गांधी ने सरकार से आग्रह किया, ‘‘मनरेगा के लिए उचित बजट का आवंटन किया जाए, काम के 15 दिनों के भीतर कामगारों को मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित हो तथा मजदूरी भुगतान में देरी की स्थिति में कानूनी तौर पर मुआवजे का भुगतान भी सुनिश्चित हो। इसके साथ ही राज्यों की वार्षिक कार्य योजनाओं को बिना किसी देरी के तुरंत निर्धारित किया जाए।’’

इसके बाद ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘‘वह (सोनिया) देश की एक वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने सदन में जो विषय रखा है वो पूर्ण रूप से तथ्यों से परे है। साल 2013-14 में (संप्रग सरकार के समय) मनरेगा का 33 हजार करोड़ रुपये का बजट था, जो आज एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।’’

खेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘संप्रग के समय आवंटित बजट खर्च नहीं होता था। लेकिन मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया। इनके (कांग्रेस) समय सिर्फ भ्रष्टाचार होता था।’’

इस दौरान कांग्रेस सदस्य हंगामा करने लगे।

इस पर ठाकुर ने कहा, ‘‘ये लोग मंत्री की ओर से जवाब देने का विरोध कर रह है। यह दिखाता है कि विपक्ष सिर्फ राजनीति करता है।’’

बाद में पीठासीन सभापति रमा देवी ने व्यवस्था देते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने शून्यकाल में जो विषय उठाये हैं, सरकार उसका उत्तर देना चाहे, तो दे सकती है।

शून्यकाल के दौरान पश्चिम बंगाल से जुड़ा एक विषय सदन में रखते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सोनिया गांधी की बात का जवाब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दिए जाने पर आपत्ति जताई।

उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग के मंत्री जवाब दे सकते हैं, लेकिन यहां तो खेल मंत्री ग्रामीण विकास मंत्री की तरफ़ से बयान दे रहे हैं।

sonia gandhi
lok sabha
MNREGA

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