NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
अपराध
भारत
राजनीति
अनुसूचित जातियों की गरिमा और आत्म सम्मान पर कब बात होगी?
भले ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत का उन्मूलन कर दिया गया है और इसे दंडनीय अपराध माना गया है पर आज भी जाति आधारित छुआछूत बदस्तूर जारी है।
राज वाल्मीकि
17 Nov 2020
अनुसूचित जातियों की गरिमा और आत्म सम्मान पर कब बात होगी?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में वर्चस्वशाली जाति के तीन लोगों ने एक दलित युवक को इतना पीटा कि उसका हाथ टूट गया। उस युवक की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने आरोपियों से मटके से पानी भरकर पी लिया था। इसके बाद उसके 3 घरवालों को भी पीटकर घायल कर दिया।

थाना नाराहट के गांव उमरिया निवासी संतोष अहिरवार ने बताया कि वह गत 1 नवंबर 2020 को मनक की दुकान पर गया था। वहां उसे प्यास लगी तो उसने जग उठाकर दुकान पर रखे मटके से पानी भरकर पी लिया। इससे नाराज होकर मनक ने अपने बेटे प्रकाश के साथ मिलकर उससे गाली गलौज और मारपीट की।

आरोप है कि मनक ने जातिसूचक शब्‍दों का प्रयोग कर संतोष का हाथ तोड़ दिया। इसके बाद दबंग उसके घर पहुंच गए और चाचा, चाची सहित घर के अन्य परिजनों से भी मारपीट की, जिसमें तीन लोग घायल हो गए।

भले ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत का उन्मूलन कर दिया गया है और इसे दंडनीय अपराध माना गया है पर आज 70 साल बाद भी जाति आधारित छुआछूत बदस्तूर जारी है। उपरोक्त घटना तो एक उदाहरण मात्र है।

कहां हैं छुआछूत की जड़ें?

कोई भी बच्चा जब पैदा होता है तो वह मासूम होता है। उसका दिमाग कोरे कागज़ की तरह होता है। वह जिस माहौल में पला-बड़ा होता है और परिवार वाले उसे जैसा संस्कार देते हैं वह उसे वैसा ही ग्रहण करता है। वह अपने माता-पिता, परिवार के लोगों और अपने पास-पड़ोस से जो सीखता है वैसी ही उसकी मानसिकता बनती जाती है।

हमारे यहां छुआछूत को जाति और जन्म से जोड़ दिया गया है। जो बच्चा जिस जाति में पैदा हुआ वह आजीवन उसी जाति का माना जाएगा। ब्राह्मणवादी व्यवस्था कुछ ऐसी है कि जाति के आधार पर ही बच्चे को यह पता चलता है कि वह ऊंची जाति का है या नीची। वह दूसरी जाति के साथ छुआछूत और भेदभाव करेगा या इसे सहेगा।

जात-पांत और छुआछूत की भेदभावकारी मानसिकता हजारों सालों से जारी कैसे है? क्यों है? क्या हैं इसके स्रोत? जब हम इस पर विचार करते हैं तो पाते हैं कि पुराने धर्मग्रंथों में इसके स्रोत निहित हैं। इन धर्मग्रंथों के प्रति सम्मान रखने वाले अन्धविश्वास की हद तक इन पर विश्वास करते हैं। वे कभी तार्किक ढंग से इनकी विचारधारा पर विचार नहीं करते कि इनमे कुछ गलत भी हो सकता है।

ताजा उदाहरण मनुस्मृति का लिया जा सकता है। 30 अक्टूबर 2020 को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में अभिताभ बच्चन द्वारा सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाडा विल्सन से एक प्रश्न पूछा गया। प्रश्न था – 25 दिसंबर 1927 को डॉ. बी.आर. आंबेडकर और उनके अनुयायियों ने किस धर्मग्रन्थ की प्रतियां जलायीं थीं? इसके चार विकल्प थे – विष्णुपुराण, भगवदगीता, ऋग्वेद और मनुस्मृति। सही उत्तर मनुस्मृति था। विल्सन ने भी वही दिया।

अमिताभ बच्चन ने बताया कि बाबा साहेब ने जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता को वैचारिक रूप से उचित ठहराने के लिए प्राचीन धर्मग्रन्थ मनुस्मृति की निंदा की और उसकी प्रतियों को जलाया।  

यह ऐतिहासिक सत्य है और इसमें गलत कुछ भी नहीं है। पर मनुस्मृति के प्रति अंधश्रद्धा रखने वालों को यह बुरा लगा और उन्होंने लखनऊ और  लातूर में अमिताभ बच्चन के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए FIR दर्ज करा दी।

इसके निहितार्थ स्पष्ट हैं कि मनुस्मृति को मानने वाला वर्ग छुआछूत और जातिगत भेदभाव को बरकरार रखना चाहता है। गौरतलब है कि मनुस्मृति में दलितों और स्त्रियों को गुलाम बनाए रखने के लिए विधान किए गए हैं और ब्राह्मणों को सर्वोच्च वर्ग का दर्जा दिया गया है।

क्या कहते हैं छुआछूत और भेदभाव झेलने वाले

ऐशबाग लखनऊ के रहने वाले अनुसूचित जाति के चालीस वर्षीय अजय बताते हैं कि यहां शौचालय साफ़ करने वाली हमारी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। उन्हें घर के बर्तनों में चाय या पानी नहीं दिया जाता। उनके लिए एक अलग कप या गिलास रख दिया जाता है कि तुम इसमें चाय या पानी पीकर इसे साफ करके घर के बाहर के किसी हिस्से में रख दो ताकि अगले दिन इसे दुबारा उपयोग कर सको।

उनका मेहनताना भी उन्हें दूर से फेंक कर दिया जाता है या फिर एक स्थान पर रख दिया जाता है ताकि सफाई कर्मचारी महिलाएं उसे उठा लें और देने वाले का हाथ उनसे न छुए। अगर कोई सफाई कर्मचारी पुरुष या महिला किसी सवर्ण के घर में आवश्यक कार्य से या गलती से भी अंदर घुस गई तो उसको जानवरों की तरह जाति सूचक गालियाँ देकर दुत्कार घर से निकाल दिया जाता है। और यह चेतावनी दी जाती है कि ‘अपनी जात मे रहो – औकात में रहो!’

उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर मुसलमान भी ब्राह्मणवादी व्यवस्था के पोषक हैं। चालीस वर्षीय सफाई कर्मचारी रामदास अलीगढ़ में रहते हैं। उनका कहना है कि ऊंची जाति के हिन्दुओं की तरह मुसलमान भी हमसे छुआछूत करते हैं। अपने घर में नहीं घुसने देते और न अपनी चारपाई पर बैठने देते हैं।

फर्रुखाबाद निवासी सामाजिक कार्यकर्ता पैतीस वर्षीय कृष्ण गोपाल कहते हैं कि आज भी फर्रुखाबाद में कोई नाई सफाई कर्मचारियों के बाल नहीं काटता है। धोबी को मालूम हो कि ये सफाई कर्मचारी है तो वह उसके कपड़े प्रेस नहीं करता। कहने का मतलब यह है कि जाति उच्च निम्न क्रम पर आधारित है और दलित जातियां भी एक दूसरे से उच्च-निम्न क्रम के आधार पर भेदभाव करती हैं।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रहने वाली अनुसूचित जाति की पैंतीस वर्षीया रिनिका कहती हैं कि हम शहर में रहते हैं इसलिए बड़ी कही जाने वाली जाति के लोग हम से सीधे-सीधे छुआछूत और भेदभाव नहीं करते पर पीछे-पीछे करते हैं। जैसे हमारे घर में दूसरी जाति के किराएदार रहते हैं तो उनसे लोग कहते हैं कि तुम जमादारों (सफाई करने वालों) के घर में किराए पर क्यों रहते हो। जमादारों के घर में रहोगे तो तुम्हारी क्या इज्जत रहेगी। कौन तुम्हारी इज्जत करेगा?

इस मनुविधान का क्या निदान

इस ब्राह्मणवादी व्यवस्था या कहें मनुविधान के कारण अछूत कही जाने वाली जातियों के साथ छुआछूत, भेदभाव और अत्याचार की घटनाएं आज भी निरंतर जारी हैं। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से हाथरस प्रकरण के पश्चात एक के बाद एक दलित महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की बर्बर घटनाएं हुईं ये इस बात का प्रमाण है कि वर्चस्वशाली जातियां आज भी मनुविधान को जारी रखना चाहती हैं।

वे चाहती हैं कि अनुसूचित जाति के लोग हमेशा उनकी सेवा भाव में लगे रहें। और वे इनकी महिलाओं का, इनका शोषण करते रहें और ये उफ्फ तक न करें। चुपचाप सहते रहें। पर लोकतंत्र और संविधान के इस दौर में अब हालत बदल रहे हैं। इसलिए वर्चस्ववादी ताकतों में बौखलाहट है। जिन धर्मग्रंथों के आधार पर वे इन अछूतों पर शासन करते थे। उन्हें जलाने की जानकारी सबको हो रही है।

बाबा साहेब जिस धर्मग्रंथ को जला चुके हैं और संविधान जिन भेदभावकारी विचारों का निषेध कर रहा है। छुआछूत का उन्मूलन कर रहा है। देश के सभी नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व का पाठ पढ़ा रहा है। सभी जाति और धर्मों के लोगों की समान मानवीय गरिमा और सबके आत्म-सम्मान की बात कर रहा है। उसे देखकर ये लोग विचलित हो रहे हैं। बौखला रहे हैं। दलितों का उत्पीड़न करना और अमिताभ बच्चन पर FIR दर्ज करना इसी बौखलाहट को दर्शाता है।

लेखक सफाई कर्मचारी आन्दोलन से जुड़े हैं। विचार निजी हैं।

caste discrimination
scheduled tribes
Scheduled Caste
untouchability
Manusmriti
caste politics
Attack on dalits
Constitution of India
B.R. Ambedkar
Constitutional right
Fundamental Rights
KBC
Amitabh Bachchan

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

गुजरात: पार-नर्मदा-तापी लिंक प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने की तैयारी!

कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

दलितों में वे भी शामिल हैं जो जाति के बावजूद असमानता का विरोध करते हैं : मार्टिन मैकवान

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में सैलून वाले आज भी नहीं काटते दलितों के बाल!

दलित किशोर की पिटाई व पैर चटवाने का वीडियो आया सामने, आठ आरोपी गिरफ्तार

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License