NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अमेरिका में दक्षिणपंथ का उभार
इस नफरत की राजनीति के खिलाफ बढ़ रहा जन आक्रोश ही वैकल्पिक राजनीति की ज़मीन तैयार कर रहा है।
ऋतांश आज़ाद
22 Aug 2017
अमेरिका में दक्षिणपंथ का उभार

हाल ही में अमेरिका के शार्लोटसविल में हुई घटना अमेरिका में दक्षिणपंथ के उभार की कहानी बयां करती है. गौर से देखने पर साफ़ नज़र आता है कि भारत में बढ़ रही दक्षिणपंथी राजनीति इससे काफी मिलती जुलती है. अगर इतिहास के पन्नो को पलट कर देखें तो दोनों में काफी समानतायें हैं .                

अमेरिका में नस्लीय हिंसा नयी नहीं है.  'कूक्लुक्सक्लान'  नामक संगठन सालों से नस्लवाद की राजनीति के लिया जाना जाता रहा है ये संगठन 20 वीं सदी की शुरुआत से ही अमेरिका में सक्रिय रहा है, और एक ज़माने में देश की राजनीति में इसका बड़ा दखल रहा है। अफ्रीकन अमेरिकन लोगों के खिलाफ नफरत, अमरीकी राष्ट्रवाद और ईसाई चरमपंथ इसकी राजनीति के केंद्र में रहे हैं.इस संगठन की शुरुआत 1885 में हुई और धीरे धीरे इसने अमेरिका के दक्षिणी प्रांतों अपनी पकड़ बनायी.इसका राजनैतिक आधार मध्यवर्गीय श्वेत अमेरिकी रहे है , जिन्हें अश्वेतों की बराबरी नामंजूर है ।                                                      

भारत में भी हिंदूवादी संगठनो की मुसलमानों और दलितों के खिलाफ राजनीति इसी तरह की रही है । आरएसएस ने भी अपना आधार मध्यवर्ग और उच्च जातियों में बनाया है , जो  दलितों के  उभार  को पचा नहीं पाते । उच्च जाति के लोगों की इस असुरक्षा के भाव को आरएसएस ने बहुत बखूबी से भुनाया है।

दोनों देशों का नस्लवाद और जातिवाद के खिलाफ प्रतिरोध का इतिहास भी काफी मिलता जुलता है.वहां मार्टिन लूथर किंग, मैलकम एक्स और ब्लैक पैंथर पार्टी का उभार हुआ तो भारत में दलित प्रतिरोध के सुर अम्बेडकरवादी और वामपंथी आंदोलनों ने तेज़ किये।

यहाँ तक कि ब्लैक पैंथर पार्टी की राजनीति से प्रेरित होकर भारत में दलित पैंथर पार्टी बनी । इस पार्टी ने 70 के दशक में काफी उग्र रूप से जातिवाद का विरोध किया और इस आन्दोलन को शिव सेना की दक्षिणपंथी राजनीति ने कमज़ोर किया । 

आज अश्वेतों के खिलाफ लगातार बढ़ रही हिंसा और ट्रम्प के सत्ता में आने के आने के  बाद इसको संरक्षण मिलना , बहुत कुछ भारत की कहानी से मिलता जुलता है। यहाँ गौरक्षकों द्वारा चलायी जा रही आतंकी मुहिम में साफ़ तौर पर गरीब दलितों और मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और इन्हें सरकार का पूरा संरक्षण प्राप्त  है । वैसे ये राजनैतिक ताक़तें काफी समय से भारत और अमेरिका में मौजूद रही हैं, पर हाल के सालों में इन्होने काफी तेज़ी से सर उठाया है. 

दक्षिण पंथ का ये उभार दुनिया भर में 2008 की अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद से हुआ है। 2008 के बाद लोगों के बेघर होने और बेरोज़गारी बढ़ने की वजह से असुरक्षा की भावना बढ़ गयी। लोगों कि इस छटपटाहट  का फायदा उठा कर दक्षिणपंथियों ने  इन आर्थिक कारणों से ध्यान हटाने के लिए नस्ल और जाति के मुद्दों को उठाया । इस कोशिश ने पुराने समाज की व्यवस्था को कायम रखने और मज़दूर वर्ग की कमर तोड़ने का काम किया है। इस तरह उन्होंने उदारवादी पार्टियों को सत्ता से हटाया और खुद वहां काबिज़ हुए ।

इस नफरत की राजनीति के खिलाफ बढ़ रहा जन आक्रोश ही वैकल्पिक राजनीति की ज़मीन तैयार कर रहा है। इस आक्रोश को भुनाने के लिए दक्षिणपंथी उभार के आर्थिक और सामाजिक कारणों को समझने की ज़रुरत है। इसी समझ से दक्षिण पंथी राजनीति का मज़बूती से जवाब दिया जा सकता है।

भाजपा
आर.एस.एस
नरेंद्र मोदी
ट्रम्प

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

रोज़गार में तेज़ गिरावट जारी है

अविश्वास प्रस्ताव: विपक्षी दलों ने उजागर कीं बीजेपी की असफलताएँ

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

चुनाव से पहले उद्घाटनों की होड़

अमेरिकी सरकार हर रोज़ 121 बम गिराती हैः रिपोर्ट

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    शहरों की बसावट पर सोचेंगे तो बुल्डोज़र सरकार की लोककल्याण विरोधी मंशा पर चलाने का मन करेगा!
    25 Apr 2022
    दिल्ली में 1797 अवैध कॉलोनियां हैं। इसमें सैनिक फार्म, छतरपुर, वसंत कुंज, सैदुलाजब जैसे 69 ऐसे इलाके भी हैं, जो अवैध हैं, जहां अच्छी खासी रसूखदार और अमीर लोगों की आबादी रहती है। क्या सरकार इन पर…
  • रश्मि सहगल
    RTI क़ानून, हिंदू-राष्ट्र और मनरेगा पर क्या कहती हैं अरुणा रॉय? 
    25 Apr 2022
    “मौजूदा सरकार संसद के ज़रिये ज़बरदस्त संशोधन करते हुए RTI क़ानून पर सीधा हमला करने में सफल रही है। इससे यह क़ानून कमज़ोर हुआ है।”
  • मुकुंद झा
    जहांगीरपुरी: दोनों समुदायों ने निकाली तिरंगा यात्रा, दिया शांति और सौहार्द का संदेश!
    25 Apr 2022
    “आज हम यही विश्वास पुनः दिलाने निकले हैं कि हम फिर से ईद और नवरात्रे, दीवाली, होली और मोहर्रम एक साथ मनाएंगे।"
  • रवि शंकर दुबे
    कांग्रेस और प्रशांत किशोर... क्या सोचते हैं राजनीति के जानकार?
    25 Apr 2022
    कांग्रेस को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए प्रशांत किशोर को पार्टी में कोई पद दिया जा सकता है। इसको लेकर एक्सपर्ट्स क्या सोचते हैं।
  • विजय विनीत
    ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?
    25 Apr 2022
    "चंदौली के किसान डबल इंजन की सरकार के "वोकल फॉर लोकल" के नारे में फंसकर बर्बाद हो गए। अब तो यही लगता है कि हमारे पीएम सिर्फ झूठ बोलते हैं। हम बर्बाद हो चुके हैं और वो दुनिया भर में हमारी खुशहाली का…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License