NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जेटली प्रसंग के कुछ और आयाम
वीरेन्द्र जैन
02 Jan 2016
भाजपा नेतृत्व अपने वोटरों के एक बड़े वर्ग को नासमझ मानता है और तमाम ऐसी झूठे व अनर्गल वादे करता रहता है जिन पर उसका खुद भी भरोसा नहीं रहता है। वे अपने लक्ष्य को पाने के लिए संसदीय व्यवस्था की ओर बहुत उम्मीद लगाये रहे हैं व किसी भी तरह चुनाव जीतने व सरकार बना कर संस्थाओं पर अधिकार करने के लिए सिद्धांतहीन समझौते करने, गैरजिम्मेवार बयान देने व वादे करने से परहेज नहीं करते रहे। इतना सब करने के बाद भी उन्हें भरोसा नहीं रहता था कि वे अपनी दम पर सरकार बना सकेंगे और उनसे वादों का हिसाब भी मांगा जायेगा। मोदी के नेतृत्व में स्पष्ट बहुमत के साथ 2014 का लोकसभा का चुनाव जीतना उनके लिए बड़ी सुखद दुर्घटना की तरह था और पूर्व में उनके द्वारा विपक्षी दल के रूप में निभायी गयी भूमिका व बयान अब उन्हें परेशानी में डाल रहे हैं। वे अपने विपक्ष से वे ही सारी अपेक्षाएं कर रहे हैं जिन पर उन्होंने कभी आचरण नहीं किया। जिन मुद्दों का उन्होंने हमेशा विरोध किया वे ही अब उन्हें लागू करवाना चाहते हैं। विडम्बना यह है कि कानून बनाने के लिए उनके पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है और तमाम तरह की अवैध सुविधाएं देने के वादे पर भी कोई विपक्षी पार्टी राजनीतिक नुकसान की कीमत पर उनसे कोई सौदा नही कर सकती। कुछ विशेष परिस्तिथियों में सफल हुये चुनावी प्रबन्धन को उन्होंने जीत का फार्मूला समझ लिया और दिल्ली व बिहार में धोखा खाया। इससे लोकसभा में उनका बहुमत तो रहा पर उनकी चमक उतर गयी।
 
 
अरुण जैटली का प्रकरण ऐसे ही समय में सामने आया है जिसमें विपक्ष के अलावा सत्तापक्ष के कुछ सांसदों की प्रत्यक्ष और कुछ की परोक्ष भूमिका है। इसमें कोई विवाद नहीं है कि देश में क्रिकेट, हाकी, फुटबाल आदि के मैच मनोरंजन, उत्तेजना, और सट्टे के रूप में जुये के साथ साथ लोकप्रिय हो गये  खिलाड़ियों सहित सीधे प्रसारण के दौरान दिखाये जाने वाले विज्ञापनों के सहारे समुचित धन जुटाते हैं, जिसके व्यय करने का खुला अवसर बोर्ड के अधिकारियों को मिलता है। यही कारण है कि देश में विभिन्न सत्तारूढ दलों के नेता अपने अति व्यस्त समय के बाद भी इन बोर्डों को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं, भले ही उन्हें खेलों में कोई रुचि न हो। अनेक टीवी की बहसों में खिलाड़ियों द्वारा इस पर बात की जा चुकी है कि राजनेताओं का इन बोर्डों में सम्मिलित होना अच्छा नहीं है। परोक्ष में अजय माकन द्वारा खेल बोर्डों के गठन के सम्बन्ध में प्रस्तावित बिल को समर्थन न मिलना भी सवाल खड़े कर गया था। इसमें कोई सन्देह नहीं कि खेल बोर्डों के धन का कुशल या अकुशल तरीके से दुरुपयोग होता है। यदि जैटली प्रकरण में भी न्यायिक दाँव उल्टा बैठा तो उनके विपरीत परिणाम आ सकता है और वे मोदी की उम्मीदों के अनुसार बेदाग भी निकल सकते हैं। उल्लेखनीय है कि श्री राम जेठमलानी ने मोदी के बयान के बाद कहा था कि श्री अडवाणी हवाला काण्ड में इसलिए बेदाग बरी हो सके क्योंकि उनकी पैरवी उन्होंने की थी। यह बयान बतलाता है कि न्यायिक निर्णय तो वकालत पर निर्भर होते हैं। उनके कहने का दूसरा अर्थ यह भी निकलता है कि अगर उन्होंने वकालत नहीं की होती तो फैसला विपरीत भी आ सकता था।
 
इस पूरे प्रकरण में डीडीसीए का भ्रष्टाचार या उसमें जैटली की सम्ब्द्धता इतना महत्व नहीं रखती जितना कि भाजपा के अन्दर चल रही अन्दरूनी गुटबाजी के संकेत महत्व रखते हैं। उल्लेखनीय है कि श्री कीर्ति आज़ाद गत नौ वर्षों से इस सवाल को उठाते रहे हैं, फिर भी राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे व प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी के दावेदार श्री जैटली उनका टिकिट नहीं कटवा सके थे। श्री आज़ाद ने सुषमा स्वराज ललित मोदी प्रकरण में सार्वजनिक बयान दिया था कि इसमें किसी आस्तीन के साँप की भूमिका है और उस समय भी बात सामने आयी थी कि उनका इशारा श्री जैटली की तरफ था। उल्लेखनीय है कि वे श्री राजनाथ सिंह की मंत्रिमण्डल में नम्बर दो की भूमिका से खुश नहीं थे और राजनाथ के पुत्र के किसी उद्योगपति के साथ सम्भावित सौदे की खबर के पीछे भी उन्हीं की भूमिका अनुमानित की गयी थी। इस प्रकरण में प्रधानमंत्री कार्यालय से सफाई भी दी गयी थी। मार्गदर्शक मण्डल के नाम पर रिटायर कर दिये गये पार्टी के वरिष्ठ नेता भी उनसे खुश नहीं हैं। जब सुश्री उमा भारती ने टीवी चैनलों के सामने अटल बिहारी और अडवाणी जी को खरी खोटी सुनाते हुए कहा था कि एक वरिष्ठ नेता अखबारों में खबरें प्लांट करवाता है तब उनका संकेत अरुण जैटली की तरफ ही था। कहा जाता है कि दुबारा मुख्यमंत्री न बनाये जाने की दशा में उमाजी द्वारा जहर खा लेने की धमकी वाली खबर की सूचना श्री जैटली के माध्यम से ही प्रैस तक पहुँची थी।
 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी अपने मंत्रिमण्डल में अगर किसी को प्रतियोगी समझ सकते हैं तो वह अब श्री जैटली ही हैं, जो मोदी के चुने जाने तक पीएम पद प्रत्याशी की दौड़ में रहे थे। मोदी द्वारा उनके बेदाग होने की सम्भावना व्यक्त करते समय श्री अडवाणी का उदाहरण देना भी इस सम्भावना को बल देता है कि वे चाहते थे कि श्री जैटली भी अडवाणी की तरह त्यागपत्र देकर न्यायिक लड़ाई जीतें। इसमें उनको निर्दोष मानने के कोई संकेत नहीं हैं अपितु न्यायिक विजय की सम्भावना भर व्यक्त की गयी है, जो उनके अच्छे वकील होने व साधन सम्पन्न होने के कारण सहज सम्भव है। वित्तमंत्री बनने के आश्वासन का संकेत पाकर ही भाजपा में सम्मलित होने वाले सुब्रम्यम स्वामी चाहते हैं कि वित्तमंत्री का पद जल्दी खाली हो यही कारण है कि उन्होंने कीर्ति आज़ाद को निलम्बन नोटिस का जबाब लिखवाने का प्रस्ताव तुरंत दिया। जैटली लम्बे समय से राज्यसभा में इसलिए ही हैं क्योंकि जनता के बीच से न निकलने के कारण वे लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सके। राज्यसभा में रहते हुए भी उन्होंने वकालत का अपना काम जारी रखा था और पिछले आठ वर्षों में ही उनकी आय में सौ करोड़ से अधिक की वृद्धि दिखायी गयी है। अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों के खिलाफ लगाये गये मानहानि के मुकदमे को लड़ने का प्रस्ताव राम जेठमलानी ने स्वय़ं दिया है। भाजपा के साथ जो नया युवा वर्ग जुड़ा था वो ऐसा आपसी संघर्ष देख देख कर भ्रमित हो रहा है।  
 
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि यूपीए सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच ऐसे आरोपों से मुक्त नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को मिले समर्थन के कारण ही लोकसभा में भाजपा की बड़ी जीत सम्भव हो सकी थी। उन्होंने देश और विदेश में भी अपने मंत्रिमण्डल के साफसुथरे होने की बार बार शेखी बघारी थी। अब जब कटु भाषा में आरोप पार्टी के अन्दर से ही सामने आ रहे हैं तो मोदी अपनी छवि सुधारने के लिए कितना प्रबन्धन करेंगे और प्रवक्ता ललित गेट से लेकर व्यापम, खनन और चावल घोटाले के साथ कब तक ढीठता दिखा सकेंगे। अगर वे पिछले पन्द्रह साल से जुड़े कीर्ति आज़ाद को काँग्रेस की परम्परा से जोड़ कर गाली देते हैं तो अब तो एक सौ सोलह से ज्यादा लोकसभा सदस्य ऐसे हैं जो दूसरे दलों से आये हैं। जब सत्तारूढ दल में राजनीतिक संकट पैदा होता है तो उसका असर देश पर भी पड़ता है। ऐसी समस्याओं के दूरगामी हल निकालने पर विचार होना चाहिए, ताकि स्पष्ट बहुमत वाली सरकार अपना कार्यकाल तो पूरा कर सके।
 
डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख में वक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारों को नहीं दर्शाते ।
अरुण जैटली
डीडीसीए जाँच
भाजपा

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License