NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
अंतरराष्ट्रीय
जिम्मेदारियों की आग में तपकर नौकायन के स्टार बने दत्तू
भारत के लिए पदक जीतने वाला हर एथलीट सोने की तरह अपने निजी जीवन की मुश्किलों की आग में तप कर परिपक्व हुआ है। कुएं की खुदाई से लेकर प्याज बेचने और पेट्रोल पंप पर काम करते हुए अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले दत्तू ने इंडोनेशिया में हुए 18वें एशियाई खेलों में भारत को नौकायन स्पर्धा में स्वर्ण पदक दिलाया। 
त्रिदिब बापरनाश
11 Sep 2018
asian games
image courtesy:Indian express

भारत के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदक लाने वाले एथलीटों का निजी जीवन भी उसी संघर्ष से भरा होता है, जो संघर्ष वे खेल के मैदान पर पदक के लिए अन्य प्रतिस्पर्धियों के साथ करते हैं। 

फिर चाहे वह ढिंग एक्सप्रेस हिमा दास हो या बीमार अवस्था में भारत को नौकायन स्पर्धा में पदक दिलाने वाले बब्बन भोकानल दत्तू। 

भारत के लिए पदक जीतने वाला हर एथलीट सोने की तरह अपने निजी जीवन की मुश्किलों की आग में तप कर परिपक्व हुआ है। कुएं की खुदाई से लेकर प्याज बेचने और पेट्रोल पंप पर काम करते हुए अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले दत्तू ने इंडोनेशिया में हुए 18वें एशियाई खेलों में भारत को नौकायन स्पर्धा में स्वर्ण पदक दिलाया। 

अपने जीवन की हर मुश्किलों को पार करते हुए इस मुकाम तक पहुंचे दत्तू ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में उन सभी संघर्षो को साझा किया, जिन्होंने उन्हें एक आम इंसान से पदक विजेता भोकानल दत्तू बनाया। 

दत्तू ने रियो ओलम्पिक खेलों में भी हिस्सा लिया था और उस दौरान उनकी मां कौमा में थी। ऐसी मानसिक अवस्था में भी अपने संघर्ष को जारी रखने वाले दत्तू महाराष्ट्र में नासिक के पास चांदवड गांव के निवासी हैं। 

अपने संयुक्त परिवार के विभाजन के बाद कठिन परिस्थितियों में पढाई के साथ-साथ उन्होंने अपने पिता के साथ काम कर परिवार का पालन-पोषण किया। हालांकि, उनके लिए पिता के निधन के बाद जीवन की मुश्किलें और बढ़ गईं। 

अपने परिवार के सबसे बड़े बेटे दत्तू उस वक्त पांचवीं कक्षा में थे, जब उन्होंने अपने पिता के साथ दैनिक मजदूर बनकर कमाई करने का फैसला लिया। उनके परिवार में उनकी बीमार मां और दो छोटे भाई हैं। 

अपने पिता के निधन के बाद वह भारतीय सेना में भर्ती हो गए और यहां से दत्तू के जीवन का नया सफर शुरू हुआ, जो उन्हें एशियाई खेलों की इस उपलब्धि तक लेकर गया। 

दत्तू ने आईएएनएस को दिए बयान में कहा, "2004-05 में मैं पांचवीं कक्षा में था, जब मेरा संयुक्त परिवार विभाजित हुआ। इसके बाद हम दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे थे और तब मैंने अपने पिता के साथ काम करने का फैसला लिया। मेरे पिता कुएं खोदने का काम करते थे।"

बकौल दत्तू, "मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कई तरह के काम किए। शादियों में वेटर, खेती का, ट्रैक्टर चलाने आदि।"

साल 2007 में दत्तू ने स्कूल छोड़कर पेट्रोल पंप पर काम करना शुरू कर दिया। इसके चार साल बाद दिसंबर, 2011 में उनके पिता का निधन हो गया। 

उन्होंने कहा, "मुझे हर माह 3,000 रुपये मेहनताना मिलता था। अपने पिता के साथ काम दो वक्त की रोटी जुटा लेता था लेकिन उनके निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई।"

दत्तू ने 2010 में फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया। वह रात में पेट्रोल पंप पर काम करते थे। 2012 में सेना में भर्ती होने के बाद उनके जीवन का नया सफर शुरू हुआ। 

महाराष्ट्र के 27 साल के निवासी दत्तू ने कहा कि सेना में भर्ती का फैसला उन्होंने अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए लिया था। उन्होंने कहा, "अपने पिता के निधन के तीन माह बाद मैं भर्ती हो गया। मेरी मां की तबीयत भी खराब रही थी और यह मेरी सबसे बड़ी चिंता रही। हमारे परिवार में भले ही खाना पूरा नहीं था लेकिन प्यार और लगाव भरपूर था।"

पेट्रोल पंप पर समय पर पहुंचने के लिए दत्तू स्कूल से दौड़कर जाते थे और इसी कारण उन्हें सेना में भर्ती होने में मदद मिली। काम के साथ अपनी पढाई को जारी रख वह किसी तरह 10वीं कक्षा में 52 प्रतिशत अंकों के साथ पास हो गए। 

दत्तू ने पानी के डर को हराते हुए अपने कोच के मार्गदर्शन में नौकायन का प्रशिक्षण शुरू किया। 2013 में उन्हें सेना के रोविंग नोड (एआरएन) में शामिल कर लिया गया। पुणे में छह माह के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीते और यहां से उनका आत्मविश्वास मजबूत हुआ। 

साल 2014 में इंचियोन में हुए एशियाई खेलों में भी उन्हें चुना गया लेकिन परिस्थितियां उनकी उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार प्रदर्शन के दबाव से वह बेहोश हो गईं और इसके बाद वह चोटिल हो गए। 

उनके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती 2016 में उनके सामने आई, जब एक दुर्घटना का शिकार होकर उनकी मां कौमा में चली गईं। इस मुश्किल समय में भी दत्तू ने अपनी हिम्मत बटोरते हुए रियो ओलम्पिक में हिस्सा लिया। 

इंडोनेशिया में हुए एशियाई खेलों में दत्तू ने क्वाड्रपल स्कल स्पर्धा का स्वर्ण अपने नाम किया। इस खुशी को बयां करते हुए उन्होंने कहा, "फाइनल स्पर्धा के दौरान मुझे 106 डिग्री बुखार था, लेकिन मैं अंदर से प्रेरित था।"

इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के बावजूद अपनी जमीं से जुड़े दत्तू इस बात को स्वीकार करने से नहीं हिचकिचाते हैं कि उनके पास अपना घर नहीं है। 

एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण जीतने के बावजूद वह अब भी अपने छोटे भाइयों के साथ रहते हैं। दत्तू का लक्ष्य अब टोक्यो ओलम्पिक खेलों में देश के लिए पदक जीतना है। 

- आईएएनएस

 

asian games
dattu bhokanal
naukayan

Related Stories

एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पूर्व मुक्केबाज डिंको सिंह का निधन

नाम हिमा, उम्र 19 साल, हौसला आसमान से भी ऊंचा


बाकी खबरें

  • एजाज़ अशरफ़
    विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी
    31 May 2022
    गुजरात के दलित स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौक़े पर बीआर अंबेडकर को समर्पित एक टन के पीतल का सिक्का लेकर संसद जायेंगे। वे सांसदों को याद दिलाना चाहते हैं कि वे छुआछूत मिटाने में नाकाम रहे हैं।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद पर मस्जिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव से खास बातचीत
    31 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी विवाद पर न्यूज क्लिक संवादाता तारिक अनवर ने मस्जिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव से बातचीत की। इस विवाद से जुड़े कई सवालों पर बात किया। जैसे कि जिला अदालत में आप इस…
  • ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था
    31 May 2022
    अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को जून में उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिकी देशों (अमेरिकाज़) के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करनी है; जिसके बहाने बाइडन यह उम्मीद कर रहे हैं कि अन्य अमेरिकी देशों पर वाशिंगटन…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी जी, देश का नाम रोशन करने वाले इन भारतीयों की अनदेखी क्यों, पंजाबी गायक की हत्या उठाती बड़े सवाल
    30 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने टाइम मैग्जीन में आए तीन भारतीयों (खुर्रम परवेज़, करुणा नंदी और गौतम अडानी) के साथ-साथ बुकर इंटरनेशनल अवार्ड जीतने वाली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री की मोदी…
  • भाषा
    धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया
    30 May 2022
    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License