NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखण्ड: भूख से मौत का बढ़ता सिलसिला
ऐसी हर मौत को बीमारी से हुई मौत कहकर रफा–दफा करने तक सरकार और प्रशासन पूरे तरह मुस्तैद रहता हैI
अनिल अंशुमन
28 Sep 2018
starvation death jharkhand

आवामी शायर दुष्यंत कुमार ने ग़ज़ल कही थी कि भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ, आजकल दिल्ली में है ज़ेरे बहस ये मुददआ…लेकिन झारखण्ड प्रदेश में तो मामला इससे भी आगे बढ़ चुका हैI जहाँ वर्तमान सरकार के रवैये को देखकर यही कहा जा सकता है – भूख है तो मौत कर! वरना पिछले चार वर्षों में 11 साल की बच्ची से लेकर 65 वर्ष की बुजुर्ग महिला समेत भूख से दर्जनों लोगों की मौत होने के बावजूद शासन–प्रशासन को कोई फ़र्क नहीं पड़ाI अलबता हर मौत को बीमारी से हुई मौत कहकर रफा–दफा करने तक सरकार और प्रशासन पूरे तरह मुस्तैद रहता हैI ऐसे में भूख से परेशान गाँव के गरीबों की बदतर हालत को लेकर ग्रामीण गरीबों के भोजन-अभियान और मनारेगा इत्यादि ज़रूरी सवालों पर निरंतर ज़मीनी स्तर पर सक्रिय रहनेवाले जाने माने अर्थशास्त्री व सामाजिक ज्यां द्रेज़ को राज्यपाल के भवन के समक्ष जनसुनवाई लगाकर उनसे सरकार पर दबाव डालने की अपील करनी पड़ रही हैI

ज्यां द्रेज़ जी ने मीडिया को जारी विशेष पत्र के माध्यम से सरकार पर राज्य में हो रही भूख से लगातार मौतों के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया हैI साथ ही ज़मीनी अध्ययन आधारित आंकड़ा पेश कर कहा है कि वर्तमान शासन के चार वर्षों में अबतक 56 लोग किसी न किसी रूप में भूख से मर गए हैंI जिनमें से 42 मौतें तो 2017 – 18 में ही हुईं हैंI अधिकांश मौतें समय पर गरीबी – पेंशन व जनवितरण प्रणाली से राशन नहीं मिलने के कारण हुईं हैंI 25 से अधिक मौतों के लिए ‘आधार कार्ड’ मुख्य कारण रहा तो बाकी मौत राशन कार्ड व पेंशन सूचि में नाम नहीं होने से राशन का अनाज नहीं मिलने से हो गयीI भूखमरी के शिकार अधिकांश लोग वंचित समुदायों के ऐसे आदिवासी, दलित और मुसलमान हैं, जिनके लिए ‘चुनावी समय’ छोड़कर कोई उनके घर नहीं फटकताI द्रेज़ जी ने क्षोभ के साथ यह भी कहा कि – एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र के शासन में भूख से मौत एक बड़ी खबर होनी चाहिएI भूख से हो रही मौतों को रोकने के लिए सरकार व प्रशासन में इस पर गंभीर चर्चा और सक्रियता होनी चाहिएI वहीं विपक्ष और सामाजिक संगठनों सरकार पर कार्यवाही करने के लिए विशेष दबाव डालना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो सकाI

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष 28 सितम्बर के दिन प्रदेश के सिमडेगा जिला स्थित जलडेगा प्रखंड के कारीमाटी गाँव में 5 वें क्लास में पढ़नेवाली 11 साल की संतोषी ‘भात–भात’ कहते हुए भूख से मर गयी थीI तब हर तरफ दशहरे की धूम थी, लेकिन संतोषी के घर में अन्न का एक दाना तक नहीं होने से उसका पूरा परिवार चार दिनों से भूखा थाI गाँव के स्कूल में मिलनेवाले मध्यान भोजन से सबका काम चल रहा था और छुट्टी के कारण उस स्कूल के बंद होने से वह भी नहीं मिल रहा थाI संतोषी की माँ राशन दुकानदार से लेकर सबके यहाँ अनाज के लिए गीड़गिड़ायी मगर कहीं से अनाज नहीं मिलाI भूख से बेहोश संतोषी को उसकी माँ ने स्थानीय डाक्टर को दिखलाया तो उसने खाना देने की सलाह देकर पल्ला झाड़ लियाI अंत में संतोषी माँ से ‘भात–भात’ मांगते हुए चल बसीI कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को जब इसकी सूचना मिली और उन्होंने घटना की खबर राज्य के प्रमुख अखबारों को दी तो सभी ने दुर्गा पूजा का हवाला देकर इसे दबा दियाI दिल्ली स्थित सोशल बेवसाईटों में जब ये खबर चली और संतोषी की मौत राष्ट्रीय खबर बन गयी तब सरकार और प्रशासन हरकत में आयाI आनन्-फानन करवायी डाक्टरी जांच में संतोषी की मौत की वजह बीमारी बतायी गयी और इस मौत को मुद्दा बनाने वालों पर सरकार की छवि बदनाम करने का आरोप लगाकर आपराधिक मुकदमा करने की धमकी दी गयीI इस मौत के पहले 16 सितम्बर को घाटशिला के धूमलगढ़ प्रखंड के छौड़िया गाँव में विलुप्त हो रही आदिम जनजाति के 40 वर्षीय चाम्टू सबर भी भूख से मर गयाI जर्जर इंदिरा आवास में रह रहे उस गरीब के भी घर में 4–5 दिनों से अनाज नहीं थाI इस घटना में भी मौत की वजह स्थानीय बीडीओ शालिनी खलखो ने टीबी की बीमारी बतायीI इसके बाद भी राज्य में भूख से कई और मौतें हुईं और उसमें भी मौत की वजह बीमारी बताकर रफा–दफा कर दिया गयाI इसी साल 27 जुलाई को रामगढ़ जिला के नवाडीह गाँव के 40 वर्षीय राजेन्द्र बिरहोर की मौत भूख से हो गयीI उसे भी राशन कार्ड और आधार नहीं मिला थाI इसकी आवाज़ उठाने पर सरकार ने मौत पर सियासत करके सरकार को बदनाम नहीं करने की नसीहत ही दीI   

हैरत की बात ये है यहाँ आनेवाले देश के प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों से लेकर बड़े-बड़े आला अफसरों में से किसी ने भी इस मुद्दे पर कोई संज्ञान नहीं लियाI अपने बारे में पूरे राज्य में बड़े–बड़े होर्डिंग्स लगाकर-- विकास की रफ़्तार है, ये...रघुवर सरकार है!...का प्रचार करनेवाली राज्य की सरकार ने भी अब तक भूख से होनेवाली मौतों को रोकने के लिए कोई कारगर योजना बनाने, गरीबों के रद्द किये गए राशन कार्ड बनवाने, जन वितरण प्रणाली में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाकर बायोमैट्रिक प्रणाली हटाकर सभी गरीबों को आसानी से राशन देने जैसे बेहद ज़रूरी कामों को करने की कारगर व्यवस्था नहीं बना सकी हैI ऐसे में भूख से मौत को रोकने और गरीबों को आसानी से राशन देने जैसे गरीबों के बुनियादी सवालों पर सरकार पर दबाव के लिए जन अभियान की सक्रियताएं जो जारी हैं, क्या प्रभाव डालती हैं, समय के तक़ाज़े पर हैंI

Starvation Deaths
Jharkhand starvation death
bhukhmari
Santoshi

Related Stories

रिकॉर्ड फसल, रिकॉर्ड भंडार; लोग फिर भी भूखे क्यों हैं?

कोविड अपडेट, बेरोज़गारी दर और अन्य

एक बेरहम लॉकडाउन वाले देश में COVID-19

झारखंड विधान सभा चुनाव 2019 : भूख से मरनेवालों की बढ़ती कतार !

गरीबों की एक और जीवन रेखा 'मनरेगा' की स्थिति बदतर

झारखंड में आधार कार्ड न होने की वजह भूख से मौतें जारी

झारखण्ड राज्य के 18 साल का जश्न; क्यों भूख से मौत नहीं बनता मुद्दा?

राजस्थान चुनाव: विकास के बड़े-बड़े दावों के बीच भुखमरी से होती मौतें

झारखंड में मौतें : क्या आधार कार्ड की कोई भूमिका थी ?

झारखण्ड: भूख से एक और मौत!


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License