NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्षेत्रीय दलों को सबसे ज़्यादा चंदा कॉर्पोरेट घरानों से, शिव सेना सबसे बड़ी लाभार्थीः एडीआर रिपोर्ट
साल 2016-17 में कॉर्पोरेट घरानों के लिए बीजेपी बेहद पसंदीदा रही जिसे क़रीब 513 करोड़ रूपए डोनेशन मिला।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Aug 2018
ADR Report

देश भर के क्षेत्रीय दलों को सबसे ज़्यादा चंदा कॉर्पोरेट क्षेत्रों से मिले हैं। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय दलों ने 2016-17 में कॉर्पोरेट योगदान से अपनी कुल आय 347.74 करोड़ रुपए का क़रीब 60 प्रतिशत से अधिक हासिल किया है। 91.53 करोड़ रूपए (ज्ञात स्रोतों से आय) में से क्षेत्रीय दलों को विभिन्न व्यावसायिक घरानों से 5.2.2 करोड़ रुपए मिले। हालांकि इस रिपोर्ट ने उन व्यवसायिक घरानों के नाम का खुलासा नहीं किया है जिसने इन दलों को पैसे दिए।

ADR report1.jpg

इस रिपोर्ट ने क्षेत्रीय दलों की आय को तीन हिस्सों में विभाजित किया है- ज्ञात स्रोतों से हुई आय, अज्ञात स्रोतों से हुई आय और अन्य ज्ञात स्रोतों से प्राप्त आय। जबकि ज्ञात स्रोतों से चंदा 20,000 रुपए सेज़्यादा और कम है जिसका विवरण ईसीआई (निर्वाचन आयोग) को क्षेत्रीय दलों द्वारा दिए गए चंदा के रिपोर्ट के माध्यम से उपलब्ध है, वहीं अज्ञात स्रोतों में 20,000 रुपए से नीचे के चंदा के लिए आय का स्रोत दिए बिना आईटी रिटर्न में घोषित आय शामिल है।

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि राजस्व में कई गुना कमी के बावजूद शिवसेना कॉर्पोरेट क्षेत्र की सबसे पसंदीदा पार्टी रही और 22.77 करोड़ रुपए हासिल किया। इसके बाद सिरोमनी अकाली दल (एसएडी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) का स्थान है जिसने क्रमशः 14.26 करोड़ और 6.65 करोड़ चंदा हासिल किया। समृद्ध क्षेत्रीय दल पार्टी विशेष चंदों के चलते और समृद्ध हो गए। शिवसेना को अकेला 2.36 करोड़ रुपए का चंदा मिला जबकि एसपी को 1.1 9 करोड़ रुपए पर ही संतोष करना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि आम आदमी पार्टी इस सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गई है। इसे कॉर्पोरेट स्रोतों की तुलना में इंडिविजुअल चंदा अधिक मिला।

क्षेत्रीय दलों के चंदे का पैटर्न राष्ट्रीय दलों से भिन्न है। पहले के एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि चुनावी ट्रस्ट के इस्तेमाल के ज़रिए कॉरपोरेट घराने राष्ट्रीय पार्टियों को अपना पैसा देते हैं। साल 2016-17 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए बेहद पसंदीदा रही जिसने क़रीब 513 करोड़ रुपए की भारी रक़म दान की। इस पार्टी को केवल दो चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से 53 प्रतिशत चंदा दिए गए। ये ट्रस्ट थे सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट और भद्रम जनहित शालिका ट्रस्ट।

सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी को 251.22 करोड़ रुपए दान किए जबकि भद्रम जनहित शालिका ट्रस्ट ने पार्टी को 30 करोड़ रुपये दिए। दिलचस्प बात यह है कि साल 2013 में बनाई गई सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट हाल के वर्षों में बीजेपी को सबसे ज़्यादा चंदा दिया है।

सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट जिसने अपना नाम प्रूडेंट ट्रस्ट में बदल दिया है इसने डीएलएफ और हीरो ग्रुप जैसे कई समूहों से योगदान मिला। ये ट्रस्ट साल 2013 में दूरसंचार कंपनी भारती एंटरप्राइजेज ग्रुप द्वारा पंजीकृत था लेकिन इसका दावा है कि वह स्वतंत्र है। इसी तरह भद्रम जनहित शालिका ट्रस्ट जिसने बीजेपी को 30 करोड़ रुपए का चंदा दिया था वह पहले एसआईएल कर्मचारी कल्याण ट्रस्ट के नाम से जाना जाता था।

ADR Report
regional political parties
political parties' funding
corporate funding

Related Stories

बिहार के 24 नए एमएलसी में 15 दाग़ी : एडीआर रिपोर्ट

यूपी चुनाव छठा चरणः 27% दाग़ी, 38% उम्मीदवार करोड़पति

यूपी चुनाव पांचवा चरण:  दाग़ी और करोड़पति प्रत्याशियों पर ज्यादा विश्वास करती हैं राजनीतिक पार्टियां

चुनाव चक्र: यूपी चुनाव में छोटे दलों की भूमिका पर विशेष

JNUTA रिटायर्ड सदस्यों के समर्थन में, बर्ख़ास्तगी को चुनौती देंगे डॉ. कफ़ील और अन्य ख़बरें

आख़िर क्यों विधायक और सांसद पार्टियां बदल रहे हैं?

बिहार चुनाव: सभी दलों ने आपराधिक मामलों से जुड़े उम्मीदवारों को क्यों बनाया अपना खेवनहार?

बजट 20-21: भारतीय कृषि में काॅरपोरेट वर्चस्व के लिए रास्ता खुला

Electoral Bonds: पारदर्शिता के नाम पर घोटाला?

क्या दो साल से कम सज़ा पाए नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए?


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License