NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मध्य प्रदेश में पत्रकारिता के लिए ब्राम्हणों, सवर्णों को पुरस्कार
वीरेन्द्र जैन
17 Apr 2015
केन्द्र और राज्य दोनों ही जगह मनु स्मृति को संविधान की जगह देने का विचार रखने वाले लोगों की सरकार बन जाने के बाद मध्य प्रदेश में यह तय पाया गया कि अब वर्षों से रुके हुए पत्रकारिता के पुरस्कार वितरित किये जाना चाहिए। एक हिन्दुत्व वाली पार्टी की सरकार जब पुरस्कार वितरित करती है तो जाहिर है कि किसी मुस्लिम या दलित पत्रकार को पुरस्कार योग्य कैसे समझा जा सकता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जब पिछले दिनों पत्रकारिता पुरस्कार दिये तो उनमें से एक भी मुस्लिम और दलित नहीं था। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में माखनलाल चतुर्वेदी के नाम से चल रहे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का देश में बड़ा नाम है और उससे हर जाति वर्ग के प्रतिभाशाली छात्र प्रतिवर्ष निकलते रहे हैं जो प्रदेश और देश के राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में काम कर रहे हैं। यदि प्रदेश में इस दलित मुस्लिम वर्ग के किसी पत्रकार को पुरस्कार के योग्य नहीं समझा गया तो यह संकेतक है कि या तो उक्त वर्गों को शिक्षा में या/और रोजगार में उचित स्थान नहीं मिल पा रहा। यदि ऐसा नहीं है तो तय है कि पुरस्कार के लिए चयन में निष्पक्षता की कमी रह गयी है। कितना अच्छा हो अगर सूचना के अधिकार के इस युग में चयन प्रक्रिया के सारे तथ्य सार्वजनिक हों।
 
पुरस्कारों के लिए पाँच सदस्यों की जूरी बनायी गयी थी इनमें से चार सर्व श्री मदन मोहन जोशी, श्री शरद द्विवेदी, श्री जय कृष्ण गौड़, श्री जयराम शुक्ला [सभी ब्राम्हण] और श्री महेश श्रीवास्तव सम्मलित थे। स्पष्ट है कि लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटने वाले इस युग में सरकार द्वारा तय की गयी जूरी में बहुमत से फैसला हुआ होगा।
 
 
मध्य प्रदेश सरकार ने सात पुरस्कारों में सात-सात लोगों को कुल उननचास पुरस्कार प्रदान किये इन उननचास पुरस्कारों में कोई भी मुस्लिम नहीं है और कोई भी दलित नहीं है। आज मीडिया में बहुत सारी महिलाएं पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं और बहुत अच्छा काम कर रही हैं किंतु महिला वर्ग में केवल एक पुरस्कार दिया गया। यह मात्र संयोग हो तो अच्छा है किंतु ऐसा है नहीं कि उननचास पुरस्कारों/सम्मानों में से तीस से अधिक अर्थात 62 प्रतिशत घोषित रूप से ब्राम्हण हैं और कुछ अन्य की उपजातियों से भी ब्राम्हण होने के संकेत मिलते हैं। इतने ब्राम्हणों को सम्मानित करने का पुण्य प्राप्त करने के अवसर से गदगद मुख्यमंत्री ने किसी महाराजा की तरह उसी स्थल पर इक्यावन हजार के पुरस्कार को एक लाख का घोषित कर दिया और इक्यावन हजार का चैक तुरंत देते हुए शेष राशि उनके खातों में जमा कराने की घोषणा कर दी। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब चल रही है और भूमि अधिग्रहण के कानून से आतंकित किसान मौसम की मार से आत्महत्याएं कर रहे हैं तब बिना किसी मांग के इसी वर्ष से दी गयी मुख्यमंत्री की यह उदारता सन्देह पैदा करती है।
 
यद्यपि कुछ पुरस्कार बहुत ही सुयोग्य व्यक्तियों जैसे श्री राम विद्रोही, श्री सतीश एलिया, श्री प्रमोद भार्गव श्रीमती रानी शर्मा, आदि को मिले हैं जिन्हें ये पुरस्कार बहुत पहले ही मिल जाने चाहिए थे ताकि उन्हें ऐसे समूहों में सम्मलित नहीं होना पड़ता, पर योग्यता का स्वाभिमान अपने कामों के लिए स्वयं आवेदन करने की स्थिति तक बहुत मजबूरियों में ही पहुँच सकता है।
 
डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।
 
 
पत्रकारिता पुरस्कार
भाजपा
म.प्र. सरकार
बाबा साहेब अम्बेडकर

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!


बाकी खबरें

  • up elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूपी में न Modi magic न Yogi magic
    06 Mar 2022
    Point of View के इस एपिसोड में पत्रकार Neelu Vyas ने experts से यूपी में छठे चरण के मतदान के बाद की चुनावी स्थिति का जायज़ा लिया। जनता किसके साथ है? प्रदेश में जनता ने किन मुद्दों को ध्यान में रखते…
  • poetry
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'टीवी में भी हम जीते हैं, दुश्मन हारा...'
    06 Mar 2022
    पाकिस्तान के पेशावर में मस्जिद पर हमला, यूक्रेन में भारतीय छात्र की मौत को ध्यान में रखते हुए पढ़िये अजमल सिद्दीक़ी की यह नज़्म...
  • yogi-akhilesh
    प्रेम कुमार
    कम मतदान बीजेपी को नुक़सान : छत्तीसगढ़, झारखण्ड या राजस्थान- कैसे होंगे यूपी के नतीजे?
    06 Mar 2022
    बीते कई चुनावों में बीजेपी को इस प्रवृत्ति का सामना करना पड़ा है कि मतदान प्रतिशत घटते ही वह सत्ता से बाहर हो जाती है या फिर उसके लिए सत्ता से बाहर होने का खतरा पैदा हो जाता है।
  • modi
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: धन भाग हमारे जो हमें ऐसे सरकार-जी मिले
    06 Mar 2022
    हालांकि सरकार-जी का देश को मिलना देश का सौभाग्य है पर सरकार-जी का दुर्भाग्य है कि उन्हें यह कैसा देश मिला है। देश है कि सरकार-जी के सामने मुसीबत पर मुसीबत पैदा करता रहता है।
  • 7th phase
    रवि शंकर दुबे
    यूपी चुनाव आख़िरी चरण : ग़ायब हुईं सड़क, बिजली-पानी की बातें, अब डमरू बजाकर मांगे जा रहे वोट
    06 Mar 2022
    उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ़ आख़िरी दौर के चुनाव होने हैं, जिसमें 9 ज़िलों की 54 सीटों पर मतदान होगा। इसमें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत अखिलेश का गढ़ आज़मगढ़ भी शामिल है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License