NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नकदी बादशाह है, लेकिन भाजपा को यह समझ नहीं आता
क्या मौजूदा नकदी की कमी लोगों को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की ओर धकेलने के लिए चली गयी चाल है?
सुबोध वर्मा
19 Apr 2018
Translated by महेश कुमार
cash crunch

जबकि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक नकदी की कमी के सबंध में जवाब देते हुए खुद को गांठों में बाँध रहा है और कोई संतोषजनक जवाब नहीं डे पा रहा है कि भारत भर में नकदी का  संकट क्यों है, उभरते तथ्यों से पता चलता है कि मोदी सरकार, अभी भी पहले से परेशान लोगों को नकद रहित लेनदेन को बढाने की कोशिश कर रहा है। नकदी की कमी के वर्तमान संकट के लिए यह एकमात्र स्पष्टीकरण हो सकता है – यह ऐसी घटना है जो दुनिया के किसी भी देश में नहीं सुनी गयी है।

ये कुछ तथ्य हैं। एटीएम उद्योग परिसंघ के अनुसार) - सभी निजी कंपनियों को मिलाकर बना एक निकाय जो बैंकों से नकदी लेते हैं और एटीएम में डालते हैं - पिछले कुछ हफ्तों में बैंकों द्वारा द्वारा दिए गए नकद में अचानक और अस्पष्टीकृत कमी आई है।

 "मार्च के अंत तक, बैंक हमें उस इंडेंट का 90 प्रतिशत हिस्सा देते थे जो हम उठाते थे। इस महीने की शुरुआत के बाद से इसमें 30 प्रतिशत तक की गिरावट है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में भारी कमी आई है। इकोनॉमिक टाइम्स के हवाले से भुगतान कंपनी एफएसएस के प्रबंध निदेशक वी बालासुब्रमण्यम ने कहा, "हमें अभी संकट की वजहों का पता लगाना बाकी है, लेकिन ऐसा लगता है कि बैंकों को आरबीआई से पर्याप्त नकदी नहीं मिल रही है।"

तथ्य#1 : सरकार ने नकद आपूर्ति में कटौती की।

इस बीच, एनसीआर निगम के प्रबंध निदेशक नवराज दस्तुर के अनुसार, एटीएम से नकदी निकासी बढ़ी है, जो भारत में लगभग 50 प्रतिशत एटीएम संचालित करती है। उन्होंने कहा, "लोग एटीएम से अधिक नकद निकाल रहे हैं। अब, यह लेनदेन के करीब 3,500-4,000 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन है, जोकि नोटबंदी से पहले 2,500-3,000 होता था और यह भारी वृद्धि है।"

याद रखें: यह फसल बौने और फसल काटने के बाद का मौसम है जिसमें धन का लेनदेन बढ़ता  हैं, मजदूरी का भुगतान किया जाता है, उपज को बेचा जाता है, आदि। यह तथ्य सभी जानते हैं, और यह समय हमेशा से ऐसा ही रहा है, फिर भी सरकार जानकारी के बावजूद इस समय एटीएम को नकद आपूर्ति कम करने का फैसला किया गया था।

तथ्य #2 : फसल के मौसम की वजह से नकद की मांग बढ़ रही थी।

अब ई-भुगतान परिदृश्य पर एक नज़र डालें। आरबीआई भुगतान प्रणाली संकेतक डेटा (फरवरी 2018 तक उपलब्ध) स्पष्ट रूप से दिखाता है कि प्रधानमंत्री मोदी के दोहराए गए उपदेशों के बावजूद भारत में विभिन्न प्रकार के ई-भुगतान नहीं किए गए हैं। मार्च 2017 के बीच (नवंबर 2016 के विनाशकारी नोटबंदी के पांच महीने बाद) और फरवरी 2018 के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान में 17 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। सभी वृद्धि - कुछ 38 प्रतिशत - नवंबर 2016 से मार्च 2017 के नोटबंदी के महीनों के दौरान हुई थी। उसके बाद लोग वापस नकद का उपयोग करने लगे।

cash cruch11.png

तथ्य # 3 : लोग नकद पसंद करते हैं ई-भुगतान प्रणाली नहीं।

तो इन तीनों तथ्यों को एक साथ रखें और एक सरकार के प्रमुख घटक को जोड़ें तो पायेंगे सरकार लोगों के जीवन के बारे में कोई चिंता नहीं है - और हमारे पास क्या है? ई-भुगतान स्थिर हो रहे हैं, लोग तेजी से नकदी का इस्तेमाल कर रहे हैं - और सरकार, ठीक है जब अधिक नकद की जरूरत है अचानक अचानक एटीएम की आपूर्ति में कमी आ जाती है। इसका केवल एक ही स्पष्टीकरण हो सकता है: यह लोगों को नकद रहित लेनदेन को बढ़ाने और उसे लोगों द्वारा गले लगाने के लिए मजबूर करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था। कोई वास्तव में नहीं जानता है, लेकिन कई लोग अनुमान लगा रहे हैं कि ऐसे ई-भुगतान निजी ऑपरेटरों जैसे पीईटीएम और यहां तक कि रिलायंस के बीच गठबंधन है जिन्हें सरकार दिलों जान से चाहती हैं। अपने व्यापार को बढ़ाने में मदद करें। वे नोटबंदी के बाद “मुक्ति दिवस” के उत्साह को याद करते हैं!

वित्त मंत्री जेटली (मांग में अचानक और असामान्य वृद्धि) को जिम्मेदार बताया जो सभी अन्य आधे पके छद्म स्पष्टीकरण से ज्यादा कुछ नहीं है, आरबीआई (मुद्रा नोटों का असमान वितरण को) और अन्य इसे एक सामान्य मसला समझकर लोगों को समझाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। यह अक्षमता निश्चित रूप से नोटबंदी के भयानक सप्ताहों की याद दिलाती है जब मोदी सरकार ने अपने मूर्खतापूर्ण कदम को बड़ी उपलब्धि बताया और इसे देश में बड़ी बढोतरी के पैगाम का रास्ता बताया था. आज नकदी की कमी से हालत और ज्यादा खराब हो गए हैं और इसके तार #नोटबंदी से जुड़े हैं I

नरेन्द्र मोदी
cash crunch
ATM
RBI

Related Stories

लंबे समय के बाद RBI द्वारा की गई रेपो रेट में बढ़ोतरी का क्या मतलब है?

आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!

महंगाई 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर, लगातार तीसरे महीने पार हुई RBI की ऊपरी सीमा

रिपोर्टर्स कलेक्टिव का खुलासा: कैसे उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए RBI के काम में हस्तक्षेप करती रही सरकार, बढ़ती गई महंगाई 

आज़ादी के बाद पहली बार RBI पर लगा दूसरे देशों को फायदा पहुंचाने का आरोप: रिपोर्टर्स कलेक्टिव

RBI कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे: अर्थव्यवस्था से टूटता उपभोक्ताओं का भरोसा

नोटबंदी: पांच साल में इस 'मास्टर स्ट्रोक’ ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया

तबाही मचाने वाली नोटबंदी के पांच साल बाद भी परेशान है जनता

नोटबंदी की मार

तत्काल क़र्ज़ मुहैया कराने वाले ऐप्स के जाल में फ़ंसते नौजवान, छोटे शहर और गाँव बने टार्गेट


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!
    27 Mar 2022
    पुनर्प्रकाशन : यही तो दिन थे, जब दो बरस पहले 2020 में पूरे देश पर अनियोजित लॉकडाउन थोप दिया गया था। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते हैं लॉकडाउन की कहानी कहती कवि-पत्रकार मुकुल सरल की कविता- ‘लॉकडाउन—2020’।
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    लीजिए विकास फिर से शुरू हो गया है, अब ख़ुश!
    27 Mar 2022
    ये एक सौ तीस-चालीस दिन बहुत ही बेचैनी में गुजरे। पहले तो अच्छा लगा कि पेट्रोल डीज़ल की कीमत बढ़ नहीं रही हैं। पर फिर हुई बेचैनी शुरू। लगा जैसे कि हम अनाथ ही हो गये हैं। जैसे कि देश में सरकार ही नहीं…
  • सुबोध वर्मा
    28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?
    27 Mar 2022
    मज़दूर और किसान आर्थिक संकट से राहत के साथ-साथ मोदी सरकार की आर्थिक नीति में संपूर्ण बदलाव की भी मांग कर रहे हैं।
  • अजय कुमार
    महंगाई मार गई...: चावल, आटा, दाल, सरसों के तेल से लेकर सर्फ़ साबुन सब महंगा
    27 Mar 2022
    सरकारी महंगाई के आंकड़ों के साथ किराना दुकान के महंगाई आकड़ें देखिये तो पता चलेगा कि महंगाई की मार से आम जनता कितनी बेहाल होगी ?
  • जॉन पी. रुएहल
    क्या यूक्रेन मामले में CSTO की एंट्री कराएगा रूस? क्या हैं संभावनाएँ?
    27 Mar 2022
    अपने सैन्य गठबंधन, सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) के जरिये संभावित हस्तक्षेप से रूस को एक राजनयिक जीत प्राप्त हो सकती है और अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उसके पास एक स्वीकार्य मार्ग प्रशस्त…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License