NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नरेन्द्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या की जाँच में हो रही देरी पर हाई कोर्ट ने जताई नाराज़गी
देश एक ‘‘दुखद स्थिति” से गुज़र रहा है जहाँ न ही स्वतंत्र रूप से कोई घूम सकता और न ही बात कर सकता है- बम्बई हाई कोर्ट
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Aug 2018
दाभोलकर
Image Courtesy: The Quint

नरेन्द्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या की जाँच में हो रही देरी पर बम्बई उच्च न्यायालय ने एजेंसियों को फटकार लगाई है। न्यायालय ने एजेंसियों से कहा कि देश एक ‘दुखद स्थिति’  से गुज़र रहा है और एजेंसियाँ इसे गंभीरता से नहीं ले रही हैं।

न्यायमूर्ति एस.सी.धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने गुरूवार को केस की सुनवाई के दौरान कहा कि वह जाँच से संतुष्ठ नहीं हैं।

ज्ञात हो कि 17 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई के दौरान एजेंसियों ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि कोर्ट हमें गोपनीय रिपोर्ट अपने चैम्बर में प्रस्तुत करने की अनुमति दे क्योंकि रिपोर्ट में कुछ संवेदनशील बाते हैं जो सार्वजनिक रूप से कोर्ट में पेश नहीं की जा सकती।

वही गोपनीय रिपोर्ट बुधवार को सीबीआइ, सीआईडी व महाराष्ट्र के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जज के समक्ष पेश की थी। कल सुनवाई के दौरान न्यायालय ने वापस कर दिया और कहा कि इस रिपोर्ट में कुछ भी गोपनीय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट में केस से संबधित कोई भी नई बात नहीं थी, रिपोर्ट देखकर ऐसा लग रहा था कि इस केस में ठोस प्रगति नहीं हुई है।

यह भी पढ़ें-   नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी की बेल याचिका ख़ारिज

पीठ ने कहा कि यह रिपोर्ट सीबीआई और सीआईडी के प्रमुख को सम्मन देने के बाद न्यायालय में पेश की गई है। जिस तरह की रिपोर्ट न्यायालय में पेश की गई है इससे यह दिखता है कि सरकार की प्राथमिकता क्या है।

सामाजिक कार्यकर्त्ता नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को पुणे में कर दी गई थी। गोविंद पानसरे एक तर्कविद व किसी भी मुद्दे पर बेबाकी से राय रखने वाले व्यक्ति थे। पानसरे को 16 फरवरी 2015 को गोली मार दी गई थी, इसके बाद उनकी मौत अस्पताल में 20 फरवरी को हो गई। ज्ञात हो कि दोनों हत्याओं की जाँच केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) व महाराष्ट्र सीआईडी कर रही है।

यह भी पढ़ें-   कलबुर्गी, पानसरे, दाभोलकर: वैज्ञानिक विवेक बनाम रुढ़िवादी ताकतें

पीठ ने कहा कि जब देश एक ‘दुखद स्थिति’  से गुज़र रहा हो, जहाँ लोग स्वतंत्र रूप से घूम नहीं सकता या किसी से खुल कर बात नहीं कर सकता, तब जाँच एजेंसियाँ इस केस को अत्यावश्यक नहीं समझ रहीं है। ऐसी स्थिति में केस में तात्कालिकता नहीं दिखाना बहुत दुखद है।

नरेन्द्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे के परिवार वालों ने कोर्ट में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया था कि इतना संवेदनशील केस होने के बावजूद, एजेंसियों ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसी याचिका पर न्यायालय सुनवाई कर रहा था।

न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद अगर एजेंसियाँ इस तरह के परिणम देंगी तो यह बिल्कुल दुखद है,  हम आपकी जाँच से प्रभावित नहीं है। न्यायालय ने एजेंसियों से पुछा कि क्या आप समाज में हो रहे अपराधों के मामलों का ऐसे निपटारा करते हैं।

न्यायालय ने कहा कि आजकल कोई भी अपने हाथ में कानून ले लेता है, पत्थरबाजी, बसों में आग लगाना आज कल आम हो गया है...न्यायालय ने आगे कहा कि आप की प्राथमिकता क्या है? एक राज्य है, सरकार है। सरकार तो कल बदल सकती हैं, लेकिन राज्य तो स्थाई है जो लाखों लोगों का घर है उनका क्या?

यह भी पढ़ें-  विचार का प्रतिवाद विचार से न कर सकने वालों ने दाभोलकर और पानसरे की हत्या की: डॉ. अविनाश पाटील

हालांकि यह बात अब छिपी नहीं है कि इन हत्याओं के पीछे किन संस्थाओं का हाथ है। स्वतंत्र विचारक व सामाजिक कार्यकर्ताओं, जिनकी भी हत्या पिछले कुछ दिनों में हुई है, उन सब के हत्यारे कहीं न कहीं कट्टरवादी हिंदुवादी संगठन से जुड़े हुए व्यक्ति थे। अब देखना होगा कि सरकार का तोता कही जानी वाली एजेंसियाँ न्यायालय की फटकार के बाद जाँच में कितनी तेज़ी करती है और मुजरिमों को कठघरे में कितनी जल्दी खड़ी करती है?

Hindu Janajagruti samiti Sanatan sanstha
Govind Pansare
gauri lankesh
narendra dabholkar

Related Stories

वे दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी या गौरी लंकेश को ख़ामोश नहीं कर सकते

दाभोलकर हत्याकांड की सुनवाई जल्द शुरू होगी; पुणे कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए

गौरी लंकेश : आँखें बंद कर जीने से तो अच्छा है आँखें खोलकर मर जाना

सताए हुए लोगों की ‘अक्का’ बन गई थीं गौरी

अगर हम अपनी आवाज़ उठाएंगे, तो गौरी की आवाज़ बुलंद होगी

"वैज्ञानिक मनोवृत्ति" विकसित करने का कर्तव्य

दाभोलकर हत्याकांड : उच्च न्यायालय ने आरोपी विक्रम भावे को जमानत दी

अमित शाह के बीमार होने की कामना से हर किसी को सावधान क्यों रहना चाहिए

2020 में भी बोल रही हैं गौरी

देश में एक साथ उठ खड़े हुए 500 से ज़्यादा महिला, LGBTQIA, छात्र-शिक्षक, किसान-मज़दूर संगठन


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License