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प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन ‘सेवा दिवस’ पर क्यों भारी पड़ रहा है ‘राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस’?
सालाना 2 करोड़ नौकरियां और अच्छे दिन के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अब देश के युवाओं ने मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि कोरोना संकट से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था खस्ताहाल से गुजर रही थी, सैकड़ों लोग नौकरियां गवां चुके थे लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार 5 ट्रिलियन इकॉनमी का सपना दिखा रही थी।
सोनिया यादव
17 Sep 2020
कार्टून क्लिक- इरफान
कार्टून क्लिक- इरफान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज यानी गुरुवार,17 सितंबर को 70 वां जनमदिन है। एक ओर बीजेपी इसे सेवा दिवस के रूप में मना रही है तो वहीं दूसरी ओर देश के करोड़ों युवा और विपक्षी दल इसे राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस का नाम दे रहे हैं। ट्विटर पर #NationalUnemploymentDay और #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस टॉप पर ट्रेंड कर रहा है।

देश में बढ़ती बेरोज़गारी और घटती सरकारी नौकरियों के बीच भारतीय युवा सरकार के प्रति अपनी नाराज़गी लगातार ज़ाहिर कर रहे हैं। देश के युवा पहले ही ‘नो मोर बीजेपी’ जैसे हैशटेग ट्विटर पर ट्रेंड करवा चुके हैं।

युवाओं का आरोप है कि अच्छे दिन और हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा कर सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें निराश किया है। कोरोना संकट से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था खस्ता हाल से गुजर रही थी, सैकड़ों लोग नौकरियां गवां चुके थे लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार 5 ट्रिलियन इकॉनमी का सपना दिखा रही थी।

क्या है पूरा मामला?

देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती और बेरोज़गारी की ऊंची दर के बीच युवाओं ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। छात्र एसएससी जैसी परीक्षाएँ तय समय पर न होने और नौकरियों के लिए तय समय पर नियुक्ति न होने से भी नाराज़ हैं।

इसके अलावा कई संस्थानों में बेतहाशा फ़ीस वृद्धि से परेशान छात्र भी सरकार से सुनवाई की गुहार लगा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौर में सोशल मीडिया ख़ासकर ट्विटर पर नौजवान छात्र अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं।

मालूम हो कि इससे पहले भी नौ सितंबर को देश के अलग-अलग हिस्सों में युवाओं ने रात नौ बजकर नौ मिनट पर टॉर्च, मोबाइल फ़्लैश और दिए जलाकर सांकेतिक रूप से अपना विरोध ज़ाहिर किया था।

image Credit- Sangbad Pratidin

इसी मुहिम को आगे बढ़ते हुए अब कई युवा और छात्र संगठन प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस ट्रेंड कराकर सांकेतिक रूप से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। बेरोजगारी दिवस पर ट्वीट करने वालों में ज्यादातर वो युवा है, जो सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं, परिक्षार्थी हैं, जिन्होंने किसी सरकारी नौकरी की परिक्षा तो दे दी लेकिन उसका रिजल्ट अभी तक नहीं आया, या रिजल्ट आ गया है तो ज्वाइनिंग अभी तक नहीं हो पाई। युवाओं के इस अभियान में विपक्षी दल भी उनका साथ दे रहे हैं।

AISA

आज़ाद भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी दर

राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के संबंध में जेएनयूछात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साईं बालाजी न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहते हैं कि आज देशभर के छात्र और नौजवान इसलिए आवाज़ उठा रहे हैं क्योंकि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है उन्होंने छात्रों की जिंदगी पर, रोज़गार के अवसरों पर हमला बोला है। भारत की पब्लिक सेक्टर के संस्थानों को आपदा में अवसर समझकर बेचा जा रहा है। बीएसएनएल-एलआईसी जैसे सरकारी संस्थानों से कर्मचारियों को वॉलेंटरी रिटायमेंट दिया जा रहा है। लेकिन सरकार नई नौकरियां देना तो दूर पुरानी नौकरियां भी खत्म करने पर तुली हुई है।

बालाजी बताते हैं, “2014 में मोदी सरकार सालाना दो करोड़ रोज़गार के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन जब 2018 में बेरोज़गारी के आंकड़े आए, तो उसमें भारतीय जनता पार्टी, बेचो जनता पार्टी बन चुकी है सामने आई। हम लोगों ने इसे लेकर यंग इंडिया आंदोलन भी चलाया था। हमारी मांग थी कि जो 24 लाख से ज्यादा सरकारी पद खाली हैं, उन्हें तुरंत एक साल के अंदर निष्पक्ष तरीके से भरा जाए, परीक्षाओं में घोटाले रुके, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो।”

Balaji

‘भारतीय जनता पार्टी, बेचो जनता पार्टी बन चुकी है’

बालाजी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी, बेचो जनता पार्टी बन चुकी है। इस देश की जनता को, संस्थानों को, देश के लोकतंत्र-अर्थव्यवस्था को सरकार अंबानी-अडानी के हाथों बेच रही है। सरकार ने जैसे बिना सोचे-समझे लॉकडाउन लगाया उसमें दो करोड़ से ज्यादा सैलरीड क्लास लोगों की नौकरियां चली गईं। मजदूर-किसानों के घर तबाह हो गए। नोटबंदी और जीएसटी ने पहले ही लोगों की जिंदगियां तबाह कर दी थी, जो बचे-खुचे थे लॉकडाउन ने उन्हें दफन कर दिया। अब कुछ बचा ही नहीं है।

सरकार युवाओं की आवाज़ को अनसुना कर रही है!

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ज्वाइंट एक्शन कमिटी के सदस्य राज अभिषेक बताते हैं, “आज इतिहास में पहली बार किसी राष्ट्र के वर्तमान सर्वोच्च नेता का जन्मदिन, बेरोजगार दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हर साल 2 करोड़ नौकरी का वादा कर सत्ता में आये मोदी सरकार ने 6 सालों में बेरोजगारी और टूटी अर्थव्यवस्था के नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं। करोड़ों युवा हर रोज सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ उठा रहे हैं पर सरकार के कानों पर जूं तक नही रेंग रही है। अगर यही व्यवस्था रही तो आनेवाले समय मे युवा और छात्र इस फ़र्ज़ी डिग्रीधारी वाली फेंकू सरकार की ताबूत में आखिरी कील ठोकेंगे।”

image Credit- national herald

गिरती जीडीपी, बढ़ती बेरोज़गारी

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अनुसार इस साल अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी में 23.9 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी, जो पिछले 40 वर्षों में सबसे भारी गिरावट है। इतना ही नहीं, सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आँकड़ों के अनुसार छह सितंबर वाले सप्ताह में भारत की शहरी बेरोज़गारी दर 8.32 फ़ीसदी के स्तर पर चली गई।

महामारी के बीच लगे लॉकडाउन और आर्थिक मंदी की वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है और बड़ी संख्या में लोगों का रोज़गार ठप हो गया है।

सेंटर फ़ॉर इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आकड़ों के मुताबिक़, लॉकडाउन लगने के एक महीने के बाद से क़रीब 12 करोड़ लोग अपने काम से हाथ गंवा चुके हैं। अधिकतर लोग असंगठित और ग्रामीण क्षेत्र से हैं।

सीएमआईई के आकलन के मुताबिक़, वेतन पर काम करने वाले संगठित क्षेत्र में 1.9 करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियां लॉकडाउन के दौरान खोई हैं।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियन डेवलपमेंट बैंक की एक अन्य रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि 30 की उम्र के नीचे के क़रीब चालीस लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नौकरियाँ महामारी की वजह से गंवाई हैं। 15 से 24 साल के लोगों पर सबसे अधिक असर पड़ा है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात और बीजेपी के कई वीडियोज़ को को यूट्यूब पर भारी संख्या में डिसलाइक्स मिलने के पीछे भी छात्रों के ग़ुस्से को कारण बताया जा रहा था। बीजेपी भले ही इसे विपक्ष की साजिश करार दे लेकिन आज विपक्ष भी सरकार के खिलाफ खुलकर युवाओं का साथ दे रहा है।

richa

‘रोजगार देना तो दूर, रोजगार छीनने का काम कर रही है सरकार’

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी नेता ऋचा सिंह ने न्यूज़क्लिक से कहा, "दुनिया के सबसे बड़े जनतंत्र में आर्थिक व्यवस्था का पहला आधार है- हर हाथ को काम, ये प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। लेकिन वर्तमान बीजेपी सरकार रोजगार देने की बात तो दूर, दिन-प्रतिदिन रोजगार छीनने का काम कर रही है। युवाओं से योजना बद्ध छल कर रही है उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं। इसी के प्रतिरोध में आज 17 सितंबर को इलाहाबाद में जगह-जगह युवाओं के द्वारा "राष्ट्रीय बेरोजगारी" दिवस मनाया जा रहा है साथ ही क्रांति की स्वरूप मशाल जुलूस भी शाम को निकाला जाएगा।"

ऋचा आगे कहती हैं, “कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए और कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए"। रोज़गार के करोड़ों अवसर देने के नाम पर आई इस सरकार में पहले तो वेकेंसी नहीं है, वैकेंसी निकले तो इम्तहान नहीं होते। इम्तहान हो तो वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रहे हैं। बेरोजगारी के चरम दौर में रोजगार सर्जन के स्थान पर सरकारी नौकरियों 5 साल की संविदा का प्रावधान लाकर सरकार कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाना चाह रही है, नौकरियों में ठेका पद्धति लागू करना चाहती है पूंजीपतियों की यह सरकार। 50 साल में जबरन रिटायरमेंट कर देने की योजना कर्मचारियों के अधिकारों के साथ न सिर्फ़ खिलवाड़ है बल्कि उनके परिवारों को भी खतरे में डालना है। यह सरकार छात्र विरोधी, युवा विरोधी ही नहीं जनविरोधी भी है।

युवा आज ‘राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस’ मनाने पर मजबूर हैं!

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बेरोजगारी की समस्या को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि आखिर सरकार रोजगार देने से कब तक पीछे हटेगी। उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘यही कारण है कि देश का युवा आज ‘राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस’ मनाने पर मजबूर है। रोज़गार सम्मान है। सरकार कब तक ये सम्मान देने से पीछे हटेगी?’’

कांग्रेस नेता ने जिस खबर का हवाला दिया उसके मुताबिक, सरकारी पोर्टल पर नौकरियों के लिए एक करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है, लेकिन सिर्फ 1.77 लाख नौकरियां ही उपलब्ध हैं।

Rahul gandhi

राज्यसभा सांसद और आम आजमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा, देश कोरोना की महामारी से मर रहा है और नौजवान बेरोज़गारी से।

संजय सिंह

प्रियंका गांधी वाड्रा ने हैशटैग बेरोज़गारी दिवस का इस्तेमाल कर कई ट्वीट किये। उन्होंने  अपने एक ट्वीट में लिखा, “वाह री सरकार पहले तो नौकरी ही नहीं दोगे। जिसको मिलेगी उसको 30-35 से पहले नहीं मिलेगी। फिर उस पर 5 साल अपमान वाली संविदा की बंधुआ मजदूरी। और अब कई जगहों पर 50 वर्ष पर ही रिटायर की योजना। युवा सब समझ चुका है। अपना हक मांगने वो सड़कों पर उतर चुका है।”

प्रिंयका गांधी

प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में समूह ख और ग की नौकरियों को पांच साल की संविदा के प्रावधान संबंधी प्रस्ताव को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा,"यह काला कानून है। इस के खिलाफ सड़क पर उतरा जाएगा। हम ऐसी नीति लाएंगे जिसमें युवाओं का अपमान करने वाला संविदा कानून नहीं बल्कि सम्मान के कानून हों।"

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