सरकार ने संसद, समाज और शिक्षाशास्त्रियो के बीच व्यापक चर्चा के बगैर नयी शिक्षा नीति का ऐलान कर दिया. हेडलाइन्स बनते कुछ कदमों को छोड़ दें तो इस शिक्षा नीति में शैक्षिक विकास की समग्र राष्ट्रीय दृष्टि नहीं नज़र आती. वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण और साथ में देश की जानी-मानी शिक्षाशास्त्री प्रो अनीता रामपॉल से उनकी खास बातचीत: