NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पी डी पी और भाजपा गठबन्धन की गाँठ
वीरेन्द्र जैन
17 Mar 2015

राष्ट्रभक्ति की चादर ऐसी चादर है जिसके नीचे बहुत सारे पाप छुप जाते हैं, पर उस चादर की भी एक सीमा होती है। भाजपा द्वारा उस चादर के नीचे इतने पाप छुपाये गये हैं कि उन पापों के पाँव अब बाहर निकलने लगे हैं। पहले जनसंघ और अब भाजपा के नामसाथ से कार्यरत दल, संघ परिवार के साठ से अधिक अनुषांगिक संगठनों में से एक है जिसके ऊपर चुनाव प्रणाली द्वारा सत्ता हथियाने और उसके सहारे रक्षा तंत्र पर अधिकार करने की जिम्मेवारी है। यह बात भी सर्वज्ञात है कि भाजपा का कोई भी नीतिगत फैसला संघ की अनुमति के बिना नहीं होता और हर स्तर के संगठन सचिव के पद पर संघ के प्रचारक को ही नियुक्त करने का नियम है, जिससे संघ का नियंत्रण बना रहे। इतिहास बताता है कि अपनी स्थापना के बाद से भाजपा ने चुनाव प्रणाली की कमियों का दुरुपयोग करते हुए सर्वाधिक विकृतियां फैलायीं। इस पार्टी ने साम्प्रदायिकता, जातिवाद, लोकप्रियतावाद [सेलिब्रिटीज को उम्मीदवार बनाना], धन व बाहुबल का प्रयोग करते हुए मीडिया को खरीदने का काम किया है। चुनाव के बाद भी सरकार बनाने के लिए दलबदल कराना, विधायकों की खरीद फरोख्त करने की बुराइयों में भी ये अग्रणी रहे हैं। इन्हें जब भी मौका मिला है ये हर रंग और सिद्धांतों की पार्टियों के साथ सभी संविद सरकारों में सम्मलित होने के लिए अपने को प्रस्तुत करते रहे हैं और फिर उन संविद सरकारों में भी भितरघात करते रहे हैं। वर्तमान में सत्तारूढ सरकार भी कार्पोरेट लाबी द्वारा जुटाये गये धन के अटूट प्रवाह से खरीदे हुए मीडिया, कुशल प्रबन्धन, के साथ समस्त चुनावी विकृतियों के मेल से बनी है जिसमें 116 सदस्य तो दूसरी पार्टियों से आये लोग हैं। इतना कुछ करने के बाद भी उन्हें कुल डाले गये मतों के इकतीस प्रतिशत ही मत मिले थे और इनका राज्यसभा में बहुमत नहीं है जिससे कहीं न कहीं अभी भी इनके हाथ बँधे हैं, इसलिए किसी भी तरह जल्दी से जल्दी राज्यों में सराकारें बनाना इनका मुख्य लक्ष्य है। दिल्ली विधानसभा को इसी कारण से बहुत महीनों तक लम्बित रखा गया किंतु आम आदमी पार्टी की सजगता के कारण ये समुचित संख्या में विधायक नहीं तोड़ पाये तब मजबूरी में चुनाव करवाये।

                                                                                                                                 

 

संघ एक ओर तो बहुत आदर्श की बातें करता है किंतु उसने चुनाव जीतने के लिए भाजपा द्वारा की जा रही अनैतिक कार्यवाहियों और सरकारें बना लेने के बाद किये जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ कभी आपत्ति नहीं जतायी। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में तो व्यापम घोटाले में संघ के पदाधिकारियों के नाम भी आये हैं और ज्यादातर आरोपी संघ से निकले नेता हैं। सरकारें बनने के बाद उनके रहन सहन और सम्पत्तियों में जो परिवर्तन देखे गये हैं वे इस संगठन में उम्मीदें देखने वालों को भी चकित करते हैं।
 
जम्मू-कश्मीर राज्य में इन्होंने पीडीपी की शर्तों के आगे सभी तरह से नतमस्तक होकर सरकार बनायी और ऐसा करते हुए यह पूरी तरह भुला दिया कि इनकी लोकप्रियता का मूल आधार इनकी वे ही राष्ट्रवादी घोषणाएं हैं जिनसे समझौता करके अब इनका सरकार में दोयम दर्जे के हिस्सेदार के रूप में सम्मलित होना सम्भव हुआ है। लगातार दो महीनों तक चली वार्ता के बाद जिसमें संघ से आये राम माधव प्रमुख वार्ताकारों में से एक थे, को अपनी पहली तीन मांगों वाली धारा 370 को समाप्त करने की मांग छोड़नी पड़ी है। विधानसभा के पूरे टर्म में पीडीपी ही शासित रहेगी व मंत्रिमण्डल में विभागों का वितरण पीडीपी की मर्जी से ही होगा। सत्ता में भागीदारी बनाने के लिए इनके हाथों में पीडीपी द्वारा दिये गये मंत्रिमण्डल के कुछ विभाग हैं। चुनावों के दौरान इन्होंने अलगाववाद की मांग करने के लिए जाने जाने वाले सज्जाद गनी लोन की पार्टी से समझौता किया था जिसने वहाँ दो सीटें जीती हैं। इस तरह यह सरकार केवल भाजपा पीडीपी की ही सरकार नहीं है अपितु इसमें लोन की पार्टी जे एंड के पीपुल्स कांफ्रेंस भी सम्मलित है। इतना ही नहीं भाजपा ने घाटी में अपना दखल बनाने के लिए उन्हें अपने कोटे से मंत्री भी बनवा दिया है। घाटी में वे पीडीपी के प्रतिद्वन्दी रहे हैं, इसलिए मुफ्ती ने उन्हें भाजपा की ओर से नाम आने पर मंत्री तो बना दिया किंतु कोई प्रमुख विभाग नहीं सौंपा, जिससे वे नाराज हो गये। कोई आपराधिक प्रकरण लम्बित न होने के जिस आधार पर लोन को मंत्री बनवाया गया है उसी आधार पर मसरत को सभी मामलों में जमानत मिल जाने की बात पीडीपी के नेता कह रहे हैं। सभी जानते हैं कि सरकार ज्यादा नहीं चलने वाली इसीलिए सभी का लक्ष्य घाटी में अपना समर्थन बढाना है। दूसरी ओर पीडीपी के नेताओं का यह भी कहना है कि भाजपा में गुजरात और उत्तर प्रदेश समेत अनेक राज्यों के ऐसे नेताओं को टिकिट दिये गये थे जिन पर न केवल आर्थिक अनियमित्ताओं के आरोप थे अपितु आपराधिक प्रकरण भी चल रहे हैं व वे लोग जमानत पर बाहर हैं।
 
यही कारण रहा कि भाजपा ने आरोप लगने पर बाहर बाहर तो बहुत फूं फाँ की किंतु जम्मू में विरोध करने वाले अपने नेताओं को बुला कर रणनीति समझा दी, जिसका परिणाम हुआ कि कैबिनेट की बैठक में इस विषय को रखा ही नहीं गया और भाजपा के किसी सदस्य ने इसकी चर्चा तक नहीं की।
यही है भाजपा के राष्ट्रवाद का नमूना।    

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

 

पीडीपी
भाजपा
मसरत
मुफ्ती
लोन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’
    09 May 2022
    अदालत ने कहा कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर हुए घटनाक्रम और दंगे रोकने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की जांच किए जाने की आवश्यकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,207 नए मामले, 29 मरीज़ों की मौत 
    09 May 2022
    राज्यों में कोरोना जगह-जगह पर विस्पोट की तरह सामने आ रहा है | कोरोना ज़्यादातर शैक्षणिक संस्थानों में बच्चो को अपनी चपेट में ले रहा है |
  • Wheat
    सुबोध वर्मा
    क्या मोदी सरकार गेहूं संकट से निपट सकती है?
    09 May 2022
    मोदी युग में पहली बार गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है और ख़रीद घट गई है, जिससे गेहूं का स्टॉक कम हो गया है और खाद्यान्न आधारित योजनाओं पर इसका असर पड़ रहा है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!
    09 May 2022
    क्या मोदी जी के राज में बग्गाओं की आज़ादी ही आज़ादी है, मेवाणियों की आज़ादी अपराध है? क्या देश में बग्गाओं के लिए अलग का़ानून है और मेवाणियों के लिए अलग क़ानून?
  • एम. के. भद्रकुमार
    सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति
    09 May 2022
    सीआईए प्रमुख का फ़ोन कॉल प्रिंस मोहम्मद के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत के लिए तो नहीं ही होगी, क्योंकि सऊदी चीन के बीआरआई का अहम साथी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License