NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
पैंडोरा पेपर्स: अमीरों की नियम-कानून को धता बताने और टैक्स चोरी की कहानी
ICIJ का अनुमान है कि टैक्स हेवेन देशों के जरिए दुनिया भर के देशों का तकरीबन 6 ट्रिलियन से लेकर 32 ट्रिलियन डॉलर तक चुरा लिया जा रहा है।
अजय कुमार
06 Oct 2021
pand

पैंडोरा पेपर्स से हुआ खुलासा बता रहा है कि आपके पास पैसा है तो आप देश के नियम कानून को अपनी जेब के भीतर रखकर चल सकते हैं। बड़ी डिग्रियां लेकर बने वकीलों और अकाउंटेंटों की बड़ी फौज अमीरों के पैसे को संभालने में लगी हुई है। कानून और खाताबही के भीतर वह रास्ता बनाने में लगी हुई है जिससे कानून पर भी ना आंच आए और अमीरों को भी टैक्स देने से बचा लिया जाए।

कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICJI) ने मेहनत लगाकर पैंडोरा पेपर्स की लीक जानकारियों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन के बाद पता चला है कि दुनिया के अमीर लोगों की एक लंबी चौड़ी फेहरिस्त अपने देश में टैक्स देने से बचने के लिए अपना पैसा उन देशों और जगहों में जमा कर रही है, जिन्हें टैक्स हैवन कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में समझिए तो ऐसी जगहें जो कर देने से बचने के लिए किसी आश्रय की तरह है। जहां जमा पैसे पर या तो कर लगता नहीं है अगर लगता भी है तो बहुत कम दर से कर लगता है।

इसे भी देखें: पैंडोरा पेपर्स लीक: कैसे अमीर और ताकतवर टैक्स से बचते हैं

दुनिया भर में टैक्स हैवन से जुड़ी कितनी जगह हैं इसका कोई अंदाजा नहीं है। ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, केमैन आइलैंड, समोआ, पनामा जैसे द्वीप समूह टैक्स हैवन के तौर पर जाने जाते हैं। न्यूज़क्लिक पर बातचीत करते हुए वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार परंजोय गुहा ठाकुरता कहते है कि इन जगहों पर अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए खुद का संसाधन नहीं होता। जैसे भारत में खेती किसानी होती है कारोबार खुलता है। ऐसा जुगाड़ इन जगहों पर नहीं होता। इसलिए इन जगहों की अर्थव्यवस्था या तो टूरिज्म सेक्टर पर निर्भर होती है या ऐसे बैंकिंग सिस्टम पर जिसका सदस्य बनकर दुनिया का कोई भी बिजनेस मैन अपने पैसे को दुनिया की नजरों से छुपा सकता है। यहां धड़ल्ले से ऑफ द सेल्फ कंपनियां खुलती हैं। मतलब ऐसी कंपनियां जो कागज पर तो होती हैं लेकिन वास्तविक तौर पर नहीं होतीं। ऑस्ट्रेलिया के एबीसी न्यूज़ नेटवर्क की एक डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि समोआ के हर तीन नागरिकों के घर में से किसी एक नागरिक का घर कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड है। इस तरह की कंपनियां बनाने का काम बड़ी-बड़ी कॉरपोरेट लॉ फर्म की कंपनियां करती हैं।

दुनिया के किसी भी इलाके में व्यापार और कंपनी खोलने की स्वतंत्रता सब को मिली हुई है। इसलिए यह कानूनी तौर पर लीगल है। पेंडोरा पेपर से पता चला है कि इस वैधानिकता का इस्तेमाल कर दुनिया के रईसों ने कर देने से ढेर सारा पैसा बचाया है। अपना पैसा दूसरे देश में भेजने के लिए भारत की नागरिकता बीच में बाधक बन रही थी तो उद्योगपतियों ने भारत की नागरिकता छोड़कर खुद को एनआरआई तक बना डाला है। अगर खुद की नागरिकता नहीं छोड़ी तो अपने परिवार में से किसी एक को नॉन रेजिडेंट इंडियन बना दिया, ताकि वह वहां से संपत्ति का प्रबंधन करता रहे।

इसे भी पढ़े :पेट्रोल-डीज़ल पर बढ़ते टैक्स के नीचे दबते मज़दूर और किसान

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नियम यह है कि भारत का कोई भी नागरिक किसी दूसरे मुल्क में ढाई लाख डॉलर से अधिक इन्वेस्ट नहीं कर सकता है। लेकिन जैसे ही भारत की नागरिकता से मुक्ति मिल जाती है, ऐसा कोई भी प्रतिबंध काम नहीं करता है। उसके बाद वह दुबई में बैठकर भारत के ही पैसे को टैक्स हैवन जगह पर बनी किसी फर्जी कंपनी में डाल सकता है। वहां से उस पैसे का कहीं भी निवेश कर सकता है। टैक्स हैवन देश उस पैसे पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं वसूलेगा। अमीरों का पैसा बच जाएगा। टैक्स हैवन देश के लोग पैसा संभालने का काम करेंगे। उन्हें रोजगार मिलता रहेगा। टैक्स हैवन देश की अर्थव्यवस्था भी चलती रहेगी।

इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे से पता चला कि अनिल अंबानी के प्रतिनिधि अनूप दलाल ने टैक्स हैवन देश में 9 फर्जी कंपनियां बनाईं। इनमें से सात कंपनियों के कर्ज के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी ने गारंटी दी। जब यह कर्जा मिल गया तो इन कंपनियों ने दूसरी कंपनियों को कर्जा दे दिया। दूसरी कंपनियों में कई तरह की कंपनियां शामिल थीं। जिसके अंतिम मालिक अनिल अंबानी खुद थे। इस तरह से कंपनियां डूबीं। बैंक का पैसा डूबा। लेकिन पैसा अनिल अंबानी के पास पहुंच गया।

ICIJ का अनुमान है कि इन टैक्स हेवेन के जरिए दुनिया भर के देशों का तकरीबन 6 ट्रिलियन से लेकर 32 ट्रिलियन डॉलर चुरा लिया जा रहा है। आप पूछेंगे कि यह कितना पैसा होता है तो याद कीजिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह चाहत भरा बयान जिसमें वह कहते हैं कि वह भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं। भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने या ना बने लेकिन यह तो दिख रहा है कि अमीरों की टैक्स चोरी की वजह से भारत के गरीबों का बहुत बड़ा हक दूसरे मुल्कों में जमा हो रहा है। 

इसे भी पढ़ें: मोदी राज में दोगुनी हुई अंबानी-अडानी की संपत्ति

जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICJI)  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खोजी पत्रकारों की एक संस्था है। इसकी स्थापना साल 1997 में हुई थी। तब से यह संस्था दुनिया भर में नेटवर्क बनाकर होने वाले भ्रष्टाचार और लूट की छानबीन में लगी हुई है। इस संस्था को 2 साल पहले दुनिया की उन 14 बड़ी कंपनियों के डेटा का जखीरा हाथ लगा जो व्यक्तियों, संस्थाओं और कंपनियों के वित्तीय प्रबंधन के देश रेख के काम से जुड़ी हुई है। यह डाटा नहीं था बल्कि डाटा का भंडार था। तकरीबन 1 करोड़ 20 लाख के आसपास फाइल हाथ लगीं। सूचनाओं के इतने बड़े पिटारा के चलते ही पैन्डोरा नाम दिया गया। इतनी बड़ी सूचनाओं की छानबीन अकेले तो संभव नहीं थी। इसलिए इसमें दुनिया के 100 से अधिक मुल्कों के तकरीबन 600 पत्रकार शामिल हैं। भारत की तरफ से अंग्रेजी पत्रिका इंडियन एक्सप्रेस भी इन सूचनाओं की छानबीन करने में भागीदार संस्था है। सूचनाओं का बहुत बड़ा भंडार होने के चलते यह काम बहुत अधिक जटिल था। इसके लिए पत्रकारिता और विशेषज्ञता दोनों की मांग थी। सूचनाओं को खंगालना बहुत मुश्किल काम था। इसलिए इसमें बहुत लंबा वक्त लग सकता है। जो अब भी जारी है।

दो साल की छानबीन के बाद पैन्डोरा लीक की जानकारियां सामने आ रही हैं। पता चल रहा है कि 14 बड़ी वित्तीय प्रबंधन संभालने वाली कॉरपोरेट कंपनियों ने दुनिया के कई इलाकों में तकरीबन 29 हजार ऑफ द सेल्फ कंपनियां और प्राइवेट ट्रस्ट बनाकर टैक्स चोरी का जुगाड़ बनाया था। इस टैक्स चोरी के कांड में 380 भारतीय नाम भी शामिल हैं। जिसमें से 60 की तहकीकात इंडियन एक्सप्रेस ने अब तक कर ली है।

अगर दुनिया भर में देखा जाए तो पैन्डोरा पेपर्स लीक्स में 35 ऐसे लोग भी शामिल हैं जो या तो पहले किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष रह चुके हैं या वर्तमान में किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष हैं। जैसे मौजूदा समय में जॉर्डन के राजा, यूक्रेन के राष्ट्रपति, केन्या, इक्वेडोर और चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर का नाम है। दुनिया के 91 देशों से जुड़े 330 राजनेताओं और बड़े अधिकारियों का नाम इसमें शामिल है। इसके अलावा बेतहाशा दौलत के मालिक मशहूर लोग, उद्योगपति, हत्यारे, आतंकवादी सभी का नाम पैन्डोरा पेपर्स में सामने आ रहा है। देश चलाने वाले से लेकर देश लूटने वाले तक सब टैक्स चोरी के कांड से जुड़े हुए हैं। वह लोग भी जुड़े हुए हैं जो बाजार में सफलता के मानक बनकर ईमानदार जीवन जीते हुए सफलता बेचने का काम करते हैं। इन सब का टैक्स चोरी से जुड़ा काला चिट्ठा पंडोरा पेपर्स की छानबीन से सामने आ रहा है। 

इसे भी पढ़ें: कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती : ज़रूरत के विपरीत किया गया फ़ैसला!

इंडियन एक्सप्रेस के पी. वैद्यनाथन कहते हैं कि पैन्डोरा पेपर से मिली जानकारियां बताती हैं कि टैक्स बचाने के लिए सबसे अधिक ट्रस्ट का रास्ता अख्तियार किया गया। ट्रस्ट बनाकर अमीरों ने अपनी संपत्तियों को देश से बाहर निकाला लिया। और फिर वैसे देश में पहुंचाया जहां पर कॉर्पोरेट टैक्स की दर बहुत कम है।

अब यहां पर थोड़ा सा ट्रस्ट के बारे में समझते है। ट्रस्ट एक तरह की कानूनी संस्था होती है। जो ज्यादातर लोगों की संपति की देख रेख में इस्तेमाल होती है। सेटलर, ट्रस्टी, प्रोटेक्टर और बेनेफशियरी- ट्रस्ट के मुख्यत: ये 4 हिस्से होते हैं। उदाहरण के तौर पर समझिए तो यह है कि भारत का एक बड़ा उद्योगपति जो अपना पैसा और संपति ट्रस्ट बनाकर दूसरे देश में भेज रहा है, वह सेटकर कहलाता है। जो उस पैसे और संपत्ति को दूसरे देश में संभाल रहा है वह ट्रस्टी कहलाता है। सेटलर यह तय करता है कि कुछ शर्तों के पूरा हो जाने के बाद ट्रस्टी वह पैसा और संपति किसे देगा। ट्रस्टी के कामकाज को देखने के लिए सेटलेर ही प्रोटक्टर की नियुक्ति करता है। इस तरह से ट्रस्ट जैसी जटिल संस्था का निर्माण होता है जिसके जरिए अमीर लोग खासकर अपने बच्चों में अपनी संपत्ति के बंटवारे के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।

वह लोग जिन्हें लगता है कि उनकी संपत्ति उनके लिए इस समय सुरक्षित नहीं है तो वह इसका इस्तेमाल कर दूसरे देश में अपनी संपत्ति सुरक्षित रखते हैं। जैसे मान लीजिए कि अफगानिस्तान का कोई नागरिक हो और उसे लगता हो कि उसकी पूरी कमाई डूब सकती है इसलिए उसने ट्रस्ट बना लिया है। इसलिए ट्रस्ट एक तरह की कानूनी संस्था होती है। जिसे कानून से वैधता मिली होती है।

लेकिन छानबीन के बाद ऐसे कई ब्यौरे सामने आए हैं जिनसे यह पता चलता है कि इसका इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए किया जा रहा है। जैसे जब कोई अपनी संपत्ति को ट्रस्ट को सौंप देता है तो उसकी संपत्ति और ट्रस्ट की संपत्ति अलग अलग हो जाती है। इसलिए अगर किसी उद्योगपति की कंपनी का दीवाला निकलेगा तो बैंक उनकी सारी संपत्ति को जब्त करेगा लेकिन उस संपत्ति को ज़ब्त नहीं करेगा जो ट्रस्ट के माध्यम से ट्रस्टी संभाल रहा है और उसका बेनिफिसरी कोई और है। फिर भी अगर यह पता चलता है कि उद्योगपति की कोई संपत्ति दूसरे मुल्क में है तो भी कानूनी कार्रवाई का रास्ता कानून के पास बचा रहता है। लेकिन वकीलों ने मिलकर इस तरह का जुगाड़ लगाया है कि दूसरे मुल्क में दबी इस तरह की संपत्ति की पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है। 

जैसे उद्योगपति की संपत्ति की देखरेख करने के लिए किसी दूसरे मुल्क में ट्रस्ट है। उस ट्रस्ट के भीतर कई तरह की संपत्तियों की देखरेख की जा रही है। इस तरह से यह मल्टी लेयर स्ट्रक्चर में बदल जाता है। जहां पर अंतिम मालिक कौन है यह पता लगाना बहुत जटिल हो जाता है। अगर सरकार यह पता लगाना चाहे भी तो भी उसे पता लगाते लगाते लंबा समय लग सकता है। क्योंकि यह सारे ट्रस्ट उन टैक्स हैवन मुल्कों में बनाए जाते हैं जहां पर कड़े सिक्रेसी कानून काम करते हैं। इसी तरह के जटिल तिकड़म अपनाकर अमीरों का पैसा कर देने से बचाया गया है।

इसे भी पढ़ें: कॉरपोरेट का सात खून माफ़ !

अभी तक भारत की तरफ से अनिल अंबानी, सचिन तेंदुलकर, जैकी श्रॉफ, नीरव मोदी की बहन, अडानी के भाई का नाम पैंडोरा पेपर्स लीक्स में सामने आ रहा है। जानकारों की मानें तो अभी और अधिक नाम सामने आ सकते हैं। जिसमें सरकारी अधिकारी, मिलिट्री के अधिकारी और बड़े-बड़े नेताओं के नाम आने की संभावना जताई जा रही है।

पूरी दुनिया सहित भारत के लिए यह अजीब सी पहेली बन चुकी है। भारत में अमीर और गरीब की खाई बहुत गहरी होती जा रही है। पेट्रोल डीजल से लेकर हर सामान और सेवा पर आम जनता से वसूला जाने वाला टैक्स बढ़ता जा रहा है। सरकार कॉरपोरेट टैक्स कम कर रही है। फिर भी अमीर अपना पैसा बचाने के लिए दूसरे देश की तलाश में लगे हुए हैं। देश में इतनी बड़ी धांधली चल रही हो और देश के कर विभाग को पता भी ना हो यह नामुमकिन है। लेकिन फिर भी सरकार ऐसे कड़े नियम और कानून नहीं बनाती जिससे इसे रोका जाए। इसकी वजह साफ दिखती है कि भारतीय लोकतंत्र में अमीरों का दबाव भारतीय सरकार पर बहुत ज्यादा है। जहां वह सरकारी नेताओं को इलेक्टोरल बांड के जरिए पैसा देकर जो मर्जी सो करने की स्वतंत्रता हासिल कर लेते हैं। 

corporate tax
pandora papers
ICIJ
Anil Ambani
Sachin Tendulkar
trust
14 financial management company
economics
tax
tax theft
tax avoidance
shelf company
shell company
tax haven
tax haven country
tax haven island

Related Stories

प्रोग्रेसिव टैक्स से दूर जाती केंद्र सरकार के कारण बढ़ी अमीर-ग़रीब के बीच असमानता

बजट की पूर्व-संध्या पर अर्थव्यवस्था की हालत

क्या पनामा, पैराडाइज़ व पैंडोरा पेपर्स लीक से ग्लोबल पूंजीवाद को कोई फ़र्क़ पड़ा है?

पैंडोरा पेपर्स लीक: कैसे अमीर और ताकतवर टैक्स से बचते हैं

पेट्रोल-डीज़ल पर बढ़ते टैक्स के नीचे दबते मज़दूर और किसान

रफाल विमान सौदे में फ्रांस में जांच के आदेश

रफ़ाल सौदे के मामले में फ्रांस ने न्यायिक जांच आरंभ की: फ्रांसीसी मीडिया

पेट्रोल पर ज़्यादा टैक्स, अमीरों का फ़ायदा

सचिन तेंदुलकर कोविड-19 से संक्रमित

कट, कॉपी, पेस्ट: राष्ट्रवादी एजेंडे के लिए भारतीय खिलाड़ियों के सोशल मीडिया का इस्तेमाल


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License