NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सुषमा की मानवता किसके लिए?
महेश कुमार
19 Jun 2015

एक बात तो माननी पड़ेगी कि भाजपा और उसके नेता देश समस्याओं को निबटाने के लिए अलग पखवाड़ों में काम करते हैं. जैसे कि मोदी ने सरकार में आते ही रेल के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए रेल भाड़ों में भारी बढ़ोतरी कर दी. तेल की हालत में सुधार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कीमतों के सबसे कम होने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी को बनाए रखा. स्वच्छ भारत अभियान चलाया और नतीजन दिल्ली सरकार के साथ टकराव में जाने से दिल्ली को कूड़े के ढेर में तब्दील कर दिया. विकास की रफ़्तार को तेज़ करने के लिए भूमि छीनों कानून की तलवार किसानों पर लटका दी है. इनकी दरयादिली देखिये कि लन्दन में बैठे करोड़पति ललित मोदी जोकि धोखा करके देश से ही लापता है को मानवता के आधार पर दुसरे देश में यात्रा के लिए दस्तावेज़ बनवा दिए. यही नहीं ब्रिटिश सरकार को यह भी आश्वासन दे दिया कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वैसे तो जितने भी हाई प्रोफाइल अपराधी हैं उनके किसी न किसी पार्टी में संपर्क हैं तो भविष्य में कोई भी अपराधी अब भाजपा की इस नीति के तहत मानवता के आधार पर सहायता प्राप्त कर सकता है.

सीधे भ्रष्टाचार का मामला

सुषमा स्वराज जिनके वे पारिवारिक मित्र हैं वे अब सभी के सीधे निशाने पर हैं. वे और भाजपा कहती हैं कि सुषमा स्वराज ने यह सब मानवता के आधार किया है क्योंकि ललित मोदी की पत्नी पुर्तगाल में केंसर का इलाज़ कराने लिए गयी हुयी हैं इसलिए ललित मोदी का वहां जाना जरूरी था. कैंसर पीड़ित पत्नी के इलाज के लिये “मानवीय” आधार पर विदेशमंत्री  सुषमा स्वराज की कृपा पर ललित मोदी को दो वर्ष के लिये ट्रैवल डाक्युमेंट मिले. उनके जो ताज़ा फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, उनके मुताबिक़ वे यूरोप में न जाने किन-किन होटलों, क्लबों, समुद्री किनारों और ऐशगाहों में अपने विदेशी और देशी दोस्तों के साथ खूब ऐश रहे हैं. ऐसे एय्याश और धोखेबाज़ अपराधी के लिए विदेशमंत्री के दिल में  मानवीय आधार का घुमड़ कर आना अपने आप में कुछ ओर ही काहानी कहता है. सुषमा स्वराज के पति और उनकी बेटी के लिए ललित मोदी ने बहुत कुछ किया है इसलिए उन्होंने ललित मोदी के प्रति अपना फ़र्ज़ अदा किया है. यह मामला सीधे-सीधे एक-दुसरे को फायदा पहुंचाने का है. इस मामले में सरकार का रुख प्रत्यक्ष रूप से भ्रष्ट है.

                                                                                                                               

राजस्थान की मुख्यमंत्री तो इनसे भी आगे बढ़ गयी. उन्होंने तो ब्रिटिश के कोर्ट में जाकर ललित मोदी के पक्ष में गुप्त हलफनामा दे दिया और कह दिया इसके बारे में भारतीय अधिकारियों को नहीं पता चलना चाहिए. सनद रहे कि ललित मोदी ने वसुंधरा के बेटे की कम्पनी में मात्र 10 के शेयर को ऊँचे दामों पर खरीद कर करोड़ो रूपए का निवेश कर दिया. अभी तो बहुत परते खुलेंगी क्योंकि इस दोस्ती के पीछे के-क्या गुल खिलें हैं उन पर से पर्दा उठाना बाकी है. इस पूरी बहस में यह साबित हो गया है कि ललित मोदी की जेब में केवल यही नेता नहीं बल्कि न जाने कितने और नेता हैं इसका भी खुलासा जल्दी ही होगा.

मानवता किसके लिए

हर व्यवस्था की अपनी बड़ी खूबी होती है. पूंजीवादी व्यवस्था की अपनी बड़ी खूबियाँ है. इस व्यवस्था को इस तरह से व्यवस्थित किया जाता है कि आप कुछ भी कर लें अंतत: फायदा आर्थिक रूप से संपन्न लोगों को ही मिलता है. गरीब लोग तो केवल विधेयकों के नुकसान और फायदों पर ही बहस करते रहते हैं और व्यवस्था अपना काम करती रहती है. दिल्ली में और देश में लाखों केंसर के मरीज़ हैं जो इसलिए मर जाते हैं या लम्बे समय तक बीमार पड़े रहते हैं क्योंकि उनको समय से इलाज़ नहीं मिल पाता है. दिल्ली में अगर सरकारी अस्पतालों में जाएँ जहां गरीब तबका केंसर का इलाज़ करवाने जाता है तो आप उनकी कहानी सुन कर स्तब्ध रह जायेंगे कि उन्हें जरूरी इलाज़ के लिए तारीख ही नहीं मिलती है और जो तारीख मिलती है वह इतनी दूर की होती है कि तब तक मरीज़ बचेगा या नहीं इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं होता. केसर के इलाज़ के लिए सर्जरी के बाद केमो व रेडियेशन की जरूरत होती है. लेकिन रेडियेशन की तारीख इतनी दूर की होती की मरीज़ को फिर से केंसर की गिरफ्त में आने का खतरा बन जाता है. सवाल यह उठता है कि क्या सरकार मानवता के आधार पर इन मरीजों के इलाज़ की देखभाल की जिम्मेदारी क्यों नहीं ले सकती. क्यों सरकार रेडियेशन की नयी मशीन सभी अस्पतालों में नहीं लगाती. क्यों सरकार रेडियेशन और केमो देने के लिए नए केंद्र नहीं खोलती. सरकार देश की गरीब जनता चुनती है ताकि वह सरकार उनके हित में काम कर सके. लेकिन सरकार बनते ही गरीबों को भुला दिया जाता है और पूरी व्यवस्था बड़े-बड़े पूंजीपतियों के इशारे पर नाचने लगती है.

मानवता का ढोंग करने वाले इन मंत्रियों को एक बार केंसर से पीड़ित उन गरीबों के पास जाना चाहिए जो विदेशों में अपना इलाज़ नहीं करा सकते हैं और न ही निजी अस्पतालों में. सरकार उनके पास जाए और उनका इलाज़ करवाने के लिए मानवता दिखाए तो भ्रष्टाचार से भी निजात मिलेगी और देश के गरीब के कुछ आंसू भी पुछ जायेंगे.

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख में वक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारों को नहीं दर्शाते ।

 

ललित मोदी
सुषमा स्वराज
वसुंधरा राजे
नरेन्द्र मोदी
आईपीएल
भाजपा

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों 10 सितम्बर को भारत बंद

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License