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ट्रम्प का परमाणु शिगूफ़ा: मेरे पास सबसे बड़ी छड़ी है,या तो झुको, नहीं तो परमाणु बम से उड़ा दिए जाओगे
निष्क्रिय वैश्विक शांति आंदोलन को पुनर्जीवित करने की तत्काल जरूरत है। क्योंकि इन हालात में, सिर्फ रूस या चीन ही जोखिम में नहीं है, बल्कि पूरी मानवता खतरे में है।
प्रबीर पुरुकायास्थ
08 Feb 2019
Translated by महेश कुमार
सांकेतिक तस्वीर

1 फरवरी को इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस ट्रीटी (INF संधि) से अमेरिका ने हटने का फैसला लिया और वह कम क्षमता वाले न्यूक्लियर वॉरहेड के अपने उत्पादन और उनकी तैनाती की योजना पर बारिक नजर रखें हुए है। इस तस्वीर को पूरा करने के लिए अमेरिका ने पिछले महीने अपना मिसाइल डिफेंस रिव्यू जारी किया था, जो संक्षेप में पेंटागन में दिए गए डोनाल्ड ट्रम्प के भाषण को ही दोहराता है कि अमेरिका ऐसी क्षमताओं का विकास कर रहा है जो किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी मिसाइल का पता लगा सकती है और उन्हे नष्ट कर सकती है। ट्रम्प ने कहा, "एक अंतरिक्ष-आधारित मिसाइल रक्षा कवच बनाना... हमारी रक्षा का एक बहुत बड़ा हिस्सा बनने जा रहा है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दुश्मन की मिसाइलों को पृथ्वी पर या आसमान के उपर कोई जगह न मिले।”

यदि हम उनके इन सभी उपायों पर नज़र डालें, तो अमेरिका अब निवारण में दिलचस्पी नहीं रखता है, बल्कि वह जीतने की भरसक इच्छा रखने वाले परमाणु युद्धों और पूर्ण वैश्विक प्रभुत्व में भरोसा रखता है।

आईएनएफ संधि - जो 500 से लेकर 5,500 किलोमीटर की सीमा वाली परमाणु सक्षम मिसाइलों के उत्पादन को ख़त्म करने से जुड़ी है ताकि यूरोप की परमाणु युद्ध की थियेटर बनने की सम्भावना कम की जाए. यह अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ और उसके उत्तराधिकारी राज्य, रूस के बीच एक समझौता था। फ्रांस, यूके और चीन, अन्य तीन परमाणु शक्तियां इस संधि में शामिल नहीं थीं।

अमेरिका का आरोप रहा है कि  रूस द्वारा एक अनाम परमाणु-सक्षम, भूमि-आधारित मिसाइल विकसित कर रहा है, जो कि उपरोक्त संधि द्वारा प्रतिबंधित है। रूस ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बार-बार पहल की और अमेरिका द्वारा उसकी सीमाओं के पास परमाणु-सक्षम मिसाइल बैटरी स्थापित करने के बारे में अपनी चिंता को व्यक्त की, जो कि संधि के तहत प्रतिबंधित हैं। इस पर रूस की बात को अमेरिका ने पूरी तरह अनसुना कर दिया और केवल अपना राग अपनाया कि  

 रूस संधि का उल्लंधन कर रहा है। इस बार भी अमेरिका ने रूस को 180 दिनों के भीतर संधि से मुहँ मोड़ने की औपचारिक धमकी दी है, जब तक कि रूस अपने अनाम गैर-अनुरूप मध्यवर्ती मिसाइलों को नष्ट नहीं करता है। वह भी अपनी तथाकथित आक्रामक मिसाइलों पर कोई चर्चा किए बिना। और यहां तक कि जैसा हम मानते हैं – और जैसा कि कई "विशेषज्ञ" भी हमें बताते हैं – कि चीन को इस संधि में शामिल करने की आवश्यकता है, तो अमेरिका ने अन्य परमाणु देशों को शामिल करने के लिए संधि का विस्तार करने के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।आई.एन.एफ. संधि से वापसी स्पष्ट रूप से एक ट्रम्प-बोल्टन (अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन) की योजना है जिसे 70 और 80 के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ ने पूरे परमाणु तंत्र को खत्म करने का कदम उठाया था। जिसे अपने 1984 के स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन की शुरुआत में रोनाल्ड रीगन ने अंततः मान्यता दी थी, "एक परमाणु युद्ध कभी नहीं जीता जा सकता है और इसे कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए।"

अब दोनों देशों के बीच एकमात्र संधि  न्यू स्टार्ट (START) है जो दोनों देशों के बीच परमाणु वारहेड की संख्या को नियंत्रित करने के संबन्ध में है। यह 2021 में समाप्त हो जाएगी जब तक कि इसे नवीनीकृत नहीं किया जाता है और इस संधि का  ट्रम्प के अधीन होने की संभावना नहीं है। 

हम पहले से ही कई लेखों में इन संधियों के बारे में लिख चुके हैं  कि  कैसे बोल्टन और ट्रम्प ने  इन संधियों से हटने के लिए कैसे भड़काऊ बहाने उपयोग किये हैं। उनका वास्तविक उद्देश्य अमेरिका के वैश्विक परमाणु प्रभुत्व को पुन: स्थापित करना है, कुछ ऐसा, जो हिरोशिमा और नागासाकी कि एक संक्षिप्त अवधि के समय में  था, जब यह दुनिया की एकमात्र परमाणु शक्ति थी। ट्रम्प का मानना है कि अमरीका को फिर से महान करने का अर्थ है दुनिया में सैन्य प्रभुत्व कायम करना, जिसके माध्यम से अमेरिका दुनिया के बाकी हिस्सों में आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से अधिकार कर सकता है।

आइए हम अन्य दो कदम के बारे में बात करें - कम क्षमता वाली मिसाइलें और मिसाइल डिफेंस शील्ड की तैनाती - संधि से बाहर जाने जाने पर यह दोनों प्रावधान बहुत अधिक  खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है और इसने  मीडिया का बहुत कम ध्यान आकर्षित किया है।

कम क्षमता वाली परमाणु मिसाइलें, जो सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलें भी कहलाती हैं, जो परमाणु उपयोग की सीमा को कम करती हैं। इससे युद्ध के मैदानों में परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावना बढ़ जाती है, या जैसा कि अमेरिका कह रहा है, कि "थोड़ा" निरोध यानी भय पैदा कर युद्ध रोकने के के लिए इसका उपयोग जरूरी है और जोकि समुद्र के भीतर से रूस पर हमला करने में ज्यादा प्रभावी है। पिछले साल ट्रम्प प्रशासन ने अपने न्यूक्लियर रिव्यू में इस तरह के सामरिक परमाणु हथियारों को शामिल करने की बात कही थी। उनके राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन ने अब पुष्टि की है कि उसने टेक्सास में अपने पेंटेक्स न्यूक्लियर वेपन्स विनिर्माण संयंत्र में इनका निर्माण शुरू कर दिया है। अमेरिका पहले से ही अपने "छोटे परमाणु प्रतिबंध" के लिए ट्राइडेंट मिसाइलों पर उन्हें फिट करने के लिए ऐसे हथियारों का निर्माण कर रहा है।

थोड़े से निरोध का मतलब है कि वह ट्रिडेंट पर आम तौर पर पूर्ण-विकसित थर्मो-न्यूक्लियर बमों (जिसको हाइड्रोजन बम पढ़ा जाना चाहिए) को एक छोटे बम से लैस किया जाएगा। और रूस इस अंतर कैसे समझेगा? वह पलट वार शुरू करने से पहले अपने शहरों पर हमले के लिए ऐसे "छोटे" बमों की प्रतीक्षा करेगा? या कहे, यह इतने छोटे बम है - जो केवल हिरोशिमा पर हुए हमले के आकार के है - और हम इसके साथ रह सकते हैं? और इसलिए इसके खिलाफ हमें कोई तैयारी नहीं करनी चाहिए ?

ऐसे हथियारों के खिलाफ प्रमुख तर्क हमेशा से यह रहा है कि परमाणु हथियारों की क्षमता कम करने से परमाणु विनिमय का खतरा बढ़ जाता है और कम नहीं होता है। बोल्टन-पोम्पेओ-ट्रम्प गिरोह ने इस "थोड़ा निरोध" के सिद्धांत के पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया है। युद्ध के मैदान या कम क्षमता वाले परमाणु हथियारों का परिचय देने से बहुत अधिक समझ में आता है अगर हम इन्हें वैश्विक प्रभुत्व सिद्धांत के एक भाग के रूप में देखते हैं तो, न कि शालीनता से। यह ट्रम्प गैंग का गेम प्लान है।

ट्रम्प और उनके गिरोह की परमाणु प्रभुत्व की दृष्टि का तीसरा हिस्सा, एंटी-बैलिस्टिक शील्ड है, जो बहुप्रतीक्षित रीगन के स्टार वार्स कार्यक्रम का हिस्सा  रहा है। परमाणु मुद्रा की समीक्षा पिछले साल, और हाल ही में प्रकाशित मिसाइल रक्षा समीक्षा (17 जनवरी, 2019) ट्रम्प प्रशासन की रणनीतिक दृष्टि को स्पष्ट करती है। यह मिसाइलों की एक श्रृंखला को प्रस्तावित करता है:

• लॉन्च होने से पहले मिसाइलों को नष्ट कर देंना, मतलब मिसाइल लॉन्च क्षमताओं को निकाल लेना

• मानव रहित हवाई वाहनों पर लगे लेजर के साथ उसे बढ़ावा देने के चरण में मिसाइलों को नष्ट करना (रीगन के स्टार वार का परिदृश्य)

• अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के मध्य-कोर्स अवरोधन के लिए विभिन्न जमीन आधारित मिसाइल प्रणाली को स्थापित करना।

इस एबीएम (एंटी बैलिस्टिक मिसाइल) शील्ड का दीर्घकालिक बजट 1.2 खरब डॉलर है। अमेरिकी का वर्तमान सैन्य बजट 700 अरब डॉलर है, और जोकि वैश्विक सैन्य बजट के 50 प्रतिशत से अधिक है। इसकी तुलना में, रूस का सैन्य बजट केवल 61 अरब डॉलर का है (इसका इतना कम होने का कारण रूबल का गिरता मूल्य है), या फिर अमेरिकी के बजट का मात्र 10 प्रतिशत है। यहां तक कि यूरोपीय नाटो के साझेदार इस पर रूस के पांच गुना खर्च करते हैं, ट्रम्प के इस दावे के बावजूद कि अमेरिका अपने नाटो सहयोगियों की रक्षा को सब्सिडी दे रहा है।

फिलहाल, हम उस कीमत के बारे में चिंतित नहीं हैं जिसे अमेरिकी के नागरिकों को परमाणु प्रभुत्व के इस दृष्टिकोण के लिए भुगतान करना होगा जिसे कि ट्रम्प और उनके गिरोह ने शुरु किया है। चिंता की बात यह है कि रूस, उसके रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी और चीन, जो कि उसके प्रमुख आर्थिक प्रतियोगी हैं, का एकमात्र तरीका अपनी आक्रामक क्षमताओं को आगे बढ़ा सकता है। अगर रूस अपने हथियारों को उसी तरह से बढ़ाता है जैसे कि अमेरिका कर रहा है, तो उसके खुद के दिवालिया होने का खतरा है, जो कि सोवियत संघ के साथ हुआ था।

रूस की प्रतिक्रिया को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने (क्रेमलिन में 2 फरवरी, 2019) द्वाको ज़ाहिर किया है। जबकि पुतिन रूसी प्रतिक्रिया को समांतर होने के बारे में कहते हैं, रूस के भविष्य की योजनाओं के रूप में वह जो कुछ भी करता है उसका ऑपरेटिव हिस्सा एक आक्रामक रूप से अधिक आक्रामक क्षमताओं को विकसित करने की तरफ इशारा करता है।

इस तरह का तर्क रीगन की स्टार वार बहस के दौरान दिया गया था कि रूस तेजी से मिसाइलों, कई वारहेड्स और लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों द्वारा एबीएम शील्ड्स को आसानी से बायपास कर सकता है जो एक पूर्वानुमानित प्रक्षेपवक्र का पालन नहीं करेंगे। पुतिन ने कुछ महीने पहले नए हथियारों की घोषणा की और अब इस तरह के हथियारों का उत्पादन और तैनाती शुरू करने के लिए उनकी हरी झंडी इस योजना का पालन करती दिख रही है। इनमें मेच 5 से अधिक गति वाली हाइपर-सोनिक मिसाइलें शामिल हैं (मेच एक ध्वनि की गति है) जो निश्चित रूप से किसी भी एबीएम शील्ड को हरा देगा जिसकी यूएस योजना बना रहा है। इस तरह की और भी मिसाइलें हैं, जिनमें भूमि आधारित कालीबूर मिसाइल भी शामिल है, जो कि एक मध्यवर्ती परमाणु मिसाइल है, जो कि संधि के तहत प्रतिबंधित है, लेकिन अब इसे स्थापितकिए जाने का खतरा बढ़ गया है।

अन्य मिसाइलों और हथियारों में से कुछ वास्तव में प्रलयकारी है और पृथ्वी जीवन को खतरे में डाल सकती हैं, जो हमारे पास केवल एक ही है! इसलिए, हम सभी के लिए, परमाणु हथियारों की दौड़ का नवीकरण हमारे विलुप्त होने के खतरे को बढ़ाता है।हथियारों की नए सिरे से दौड़ की रूसी प्रतिक्रिया इसी समझ से निर्देशित है जिसके बारे में ट्रम्प-बोल्टन-पोम्पेओ गिरोह बातचीत में दिलचस्पी नहीं रखता हैं। यही कारण है कि रूस की संधि के तथाकथित उल्लंघन पर चर्चा करने से इनकार कर दिया गया, और इसलिए उसने पोलैंड और रोमानिया में अपनी सीमाओं के पास INF क्षमताओं की मिसाइल बैटरी स्थापित करना शुरू कर दिया है। अमेरिका, रूसी नेतृत्व के अनुसार, रूस से परमाणु प्रभुत्व और परमाणु आत्मसमर्पण की मांग कर रहा है; जिसे वे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

भविष्य या तो दादागिरी के शासन का है, वह भी अपनी बड़ी परमाणु छड़ी के साथ; या नए सिरे से परमाणु हथियारों की दौड़ के साथ। यह ट्रम्प का परमाणु  शिगूफा है और उसका परिणाम भी है। यही कारण है कि शांति के लिए लड़ने के लिए और हर जगह लोगों को इकट्ठा करने के लिए एक निष्क्रिय वैश्विक शांति आंदोलन को जीवित करनी की तत्काल आवश्यकता है। यह सिर्फ रूस या चीन के लिए खतरा नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए बड़ा खतरा है।

 

 

 

 

 

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