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भारत को वायु प्रदूषण कम करने का तरीक़ा बीजिंग से सीखना चाहिए
एकीकृत "व्हीकल-फ़्यूल-रोड" ढांचे को अपनाने और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क का निर्माण करने से बीजिंग का वार्षिक औसत पीएम 2.5 सांद्रता 35% कम हो गया।
संदीपन तालुकदार
09 Nov 2019
air pollution in beijings
Image courtesy: HS

पिछले कुछ सालों तक बीजिंग प्रदूषण की इसी तरह की मार झेल रहा था जैसी आज उत्तरी भारत झेल रहा है। कुछ दिनों से ख़ासकर राजधानी दिल्ली की हालत बेहद ख़राब है। सर्दी के दौरान बीजिंग का आसमान कोहरे की मोटी परत से ढक जाता था। हालांकि चीन की राजधानी ने सिलसिलेवार तरीक़े से पिछले 20 सालों में हवा की गुणवत्ता को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाई है। यूएन की रिपोर्ट जिसका शीर्षक "अ रिव्यू ऑफ़ 20 ईयर्स एयर पॉल्यूशन कंट्रोल इन बीजिंग” है, उसमें कहा गया है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बीजिंग का मॉडल किसी भी दूसरे देश के लिए मॉडल हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के अस्थायी कार्यकारी निदेशक जॉयस सूया ने कहा, “वायु की गुणवत्ता में ये सुधार अचानक नहीं हुआ है। यह समय, संसाधनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिणाम था। बीजिंग की वायु प्रदूषण की कहानी किसी भी देश, ज़िले या नगरपालिका को समझने के लिए महत्वपूर्ण है जो इस प्रक्रिया का अनुसरण करना चाहता है।" इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और बीजिंग नगर पारिस्थितिकी और पर्यावरण ब्यूरो (बीईई) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया था।

रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और सिंघुआ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ एनवायरनमेंट के डीन हे केबिन के अनुसार, शहर की वायु गुणवत्ता 1998 से 2013 के बीच बेहतर हुई लेकिन स्वच्छ वायु कार्य योजना 2013-2017 के तहत और अधिक ज़्यादा सुधार हुए।

भारत जो कि अब इसी तरह के हालात का सामना कर रहा है ऐसे में एक व्यापक रणनीति के संदर्भ में कमी है। जितनी ज़्यादा देर होगी उतनी ही इसकी बड़ी आबादी बढ़े हुए प्रदूषण से पीड़ित होगी। इस संबंध में, क्या दिल्ली बीजिंग द्वारा लागू की गई रणनीति से कुछ हासिल कर सकती है?

बीजिंग की प्रदूषण नियंत्रण करने वाली रणनीतियां

20 साल पहले की तुलना में 2017 के अंत में बीजिंग की जीडीपी, जनसंख्या और वाहनों में क्रमशः 1078%, 74% और 335% की वृद्धि हुई। आर्थिक विकास और शहरीकरण भी भारी वायु प्रदूषण का कारण बना। इसमें मुख्य योगदान कोयला आधारित उद्योगों के साथ-साथ वाहनों के उत्सर्जन का था। इस ख़तरे से निपटने के लिए, बीजिंग ने 1998 के बाद से कई चरणों में व्यापक वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया। इसके बाद, ऑन-ग्राउंड अवलोकन डाटा से पता चलता है कि SO2, NO2 और PM10 की वार्षिक औसत सांद्रता क्रमशः 93.3%, 37.8% और 55%% कम हो गई।

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प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली: बीजिंग प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली को अपनाने में सक्षम था जैसे, (ए) संपूर्ण क़ानून और प्रवर्तन तंत्र; (बी) व्यवस्थित योजना; (c) शक्तिशाली स्थानीय मानक; (डी) सशक्त निगरानी क्षमता; (ई) अधिक सार्वजनिक पर्यावरण जागरुकता।

आर्थिक प्रोत्साहन और वित्तीय उपाय: वायु प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण-आर्थिक नीतियों को अपनाने में भारी निवेश के माध्यम से इस शहर ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए प्रेरणा और महत्वाकांक्षा दिखाई। इनमें विभिन्न उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए सब्सिडी, फ़ीस निर्धारण और अन्य वित्तीय कार्य शामिल थे।

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कोयला जलने वाले स्रोतों से उत्सर्जन में कमी: बीजिंग में वायु प्रदूषण में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का बड़ा योगदान था। 2005 के बाद से बीजिंग ने कोयला को स्थानांरित करते हुए गैस नीति को लागू किया और 2017 तक लगभग 11 मिलियन टन कोयला दहन को कम कर दिया। हाई एफ़िशिएंसी टर्मिनल ट्रीटमेंट सुविधाओं को लगातार पुनर्निर्मित किया गया और इसके साथ ही इस अवधि के दौरान सबसे कम उत्सर्जन वाले मानकों को लागू किया गया। वर्ष 2017 में पिछले 20 साल पहले की तुलना में पीएम 2.5, एसओ2, और एनओएक्स के उत्सर्जन में क्रमशः 97%, 98% और 86% की कमी दर्ज की गई थी जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण और स्वास्थ्य लाभ में वृद्धि हुई।

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वाहन के उत्सर्जन पर नियंत्रण: बीजिंग में भी वाहन से होने वाले उत्सर्जन की एक बड़ी समस्या थी। इससे लड़ने के लिए बीजिंग ने स्थानीय उत्सर्जन मानकों की श्रृंखला और ट्रैफ़िक प्रबंधन और आर्थिक प्रोत्साहन के साथ व्यापक उपायों को लगातार लागू किया।

एक एकीकृत "व्हीकल-फ़्यूल-रोड" ढांचे पर काम किया गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि शहर की आबादी में धीरे-धीरे हरे और कम कार्बन उत्सर्जन वाली यात्रा की आदत विकसित करने के लिए एक बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को तैयार किया गया था।

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पिछले दो दशकों के दौरान बीजिंग में वाहनों में कई गुना वृद्धि के बावजूद कुल प्रदूषक उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है। 1998 की तुलना में, सीओ, टीएचसी, एनओएक्स और पीएम2.5 का परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जन 2017 में लगभग 1,105kt, 94kt, 71kt और 6kt से कम हो गया। यह क्रमशः 89%, 64%, 55% और 81% की कमी दर के बराबर है। इस अवधि के दौरान उत्सर्जन की कमी में महत्वपूर्ण योगदान पुराने वाहनों को हटाने से संबंधित था।

2013-2017 के दौरान तीव्र प्रदूषण नियंत्रण

"बीजिंग 2013-2017 क्लीन एयर एक्शन प्लान" बीजिंग के सबसे व्यापक और व्यवस्थित वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम को दर्शाता है। इन वर्षों में इस प्रयास के कारण वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ और गंभीर प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आई।

2017 में इस कार्यक्रम के अंत तक बीजिंग का वार्षिक औसत पीएम2.5 सांद्रता 35% घटकर 58μg/m3 के स्तर पर पहुंच गया। वायु गुणवत्ता सुधार के इस लक्ष्य की प्राप्ति को इससे पहले बहुत कठिन माना गया था। इस अवधि के दौरान सल्फ़र, नाइट्रोजन और अन्य ज़हरीले ऑक्साइड जैसे अन्य प्रदूषकों में भी तेज़ी से गिरावट आई है। कोयले से चलने वाले बॉयलर का नियंत्रण, आवासीय क्षेत्रों में स्वच्छ ईंधन और औद्योगिक संरचना का अनुकूलन कुछ ऐसे उपाय थे जिनकी मदद से बीजिंग वायु प्रदूषण को कम करने के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सका।

भारत के लिए संदेश

वर्तमान में भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत बीजिंग के समान ही हैं। दिल्ली में प्रमुख वायु प्रदूषण के स्रोत औद्योगिक उत्सर्जन के साथ-साथ वाहन उत्सर्जन और सड़क की धूल हैं। शहर के प्रदूषण का 40% अकेले वाहन उत्सर्जन से होता है। इन सभी के अलावा, पराली का जलना भी दिल्ली समेत प्रमुख उत्तर भारतीय शहरों में योगदान देता है। कोयला आधारित बिजली संयंत्र भी काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार हैं जो लंबे समय तक हवा में रहने वाले प्रदूषकों को जन्म देते हैं।

इसलिए, बीजिंग ने शहर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए जो उपाय अपनाए हैं वे भारत के लिए भी बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। इस मामले से लड़ने के लिए केंद्र सरकार को एक व्यापक योजना बनानी होगी और इसके कड़ाई से कार्यान्वयन के लिए पहल करनी होगी।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

What India Should Learn from Beijing’s Fight Against Air Pollution

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