क्या आप जानते हैं की एक अखबार का खर्च 15 रुपये पड़ता है और आप उसके लिए सिर्फ 3 रुपये देते हैं? क्या आप जानते हैं की दर्शक न्यूज़ चैनल के खर्चे का सिर्फ 2-3% पैसा देते हैं? इसलिए मीडिया सरकार और कॉर्पोरेट की कठपुतली बन गई है। असली पत्रकारिता तभी संभव है जब हम सब अखबारों और चैनलों को पैसे दें। तभी वो पत्रकारों पर और खबर लाने पर खर्च कर पाएंगे।