NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी: बिजली क्षेत्र के निजीकरण की तैयारी, कर्मचारी विरोध में करेंगे 72 घंटे की हड़ताल
9 अप्रैल को राज्यभर में सुबह 8 बजे से पॉवर सेक्टर कर्मचारी 72 घंटों तक हड़ताल पर रहेंगे I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Apr 2018
power sector

उत्तर-प्रदेश सरकार राज्य के सात ज़िलों में बिजली वितरण की प्रक्रिया को निजी हाथों में देने की तैयारी में हैI बिजली क्षेत्र के कर्मचरियों ने सरकार के इस कदम के खिलाफ़ अपनी मुहिम तेज़ कर दी हैI

पॉवर एम्प्लॉइज़ जॉइंट एक्शन कमेटी (पीइजेएसी) के झंडे के तले इंजिनियर और अन्य सभी कर्मचारी इस कदम का विरोध कर रहे हैं और साथ ही सांसदों और विधायकों से मिलकर अपने मेमोरेंडम भी सौंप रहे हैंI

9 अप्रैल को राज्यभर में सुबह 8 बजे से पॉवर सेक्टर कर्मचारी 72 घंटों तक हड़ताल पर रहेंगे I

28 मार्च को पॉवर सेक्टर कर्मचारियों ने वर्क ऑफ़ रूल नामक एक मुहिम शुरू की जिसमें वे सिर्फ उतना काम करते हैं जितना कॉन्ट्रैक्ट में लिखा हुआ है, जिस वजह से उत्पादन कम हो जाता है I

वर्क ऑफ़ रूल के अंतर्गत कर्मचारी सख्ती से सुबह 10 बजे से श्याम 5 बजे तक काम करते हैं और समय से एक मिनट ऊपर काम नहीं करते I साथ ही वे छुट्टी पर काम नहीं करते I

29 मार्च को PEJAC के प्रतिनिधि प्रिंसिपल सेक्रेटरी(एनर्जी) अलोक कुमार से मिले जो कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशंन लिमिटिड के अध्यक्ष भी हैं I

प्रतिनिधियों ने बताया कि जहाँ भी पॉवर वितरण में निजीकरण हुआ है, वह प्रयोग नाकामयाब हुआ है I ओड़िसा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों की नाकामी की वजह से उनके लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए हैं I

उन्होंने ये माँग की है कि सरकार को निजीकरण के इस निर्णय से पीछे हटाना चाहिए , लेकिन उनकी बातचीत का कोई निष्कर्ष नहीं निकला I यही वजह थी कि कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया I

5 मार्च को UPPCL ने निजी कंपनियों के लिए ‘Integrated Service Providers’(ISPs) के नाम से निजी कंपनियों के लिए टेंडर निकाले थे I ये टेंडर इटावा, कन्नौज, ओराई, राय बरेली, सहारनपुर, मऊ और बलिया में निकाले गए थे I

ये निजी कंपनियाँ नए पॉवर कनेक्शन लगाने, मीटर लगाने, मीटर पढने, मीटर बदलने , बिल जारी करने और रकम इकटठा करने काम करेगी I इस दौरान नेटवर्क की संरचना को सरकार द्वारा बनाये रखा जायेगा I

उत्तर प्रदेश सरकार का ये निर्णय Electricity(Amendment)Bill 2014 की तरह ही है जिसका विरोध पॉवर सेक्टर कर्मचारी देश भर में कर रहे हैं I

बिल में पॉवर वितरण को दो हिस्सों में बाँटकर ,जिसमें सप्लाई और ढुलाई शामिल हैं, निजीकरण को लाया जा रहा है I इसका अर्थ है कि जहाँ एक तरफ़ सरकारी कंपनियां तारों को बिछाने का कार्य करेगी वहीँ निजी कंपनियां बिजली को बेचे जाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करेगी और मुनाफा कमायेंगी I

30 मार्च को, जो कि गुड फ्राइडे था को प्रशासन ने कहा था कि दफ्तर खुले रहेंगे पर , राज्य भर के कर्मचारियों ने आने से मना कर दिया I

प्रोजेक्ट और ज़िला मुख्यालयों में भी उस दिन विरोध प्रदर्शन किये गए I इस दौरान PEJAC ने वर्क टू रूल का विरोध प्रदर्शन पॉवर जनरेशन, ट्रांसमिशन और वितरण कंपनियों में भी करने का निर्णय लिया है I

14 मार्च को पॉवर कर्मचारियों ने लखनऊ में एक विरोध प्रदर्शन किया I

3 अप्रैल को Eelectricity(Amendment)Bill 2014 के खिलाफ देश भर के बिजली कर्मचारी दिल्ली में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे I ये विरोध प्रदर्शन National Coordination Committee of Electricity Employees and Engineers के बैनर तले किया जायेगा I

काफी सारे विधायकों को ज्ञापन दिए जाने के बाद लखनऊ से बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने कुछ और बीजेपी विधायकों के साथ मिलकर मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को निजीकरण के निर्णय के पीछे हटने की माँग की है I

PEJAC के बयान के मुताबिक किशोर ने अपने पत्र में लिखा कि ये सबको पता है कि निजीकरण से सिर्फ निजी कंपनियों को मुनाफा होता है और वह सरकारी कंपनियों का विकल्प नहीं हो सकता I

पॉवर सेक्टर
उत्तर प्रदेश
हड़ताल

Related Stories

उप्र बंधक संकट: सभी बच्चों को सुरक्षित बचाया गया, आरोपी और उसकी पत्नी की मौत

नागरिकता कानून: यूपी के मऊ अब तक 19 लोग गिरफ्तार, आरएएफ और पीएसी तैनात

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

सोनभद्र में चलता है जंगल का कानून

यूपीः मेरठ के मुस्लिमों ने योगी की पुलिस पर भेदभाव का लगाया आरोप, पलायन की धमकी दी

मज़दूरों ने अपने अधिकारों के लिए किया मार्च ;20 जुलाई को करेंगे दिल्ली में हड़ताल

दिल्ली मेट्रो : डीएमआरसी कर्मचारियों अपनी कई मांगो को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं |

चीनी क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार का पैकेज, केवल निजी मिलों को एक मीठा तोहफ़ा

छत्तीसगढ़ में नर्सों की हड़ताल को जबरन ख़तम कराया गया

चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण’ जेल में बंद, भीम आर्मी द्वार लोगों को संगठित करने का प्रयास जारी


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License