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भारत
राजनीति
नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली ख़रीद पर निर्भर तमिलनाडु ने कोयले की कमी का किया मुक़ाबला 
तमिलनाडु राज्य की थर्मल पावर स्टेशनों पर निर्भरता कम है, लेकिन निजी विक्रेताओं से महंगी बिजली ख़रीदने के कारण टैंजेडको 1.07 लाख करोड़ रुपये के क़र्ज़ में धस गई है।
नीलाबंरन ए
22 Oct 2021
Translated by महेश कुमार
coal energy
Image Courtesy: The Financial Express

विभिन्न ऊर्जा स्रोतों और बिजली खरीद पर निर्भरता के कारण तमिलनाडु ने अब तक कोयले की कमी के प्रभाव को महसूस नहीं किया है। राज्य सरकार और बिजली मंत्री ने कोयले के स्टॉक में कमी की स्थिति में शून्य बिजली कटौती का आश्वासन दिया है।

उपलब्ध कोयला स्टॉक 2.8 दिनों तक चल सकता है, जबकि थर्मल पावर स्टेशन (टीपीएस) जल्द ही कोयले के स्टॉक की बहाली की उम्मीद कर रहे हैं। राज्य सरकार ने एनटीपीसी और नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) से मांग और आपूर्ति में किसी भी अंतर की भरपाई की मांग करते हुए बंद हुई इकाइयों को वापस चालू करने का अनुरोध किया है।

पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से उपलब्ध 16,219.47 मेगावाट में से राज्य द्वारा संचालित थर्मल पावर स्टेशनों की क्षमता से 4,320 मेगावाट बिजली पैदा होती है, जिसमें 4,013 मेगावाट की निजी खरीद भी शामिल है। राज्य में अक्षय या नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का लगभग 50 प्रतिशत का योगदान है, यानी 32,595.06 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता में से 16,375.59 मेगावाट उक्त स्रोत से आती है।

तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) पर 1.07 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, यह कथित तौर पर निजी विक्रेताओं से बिजली अधिक मूल्य पर खरीद के कारण है।

थर्मल पावर स्टेशनों पर कम निर्भरता

राज्य में औसतन 15,000 मेगावाट बिजली की मांग है, जबकि गर्मी के चरम पर पर पहुँचने के दौरान मांग 17,000 मेगावाट तक बढ़ाने की उम्मीद हो जाती है। अब तक की सबसे अधिक मांग 4 अप्रैल, 2021 को 16,846 मेगावाट की दर्ज की गई थी। 2020-21 के लिए औसत दैनिक मांग 290-300 मिलियन यूनिट के बीच अनुमानित है।

टीपीएस यानि थर्मल पावर स्टेशन पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के आधार पर स्थापित क्षमता का 13 प्रतिशत का योगदान देते हैं। हालांकि, मेट्टूर, तूतीकोरिन और उत्तरी चेन्नई में स्थित 210 मेगावाट क्षमता (कुल 2,520 मेगावाट) वाली 12 इकाइयां 25 साल से अधिक पुरानी हैं और उन्हें तत्काल बदलने की जरूरत है या उन्हे अपग्रेड करने की जरूरत है।

राज्य भर में 5,700 मेगावाट बिजली पैदा करने की कुल क्षमता वाले पांच टीपीएस या थर्मल पावर स्टेशन पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं।

पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की क्षमता

स्रोत: 2020-21 ऊर्जा विभाग, तमिलनाडु सरकार का नीति नोट। (छवि: आर प्रकाश)

केंद्रीय उत्पादन स्रोत कुल हिस्सेदारी का 20 प्रतिशत योगदान करते हैं जबकि निजी खरीद से कुल क्षमता का 13 प्रतिशत हिस्सा होता है।

इसके अलावा, राज्य ने औसत प्लांट लोड फैक्टर में गिरावट दर्ज की है, इसके लिए मुख्य रूप से निजी खिलाड़ियों से अक्षय ऊर्जा स्रोतों से आपूर्ति पूरी की जाती है

संसाधनों पर निर्भरता

राज्य अक्षय ऊर्जा (आरई) स्रोतों की खोज में अग्रणी है, पवन ऊर्जा उत्पादन है जो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अकेले तमिलनाडु में ही कुल स्थापित पवन ऊर्जा उत्पादन की क्षमता 25 प्रतिशत है।

राज्य की अपनी स्थापित क्षमता 8,565.90 मेगावाट है, जो इसकी कुल स्थापित क्षमता का 26 प्रतिशत है। सौर ऊर्जा और हाइड्रोपावर विद्युत स्टेशन क्रमशः 14 प्रतिशत और 7 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

अक्षय ऊर्जा स्रोतों की क्षमता
स्रोत: 2020-21 ऊर्जा विभाग, तमिलनाडु सरकार का नीति नोट। (छवि: आर प्रकाश)

उच्च पवन ऊर्जा उत्पादन तमिलनाडु को स्वैप बिजली व्यवस्था के तहत एक समझौता करने में मदद कर रहा है। जून से सितंबर तक, पवन ऊर्जा मिलों से बिजली उत्पादन अधिक होता है जिसे फरवरी से मई के दौरान कम हवा के मौसम में हासिल किया जाता है।

राज्य में 8,569.90 मेगावाट पवन ऊर्जा जनरेटर (WEG) हैं, जबकि तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) के पास 17.465 मेगावाट के पवन ऊर्जा जनरेटर है। इसके अलावा, 2,145.67 मेगावाट की क्षमता वाले 2,397 पवन ऊर्जा जनरेटर तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) के पास बिक्री के लिए पड़े हैं।

पनबिजली स्टेशनों की स्थापित क्षमता कुल क्षमता का 14 प्रतिशत है, लेकिन बहुत कम प्लांट लोड फैक्टर के है। 2010-11 से  2,321.90 मेगावाट की कुल क्षमता वाली 107 मशीनों के साथ 47 जलविद्युत स्टेशनों का प्लांट का लोड फैक्टर 29 प्रतिशत से नीचे रहा है।

हालांकि राज्य में उच्च स्थापित क्षमता है, लेकिन संसाधनों का इस्तेमाल ठीक से नहीं हो रहा है, जिसके कारण निजी संस्थाओं से बिजली खरीदनी पड़ रही है।

निजी बिजली खरीद और आरोप

तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) के पास चौबीसों घंटे 2,830 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराने के लिए 11 दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते हैं। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड में स्थित ग्यारह कंपनियां लॉन्ग टर्म ओपन एक्सेस (एलटीओए) योजना के अनुसार 2,830 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर रही हैं। 2013 में हस्ताक्षरित ये समझौते 2028 में समाप्त हो जाएंगे।

बिजली उत्पादन में अचानक गिरावट की भरपाई के लिए कुछ मीडियम और शॉर्ट टर्म एक्सेस के खुले समझौते भी हैं।

पॉलिसी नोट में यह भी दावा किया गया है कि टैंजेडको पर रिवेन्यू गेप्स सहित विभिन्न कारकों के माध्यम से 1,34,119.94 करोड़ रुपये का बकाया ऋण है।

राज्य सरकार को हुए नुकसान का एक कारण टैंजेडको के स्वामित्व वाले थर्मल पावर स्टेशनों में उत्पादन की उच्च लागत भी है। तमिलनाडु बिजली कर्मचारियों के केंद्रीय संगठन (सीओटीईई) के अध्यक्ष जय शंकर ने कहा कि "टीपीएस को बार-बार बंद किया जा रहा है और बहुत कम दक्षता के साथ संचालित किया जा रहा है।" 

“थर्मल स्टेशनों का औसत लोड फैक्टर बहुत कम है, ज्यादातर समय यह लगभग 30 प्रतिशत क्षमता पर काम करता है। इस पैदावार के साथ, पैदा की गई बिजली यूनिट की लागत अधिक है, जो कि अतार्किक है। जय शंकर ने कहा कि हमें संदेह है कि मौजूदा संयंत्रों को अपग्रेड और रखरखाव किए बिना निजी खरीद को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर उन्हे बंद किया गया है।”

एक प्रेस वार्ता में, राज्य के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने कहा कि टैंजेडको ने अन्नाद्रमुक शासन के मुक़ाबले पिछले पाँच महीनों में थर्मल पावर स्टेशन का उत्पादन 1,800 मेगावाट से बढ़ाकर 3,500 मेगावाट कर दिया है। 

सीओटीईई और राज्य सरकार के दावे पिछली सरकार शासन के तहत बिजली उत्पादन में अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं। हालांकि एक के बाद एक राज्य सरकारों ने दावा किया है कि राज्य ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर है, लेकिन निजी कंपनियों से कथित तौर पर ऊंची कीमत पर बिजली खरीदने की समस्या अभी भी बनी हुई है।

एक प्रभावी सुधार योजना, मौजूदा स्रोतों का इस्तेमाल और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का दोहन ही राज्य को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बना सकता है।

जय शंकर ने आरोप लगाया है कि, "बिजली उत्पादन और वितरण के निजीकरण का खतरा भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से बना हुआ है इसलिए वह राज्य सरकारों को कोयले की कमी पैदा कर उनका गला घोटने की कोशिश कर रही है।" 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

TN Counters Coal Shortage With Reliance on Renewable Energy and Power Purchase

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