NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
BSNL-MTNLवीआरएसः रिटायर न होने वाले कर्मचारियों को रोज़गार की शर्तों से डर
एक ही झटके में 92,000 कर्मचारियों के लिए 31 जनवरी का दिन उनका अंतिम कार्य दिवस होने जा रहा है। इन कर्मचारियों में बीएसएनएल के 78,500 से अधिक कर्मचारी और एमटीएनएल के करीब 13,500 कर्मचारी होंगे।
रबींद्र नाथ सिन्हा
06 Jan 2020
mtnl

भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के कर्मचारियों में से जिनके नाम इन दोनों कंपनियों की सूची में दर्ज रहेंगे उनके लिए नए साल का आग़ाज़ चिंताओं और आशंकाओं के साथ हो रहा है। वे आशंकित है कि उनकी शेष सेवावधि का अंत किस तरह होने जा रहा है।

ऐसा तब हो रहा है जब दूरसंचार निगम (डीओटी) और दो कंपनियों की मैनेजमेंट अलग-अलग तरीके से और कई बार एक साथ मिलकर बैठकों के दौर में व्यस्त हैं जिससे कि बेहद आंतरिक और व्यापक स्वैच्छिक अवकाश की योजना को एक बार में ही लागू किया जा सके। इसके अनुसार एक झटके में 92,000 से अधिक कर्मचारियों की छुट्टी होने जा रही है और 31 जनवरी उनके काम की आखिरी तारीख़ होगी। इनमें 78,500 के अधिक बीएसएनएल और करीब 13,500 कर्मचारी एमटीएनएल से जुड़े हैं।

1 फरवरी से बीएसएनएल के कुल कर्मचारियों की संख्या 70,000 के साथ वर्तमान संख्या के लिहाज से 47% के करीब रह जाने की संभावना है और एमटीएनएल के पास यह मात्र 10% रहकर 1,500 कर्मचारियों की संख्या रह जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के बाद इस बात की मंजूरी दे दी गई कि वीआरएस या पुनुरुद्धार पैकेज के तहत एमटीएनएल को बीएसएनएल का एक हिस्सा बनाया जायेगा। इसकी घोषणा संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 23 अक्टूबर 2019 को कर दी थी। वीआरएस लेने की प्रक्रिया 4 नवम्बर से लेकर 3 दिसम्बर 2019 तक जारी थी।

बीएसएनएल के निदेशक (एचआर) अरविंद वडनेरकर 13 जनवरी को बीएसएनएल कर्मचारी संघ (बीएसएनएलईयू) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने जा रहे हैं और उस दौरान यूनियन की ओर से इन तीन मुद्दों पर प्रबंधन से स्पष्टीकरण देने की मांग की जायेगी साथ ही वीआरएस के बाद के परिदृश्य में जो लोग गैर-अधिकारी पदों पर कार्यरत हैं उन्हें किस प्रकार समायोजित किया जायेगा और उनके स्थानांतरण और सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर क्या नीतियां होंगी इस पर चर्चा की जाएगी। बीएसएनएलईयू के उप महासचिव स्वपन चक्रवर्ती के अनुसार ये वे कुछ महत्वपूर्ण चिंता के विषय उन कर्मचारियों के लिए बने हुए हैं जिन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के विकल्प को नहीं चुना और अभी भी नौकरी कर रहे हैं।

नए साल में कर्मचारियों की आशंकाओं के बारे में बात करते हुए चक्रवर्ती सवाल खड़े करते हैं कि “31 जनवरी के बाद से पूरे हालात बदल जाने वाले हैं। क्या आगे से दमनकारी तैनाती वाली रणनीति होने जा रही है? क्या स्थानांतरण नीति में आमूलचूल परिवर्तन किये जाने की संभावना है? क्या सेवानिवृत्त होने की आयु में कमी की जायेगी? दूसरे शब्दों में कहें तो क्या केंद्र के अघोषित एजेंडे में एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होने जा रही है जिसमें कर्मचारियों की संख्या में और कमी किये जाने के संकेत हैं?" वे आगे कहते हैं कि निदेशक की ओर से यूनियन को ठोस जवाब की उम्मीद है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए चक्रवर्ती कहते हैं “हकीकत यह है कि वीआरएस को हम पर थोपा गया है और इसे हमें अपने गले से नीचे उतारने के लिए मजबूर किया गया है। कर्मचारियों को स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि यदि वे इस योजना पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे तो उन्हें इसके दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। यदि वे सामान्य अवधि के अपने कार्यकाल में ही सेवानिवृत्ति पर ही अड़े रहे तो उनके वैधानिक बकाया राशि जैसे, प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी के भुगतान में काफी देरी हो सकती है। एक प्रकार से यह वीआरएस योजना न होकर ‘जबरन सेवानिवृत्ति योजना’ या एफआरएस साबित हुई है।“ हैदराबाद से न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बीएसएनएल कर्मियों के राष्ट्रीय यूनियन के महासचिव के. जयप्रकाश भी इस बात से सहमत हैं कि यह योजना स्वैच्छिक के बजाय जबरिया थोपी गई थी।

उनके बड़े डर की वजह शायद इस बात को लेकर है कि एक समय ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न हो सकती है जब “एक बार फिर से ठीक ठाक आकार देने” की प्रक्रिया को अपरिहार्य बताकर लागू कर दिया जाये और ऐसी स्थिति में कोई 'व्हाइट नाइट' (सहायता करने वाले) की भूमिका में खुद रक्षक की भूमिका में न प्रस्तुत करने लगे। बेझिझक कई लोगों ने रिलायंस जिओ को इस भूमिका के रूप में चिन्हित किया है।

इस बीच 23 अक्टूबर को संचार मंत्री ने पुनरुत्थान सहित वीआरएस योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि “न ही बीएसएनएल/एमटीएनएल को बंद किया जा रहा है और न ही इनका विनिवेश किया जा रहा है और न ही इन्हें किसी तीसरे गुट के साथ जोड़ा जा रहा है।“ मंत्री ने इस बात का भी दावा किया था कि सरकार के वित्तीय समर्थन और परिसंपत्तियों की बिक्री से अर्जित आय के जरिये दो वर्षों में बीएसएनएल के वित्तीय वर्षों में उल्लेखनीय सुधार होंगे। हालांकि जो लोग ‘व्हाइट नाइट’ सिद्धांत में विश्वास कर रहे हैं उनका कहना है कि जो भी मंत्री ने कहा है, उसे हम सबने नोट तो किया है, “लेकिन इसे लेकर हमारे अंदर संदेह है”।

डीओटी (डीएटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तब इस बात का संकेत दिया था कि एक महीने के भीतर दोनों कंपनियों को 4 जी स्पेक्ट्रम "प्रशासनिक तौर पर" आवंटित कर दिया जाएगा लेकिन लगभग 10 सप्ताह बीत चुके हैं और अभी तक इस बात की कोई घोषणा नहीं हुई है। जबसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डीओटी (डीओटी) के समायोजित सकल राजस्व अवधारणा को बरकरार रखने का निर्णय दिया है तबसे दो निजी ऑपरेटर बेहद तनाव में हैं। इस फैसले के चलते ऑपरेटरों को भारी अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा।

बीएसएनएलईयू के उप महासचिव ने बताया है कि “4 जी के आवंटन में काफी विलम्ब हुआ है। यदि डीओटी (डीओटी) आवंटन में तेजी दिखाए तो इसके फलस्वरूप कंपनी की सेवाओं में स्पष्ट सुधार देखने को मिल सकता है और हमें काफी उम्मीद है कि रिवर्स माइग्रेशन की प्रक्रिया होनी शुरू होगी”।

“इसी तरह संसाधनों में वृद्धि करने के उपायों को लेकर बीएसएनएल की ओर से जारी किये जाने वाले बांड्स के बारे में किसी प्रकार के संप्रभु गारंटी प्रदान करने को लेकर अभी तक एक भी शब्द नहीं कहा गया है। यह वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में है।" ये पीटीआई के हवाले से कुछ अखबारों की 2 जनवरी के संस्करण में बताया गया है कि यह अवधि की समस्या की वजह से है।

यूनियन के सदस्यों की एक अन्य चिंता यह भी है कि उसके पास मौजूदा बड़े ग्राहक के रूप में केंद्र सरकार के विभाग, केंद्रीय तौर पर प्रशासित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, सरकारी वित्तीय पोषण पर चलने वाले शिक्षण संस्थाएं इत्यादि उससे आगे भी बीएसएनएल की सेवाएं लेते रहेंगे या नहीं। उनका यह अनुमान है और वे आशा करते हैं कि रक्षा क्षेत्र और अर्ध-सैन्य प्रतिष्ठानों में कम्पनी की सेवाएं ली जाती रहेंगी। इस बात को लेकर भारतीय सेना ने बीएसएनएल के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर (एमओयू) कर रखा है। भारतीय नौसेना की कुछ इकाइयों ने परिष्कृत संचार प्रणाली स्थापित करने के मामले में बीएसएनएल की विशेषज्ञता को स्वीकार किया है जबकि निजी क्षेत्र की कंपनियों को आपूर्तिकर्ताओं के रूप में शामिल रखा है।

केंद्र की ओर से उनकी इस अपील का अभी तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है कि वह इसके बड़े ग्राहकों को कंपनी की सेवाओं को जारी रखने का निर्देश दे। रेलवे के पास परिचालन के लिए दूरसंचार की सुविधा है जिसे उसने एयरटेल के साथ अपने एमओयू (एमओयू) की अवधि की समाप्ति पर 1 जनवरी 2019 से मोबाइल टेलीफोनी और संबद्ध सुविधाओं के लिए रिलायंस-जियो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। रिलायंस जियो कई हवाई अड्डों से सेवा अनुबंध हासिल कर चुका है। पुदुचेरी से बीएसएनएलईयू के महासचिव पी अभिमन्यु कहते हैं “जब हम बड़े ग्राहकों को अपने साथ रखने में मदद की गुहार लगाते हैं तो कोई जवाबी प्रतिक्रिया नहीं मिलती है। लेकिन वहीँ दूसरी तरफ जिओ की सेवाओं के समर्थन के लिए शब्द हमारे कानों में सुनाई पड़ते हैं। यह बेहद निराशाजनक है।“

अब कर्मचारियों और यूनियनों को वीआरएस सहित पुनरुद्धार पैकेज के तेजी से और सुचारू कार्यान्वयन को लेकर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की सिफारिशों का इंतजार है, जिसमें सामान्य संख्या से कहीं अधिक मंत्री शामिल होंगे, जबकि पहले 3-4 मंत्री ही इसमें थे। इस मंत्री समूह (जीओएम) में रवि शंकर प्रसाद के अलावा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह (उन्होंने पहले इसी विषय पर मंत्रियों के एक समूह का नेतृत्व किया था), वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेलवे और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं।

इस बीच भारतीय मजदूर संघ की एक इकाई भारतीय टेलीकॉम कर्मचारी महासंघ का मानना है कि केंद्र की ओर से जो वीआरएस पैकेज की पेशकश की गई है वह काफी बेहतर है। महासंघ के उपाध्यक्ष उत्पल घोष दस्तीदार के अनुसार बीएसएनएल के कर्मचारियों के उच्च कौशल स्तर को देखते हुए इस बात पर आश्वस्त रहा जा सकता है कि कम्पनी कुछ समय के दौरान ही एक बार फिर से अपनी व्यवहार्यता हासिल करने में सक्षम हो सकती है।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

BSNL
VRS for BSNL Employees
MTNL
BSNLEU
National Unions of BSNL Workers
Indian Telecom Employees Federation
Reliance Jio
BSNL MTNL Crisis
Retrenchment

Related Stories

26-27 नवंबर को किसानों-मज़दूरों का मोर्चा देश को बचाने की लड़ाई है

दिवालिया टेलीकॉम कंपनियों का बक़ाया : क्या कोई चूक जियो और एयरटेल के पक्ष में जा रही है?

ख़रीदो, ख़रीदो, चमन बिक रहा है

आत्मनिर्भर भारत से "रिलायंस इंडिया" तक

सेबी की ओर से किये गये एक नियम में बदलाव से कैसे रिलायंस को 53,000 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली

रिलायंस को फ़ायदा पहुंचाने के लिए बैंकों के ग्रुप एक्सपोज़र लिमिट में आरबीआई ने की बढ़ोतरी

रिलायंस जियो में विदेशी निवेश: एक सुरक्षा चिंता ?

क्या सरकार ने रिलायंस की 53,000 करोड़ रुपये इकट्ठा करने में मदद की?

COVID-19: जबरदस्ती दिलवाया जा रहा है इस्तीफा, तमिलनाडु में IT कर्मचारियों के कांट्रेक्ट रद्द किए गए

भारतीय टेलीकॉम में एकाधिपत्य का लगातार बढ़ता ख़तरा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License