NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
लंबे समय के बाद RBI द्वारा की गई रेपो रेट में बढ़ोतरी का क्या मतलब है?
रेपो दरों में 40 बेसिस पॉइन्ट की बढ़ोतरी मतलब है कि पहले के मुकाबले किसी भी तरह का क़र्ज़ लेना महंगा होगा। अब तक सरकार को तकरीबन 7 से 7.5 फीसदी की दर से क़र्ज़ मिल रहा था। बैंक आरबीआई से 4.40 फ़ीसदी दर पर क़र्ज़ लेंगे। आगे बैंक इसमें अपना मार्जिन जोड़ेंगे। उसके बाद उपभोक्ता का क्रेडिट प्रोफ़ाइल जोड़ेंगे। इसलिए कई लोगों के लिए क़र्ज़ की दर 10 फ़ीसदी से ज़्यादा जा सकती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 May 2022
RBI

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया अर्थव्यवस्था में पैसे के प्रवाह को लेकर हर दो महीने पर मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक करती है। मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की पिछली बैठक 6-7 अप्रैल को हुई थी। इस हिसाब से यह बैठक जून में होनी चाहिए थी। लेकिन यह बैठक जून में होने की बजाए 2-3 मई के दिन हुई। तकनीकी भाषा में कहे तो आपातकालीन बैठक हुई। इस आपतकालीन में बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 4.40% कर दिया है। रेपो रेट की 4 प्रतिशत की दर 22 मई 2020 तय हुई थी। तब से लेकर अब तक महंगाई की मार बढ़ती जा रही थी लेकिन आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। अब जाकर रेपो रेट में  बदलाव किया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह कदम बढ़ती महंगाई को काबू में करने  लिए उठाया गय है।  दुनिया में चल रही कई तरह की हलचलों की वजह से - खासकर यूक्रेन लड़ाई की वजह से अर्थव्यवस्था का जहाज डगमगा गया है। इसे नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाये गए हैं। इस मुद्दे पर आगे बात करने से पहले रेपो रेट के बारे में जान लेते हैं।

रेपो रेट में बढ़ोतरी का मतलब है कि अब बैंक पहले के मुकाबले क़र्ज़ पर 0.40 फीसदी अधिक ब्याज लेगी। रेपो रेट यानी नीतिगत दर वह दर होती है जिस पर RBI से बैंकों को क़र्ज़ मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस दर पर बैंकों को RBI के पास अपना पैसा रखने पर ब्याज मिलता है।

थोड़ा विस्तार और संक्षेप में कहें तो बुनयादी बात यह है कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया पैसे और बैंक की दुनिया को नियंत्रित करने को लेकर देश में ढेर सारे अहम काम करती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि मुद्रा यानी पैसे के प्रवाह को संतुलित करते रहना। ऐसा न हो कि पैसे का फैलाव बाजार में इतना ज्यादा हो जाए कि महंगाई आ जाए और ऐसा भी न हो कि पैसे का प्रवाह इतना कम हो कि मंदी आ जाए। पैसे के प्रवाह को कम करने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ब्याज दर बढाकर रखती है। बाजार में लोग और कारोबारी बैंकों से क़र्ज़ लेना कम कर देते हैं। अगर महंगाई की परेशानी से देश झूझ रहा है तो अमूमन ब्याज दर बढ़ाकर रखने की नीति अपनाई जाती है। ऐसा करने पर महंगाई की परेशानी बेलगाम नहीं होती। पैसे की खरीदने की क्षमता कम नहीं होती।  

इसे भी पढ़ें:आज़ादी के बाद पहली बार RBI पर लगा दूसरे देशों को फायदा पहुंचाने का आरोप: रिपोर्टर्स कलेक्टिव

आर्थिक जानकारों का कहना है कि रेपो दरों में 40 बेसिस पॉइन्ट की बढ़ोतरी मतलब है कि पहले के मुकाबले किसी भी तरह का क़र्ज़ लेना महंगा होगा। अब तक सरकार को तकरीबन 7 से 7.5 फीसदी की दर से क़र्ज़ मिल रहा था। बैंक आरबीआई से 4.40 फीसदी दर पर क़र्ज़ लेंगे।  आगे बैंक इसमें अपना मार्जिन जोड़ेंगे।  उसके बाद  उपभोक्ता का क्रेडिट प्रोफाइल जोड़ेंगे। इसलिए कई लोगों के लिए क़र्ज़ की दर 10 फीसदी से ज्यादा जा सकती है। घर, वाहन या किसी भी तरह के सामान और सेवा पर मासिक किस्तों पर पहले से अधिक पैसा देना होगा। आम लोगों और छोटे उद्योगों पर क़र्ज़ का बोझ पड़ेगा।

यहाँ यह भी ध्यान देने वाली बात है कि केवल रेपो रेट नहीं बढ़ाया गया है बल्कि कैश रिज़र्व रेश्यो यानी CRR की दर में भी 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी हुई है।  यह दर बढ़कर 4.5 फीसदी कार दी गयी है।  यह वह दर होती है जिसपर बैंको को अपने यहां नकद कोष रखना पड़ता है,जिसका इस्तेमाल वह अपने किसी भी तरह के कारोबार में नहीं कर सकते हैं।  इस दर के बढ़ने से तकरीबन 87 हजार करोड़ रुपए की राशि नकद कोष के तौर पर बढ़ेगी। लेकिन साथ में यह भी होगा कि बैंकों को क़र्ज़ देने के लिए काम राशि उपलबध होगी।  इसकी वजह से भी बैंक द्वारा दिए जाने वाले क़र्ज़ की दर में कुछ न कुछ बढोत्तरी होगी।

रेपो दर बढ़ने पर यह भी बात की जाती है कि इसकी वजह से बैंको में जमा की जाने वाली राशि पर अधिक ब्याज मिलेगा।  इस पर जानकारों का कहना है कि हाल फिलहाल ही बैंको ने जमा पर ब्याज दर बढ़ाया है।  इसलिए रेपो रेट की बढ़ोतरी का जमा दरों की लिहाज से ज्यादा फायदा नहीं होने वाला।

अर्थव्यवस्था की बेकार नीतियों से जब महंगाई बढ़ती है तो इसका यही सबसे बुरा परिणाम होता है कि महंगाई बढ़ने पर भी आम आदमी पर मार बढ़ती है और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया के जरिये महंगाई नियंत्रित करने पर भी आम आदमी को बोझ सहना पड़ता है। अब आप पूछेंगे कि अर्थव्यवस्था के लिए अपनाई गयी गलत नीतियों का मतलब क्या है? इस पर पत्रकार सोमेश झा की लंबी रिपोर्ट बताती है कि कैसे महंगाई बढ़ती जा रही थी लेकिन आरबीआई रेपो रेट नहीं बढ़ा रहा था? कम रेपो रेट रखकर पूंजीपतियों और सरकार को कम ब्याज दर पर क़र्ज़ मिलने का माहौल बना रहा था। कैसे रेपो रेट को लेकर खींचतान इतनी बड़ी कि आरबीआई के दो गवर्नर रघुराम राजन और उर्जित पटेल को इस्तीफ़ा देना पड़ा?

RBI
repo rate
Policy Rate
Shaktikanta Das
Loan
EMI
Interest Rate
RBI Interest Rate

Related Stories

आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!

महंगाई 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर, लगातार तीसरे महीने पार हुई RBI की ऊपरी सीमा

रिपोर्टर्स कलेक्टिव का खुलासा: कैसे उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए RBI के काम में हस्तक्षेप करती रही सरकार, बढ़ती गई महंगाई 

आज़ादी के बाद पहली बार RBI पर लगा दूसरे देशों को फायदा पहुंचाने का आरोप: रिपोर्टर्स कलेक्टिव

ईपीएफओ ब्याज दर 4-दशक के सबसे निचले स्तर पर, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आम हड़ताल से पहले खोला मोर्चा 

महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए

RBI कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे: अर्थव्यवस्था से टूटता उपभोक्ताओं का भरोसा

अमरीका की महँगाई का भारत पर हो सकता है बुरा असर

नोटबंदी: पांच साल में इस 'मास्टर स्ट्रोक’ ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया

तबाही मचाने वाली नोटबंदी के पांच साल बाद भी परेशान है जनता


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License