NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
आर्थिक तंगी और बढ़ती बेरोज़गारी आत्महत्या के सबसे बड़े कारण!
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर न्यूज़क्लिक ने कोशिश की लोगों से उनके मानसिक दबाव के कारण जानने की। बातचीत में पता लगा कि आज लोगों में मानसिक दबाव का कारण उनकी रोजगार की गांरटी न होना, कर्ज़ का बढ़ता बोझ और सुस्त अर्थव्यवस्था में हजारों नौकरियां जाना है।
सोनिया यादव
10 Sep 2019
suicide
Image courtesy:Satyodaya

31जुलाई 2019 को एक चौंकाने वाली ख़बर सामने आई। कर्नाटक के हुइगेबाज़ार के नदी तट पर बेंगलुरु की रिटेल श्रृंखला कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ का शव बरामद हुआ। आशंका जताई गई कि उन्होंने खुदकुशी की है।

10 सितंबर यानी आज जब पूरी दुनिया में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जा रहा है। तब ऐसे समय में आत्महत्या के पीछे के कारणों को समझना बहेद जरूरी हो जाता है। आखिर क्या वजह थी की सिद्धार्थ जैसे बड़े कारोबारी को ये कदम उठाने के लिए मज़बूर होना पड़ा। क्या इसका कारण सिद्धार्थ का आर्थिक संकट से जूझना था? इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 29 जुलाई को ग़ायब होने से पहले सिद्धार्थ ने 1600 करोड़ रुपये का क़र्ज़ लेने की कोशिश की थी। बताया जा रहा है कि CCD पर मार्च 2019 तक 6547.38 करोड़ रुपये का क़र्ज़ था।

वी सिद्धार्थ कोई पहला उदाहरण नहीं है। पिछले ही महीने दिल्ली से सटे हरियाणा के महानगर गुरुग्राम के न्यू पालम विहार इलाके में एक जानी-मानी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के सेल्स मैनेजर शिवा तिवारी ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।  आए दिन आर्थिक हालात, मंदी, बेरोज़गारी, क़र्ज़ और मानसिक दबाव के चलते कई लोग पहले अवसाद और फिर अपने ही हाथों मौत की भेंट चढ़ जाते हैं।

तंगहाली और क़र्ज़ के चलते किसानों की आत्महत्या की ख़बरें तो आप-हम रोज़ ही पढ़ते हैं।

sucide 4_0.PNG

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल करीब 8 लाख लोग खुदकुशी करते हैं। इस हिसाब से हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति अपनी जान देता है। WHO के मुताबिक भारत उन देशों में शामिल है जहां खुदकुशी की दर सबसे ज्यादा है। वैसे तो आत्महत्या की कोई विशेष उम्र नहीं है, लेकिन दुनियाभर में 15 से 29साल के लोगों के बीच आत्महत्या, मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। ये आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि नौजवान आत्महत्या की ओर अधिक बढ़ रहे हैं।

आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर न्यूज़क्लिक ने कोशिश की लोगों से उनके मानसिक दबाव के कारण जानने की। बातचीत में पता लगा कि आज लोगों में मानसिक दबाव का कारण उनकी रोजगार की गांरटी न होना, क़र्ज़ का बढ़ता बोझ और सुस्त अर्थव्यवस्था में हजारों नौकरियां जाना है।

बिहार से नौकरी करने दिल्ली आए अविनाश बताते हैं कि जब वे तीन साल पहले दिल्ली आए थे तो कई सपने भी अपने साथ लाए थे। आज मंदी की मार में उनकी नौकरी चली गई, ऐसे में इनके ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है। पिता ने लोन लेकर उन्हें इंजीनियरिंग कराई थी। ऐसे में वे अब लोन की किस्त कैसे भरेंगे ये सोचकर ही उनका दिल बैठ जाता है। अविनाश का कहना है कि उनके दिमाग में कई बार आत्महत्या का ख्याल भी आया, लेकिन वे अपने लाचार पिता की शक्ल याद कर रूक जाते हैं।

कुछ ही दिन पहले वाराणसी में एक पिता ने अपनी तीन बेटियों के साथ आर्थिक तंगी के चलते जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। ख़बरों के अनुसार वे कपड़ा उद्योग में आई मंदी का शिकार हुए थे साथ ही बैंक के बढ़ते क़र्ज़ से भी परेशान थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में गौर करने वाली दो मुख्य बाते हैं। एक, निम्न मध्यम आय वाले देशों में आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा है। ऐसे देशों में भारत भी है, जहां विकास प्रक्रिया जिस तरह चल रही है, वह लोगों को तनाव या अवसाद ग्रस्त बना रही है। बेरोजगारी से लेकर दैनिक जीवन के संकट गहरा रहे हैं।

जमशेदपुर टाटा नगर में काम करने वाले राकेश ने न्यू़ज़क्लिक से बातचीत में कहा कि वो एक ऐसी कंपनी में काम करते हैं जो टाटा मोटर्स के लिए मोटर पार्ट्स बनाती है। ऐसे में जब टाटा मोटर्स का काम धीमा पड़ गया तो हमारी कंंपनी ने कई लोगों को काम से निकाल दिया गया। जो लोग परिवार वाले हैं, उनके ऊपर तो समझो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा।

गुरुग्राम के एक फैक्ट्री में काम करने वाले मज़दूर श्यामलाल बताते हैं कि वे झारखंड से रोजी-रोटी की तलाश में यहां आए थे। अब अचानक काम रुकने से उनकी आमदनी रूक गई है। ऐसे में उनके सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। वे क्या करें, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा।
मोदी सरकार 2.O के शपथ ग्रहण लेने के तुरंत बाद देश में बेरोज़गारी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वो निश्चित ही चिंताजनक हैं। आधिकारिक आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि भारत में बेरोजगारी की दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर 6.10प्रतिशत पर पहुंच गई है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 वर्ष से कम उम्र की 65 फीसदी आबादी है। पिछले डेढ़ दशक में ढाई लाख से ज्यादा नौजवानों ने बेरोजगारी या नौकरियों से जुड़ी परेशानियों के कारण आत्महत्या कर ली है। ऐसे में ये आंकड़े कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2000 से 2015के बीच 1,54,751 बेरोजगारों ने मौत को गले लगा लिया, वहीं इस दौरान 2,59,849 छात्रों ने आत्महत्या की। इन दोनों आंकड़ों का औसत देखें, तो भारत में  छात्र-बेरोजगारों की स्थिति गंभीर है।

7 जनवरी 2018 को गृह मंत्रालय ने बीते 3वर्ष में छात्रों की आत्महत्या को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014-16 के बीच 26,476 छात्रों ने खुदकुशी कर ली। गृह मंत्रालय की यह रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश में हर घण्टे एक छात्र खुदकुशी कर रहा है।

खुदकुशी की रोकथाम के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन आसरा के रौशन बताते हैं कि आजकल की जीवनशैली में तनाव बहुत है। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो जाता है और किसी करीबी के साथ बात को साझा करने में भी लोग हिचकते हैं। वे आगे कहते हैं कि अगर आपको खुदकुशी के विचार आ रहे हैं तो आपको अपने सबसे करीबी इंसान से बात साझा करनी चाहिए या फिर हेल्पलाइन या प्रोफेशनल काउंसलर या मनोचिकित्सक से बात करनी चाहिए।

मनोवैज्ञानिक मनीला बताती हैं कि व्यक्ति में यदि सकारात्मकता का अभाव हो तो ऐसी स्थिति में आत्महत्या की सोच हावी हो जाती है। यदि परिवार में मनमुटाव होता रहता हो, या नौकरी या निजी जिंदगी में कुछ उलझन हो तो ऐसी स्थिति में आत्महत्या की भावना ज्यादा प्रबल हो जाती है। ऐसे में जरूरी होता है कि आप अपने अंदर की बातों को किसी से शेयर करें।

suicide 3_0.PNG

WHO  का मानना है कि आत्महत्या की प्रभावी रोकथाम और रणनीति के लिए निगरानी की आवश्यकता है। आत्महत्या के पैटर्न में अंतरराष्ट्रीय अंतर, आत्महत्या की दरों, विशेषताओं और तरीकों में बदलाव, प्रत्येक देश को उनके आत्महत्या संबंधी डेटा से ही कोई ठोस लक्ष्य तय हो सकता है। 2014 में प्रकाशित पहली WHO विश्व सुसाइड रिपोर्ट इसी मकसद से जारी की गई थी।

भारत में एक बड़ा आंकड़ा किसानों की आत्महत्या का भी है। कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि वर्ष 2016 के बाद किसानों की आत्महत्या की रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है। सदन में पेश किए गए आंकडों के अनुसार, वर्ष 2015 में किसानों की आत्महत्या के मामलों की संख्या 3,097और वर्ष 2014में 1,163थी।

आत्महत्या से मरने वालों की संख्या के ये आंकड़े बेशक डरावने हैं, लेकिन इस प्रवृत्ति को रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आत्महत्या के पीछे कारणों को सही से समझ कर उस दिशा में काम किया जाए। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने का मकसद ही आत्महत्या के विरुद्ध लोगों में जीवन के प्रति जागरुकता फैलाना है। इस साल की थीम 'आत्महत्या के रोकथाम के लिए साथ काम करना है'। जिंदगी बहुत प्यारी है, किसी भी हालात में इसे मौत को इस पर जीत मत हासिल करने दीजिए। अगर आपके आस-पास कोई जिंदगी से निराश होता नजर आ रहा है तो थोड़ा सा समय निकालें और उसके जीवन में फिर से आशा लाने का प्रयास करें।

economic crises
indian economy
Biggest causes of unemployment is suicide
World Suicide Prevention Day
CCD chief death
WHO
Purushottam Rupala
Peasant suicide

Related Stories

आंदोलन: 27 सितंबर का भारत-बंद ऐतिहासिक होगा, राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस ने दिखाई झलक

प्रतिदिन प्रति व्यक्ति महज़ ₹27 किसानों की कमाई का आंकड़ा सुनकर आपको कैसा लगता है?

इस संकट की घड़ी में लोगों की मदद करने के लिए सरकार को ख़र्च बढ़ाना चाहिए

किसान आंदोलन को सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन की स्पिरिट से प्रेरणा, परन्तु उसके नकारात्मक अनुभवों से सीख लेनी होगी

कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश में शुरू होना चाहिये न्यूनतम बुनियादी आय कार्यक्रम

टैंक रोड-करोल बाग़ : बाज़ारों की स्थिति ख़राब, करना होगा लम्बा इंतज़ार

लॉकडाउन त्रासदी; अतीत से समानताएं: क्यों हमें अपना सर शर्म से झुका लेना चाहिए

हरियाणा: निजी क्षेत्र की नौकरियों में 'लोकल' के लिए 75% कोटा

अगर बजट से ज़रूरी संख्या में रोज़गार निर्माण नहीं होता तो बजट का क्या मतलब है!

आर्थिक तंगी से परेशान किसान ने फांसी लगाई


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License