आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के पूर्व विश्लेषण के लिए न्यूज़क्लिक ने बिहार मामलों के राजनैतिक विश्लेषक अनिल मिश्रा से बात की. अनिल के अनुसार यह सिद्धांत की लड़ाई हैं जहाँ एक तरफ जद(यू) और राजद जैसी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक पार्टियाँ हैं वहीँ सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने वाली भाजपा. साथ ही यह चुनाव दोनों गठबन्धनों के लिए अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष भी है. एक तरफ चुनाव हारने पर जहाँ भाजपा के विजय अभियान को लगातार दूसरा झटका लग सकता है वहीँ दूसरी तरफ उभरते जनता दल के भविष्य पर सवालिया निशान भी. अनिल के अनुसार जहाँ तक नवउदारवादी नीतियों का सवाल है, दोनों दलों में फर्क करना मुश्किल होगा. हाल ही में संपन्न हुए विधान परिषद् के नतीजों पर अनिल का मानना है कि इसका विधान सभा चुनावों पर ख़ास प्रभाव नहीं होगा.
