NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदीजी, ये ज़मीन की नीलामी नहीं किसानों की लाशों का कारोबार है !
इन दो घटनाओं ने सरकार की कॉर्पोरेट पक्षधर तथा जनविरोधी चरित्र को स्पष्ट रूप से हमारे सामने रख दिया है।
संघर्ष संवाद
01 Mar 2017
मोदीजी, ये ज़मीन की नीलामी नहीं किसानों की लाशों का कारोबार है !

"बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार अबकी बार मोदी सरकार" के नारे के साथ 2014 में केंद्र में आ मोदी सरकार के नारों और वायदों का खोखलापन ढाई साल में खुलकर सामने आ चुका है। 2015 में करीब 3000 किसानों ने आत्महत्या की थी जो कि अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इन बीते ढाई सालों में 3200 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। नवंबर के महीन में जब पूरा देश नोटबंदी से त्रस्त था ठीक उसी समय बड़ी ही बेशर्मी के साथ सरकार ने 63 उद्योगपतियों का 7016 करोड़ रुपए का ऋण एक झटके में माफ कर दिया जबकि हमारे देश के किसान 2-3 लाख का लोन भी न चुका पाने की हालत में आत्महत्या कर ले रहे हैं।
 

इसी सिलसिले में सबसे हालिया खबर आई है राजस्थान के झुन्झुनू जिले के सौंथली गांव के दलित किसान नागर मल मेघवाल की जिन्होंने 21 फरवरी को खेती के लिए बैंक से लिये कर्ज को नहीं चुकाने की वजह से फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। नागर मल मेघवाल की लाश अभी दफन ही नहीं हुई कि कि 22 फरवरी को सुलतान हरिजन की खेती के लिये कर्ज की वजह से जमीन नीलम करने के लिये सीकर जिले की नीमकाथाना तहसील के गांवली गांव मे सरकारी अमला पहुंच चुका है।  नीलामी के भय से सुलतान गांव से पलायन कर गया है।

राजस्थान के झुंन्झुनु जिले की इन दो घटनाओं ने सरकार की कॉर्पोरेट पक्षधर तथा जनविरोधी चरित्र को स्पष्ट रूप से हमारे सामने रख दिया है। सरकार एक तरफ तो विजय माल्या जैसे भगोड़े उद्योगपतियों को कर्ज बिना किसी शर्त माफ कर रही है वहीं दूसरी तरफ पहले से ही तबाह कमजोर किसानों की जमीनों को नीलाम करने के लिए बकायदा सरकारी अमला पूरे लाव-लश्कर के साथ पहुंच रहा है।

Courtesy: संघर्ष संवाद
भाजपा
कॉर्पोरेट जगत
कॉर्पोरेट हित
जनता विरोधी भाजपा
किसान आत्महत्या

Related Stories

बड़ी फार्मा कंपनियों का असली चेहरा: अधिकतम आय, न्यूनतम ज़वाबदेही

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License