NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
संविधान और जन अधिकारों पर हमलों  के ख़िलाफ़ एआईपीएफ का जन कन्वेन्शन
मौजूदा संगीन हालात ने लोकतंत्र पसंद ताक़तों को काफ़ी बेचैन कर दिया है। अंध उन्मादी मानस तैयार कर देश के संघीय–लोकतांत्रिक ताने बाने पर निरंतर किए जा रहे हमले सबकी चिंता–विमर्श का केंद्रीय मुद्दा बन गए हैं। इसी संदर्भ में 17-18 अगस्त को छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर स्थित तीर्थराज सभागार में ऑल इंडिया पीपल्स फ़ोरम आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक की गयी। साथ ही 18 अगस्त को राष्ट्रीय जन कन्वेन्शन किया गया। 
अनिल अंशुमन
22 Aug 2019
indian constitution

"बदलते भारत में संविधान और जन अधिकारों पर हमला: हमारा हस्तक्षेप और विकल्प” पर केन्द्रित इस जन कन्वेंशन में फ़ोरम के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों के अलावे छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता–बुद्धिजीवी , मीडियाकर्मी, सामाजिक जन संगठनों और नागरिक समाज प्रतिनिधियों के अलावे भिलाई स्टील के मजदूर यूनियनों के नेता–मज़दूर इत्यादी भी शामिल हुए। 

कन्वेन्शन को संबोधित करते हुए फ़ोरम केंद्रीय सचलन कमेटी की कविता कृष्णन ने मौजूदा हालात को देखनेसोचने में सतर्क रहने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, "सरकार ‘दुश्मन का जलता घर‘ दिखाने का भ्रम फैलाकर आपसे तालियाँ बजवा रही है और हक़ीक़त में आपका ही घर जला रही है।" कश्मीर गयी जांच–टीम के सदस्य के बतौर वहाँ की वर्तमान भयावह स्थितियों की जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार से वहाँ के लोगों को बदमाश साबित करके धारा 370 समेत तमाम संवैधानिक प्रावधानों को खत्म कर दिया गया।

उन्होंने आगे कहा, "केंद्र की सरकार कश्मीर मुद्दे पर तालियाँ तो बजवा रही है , लेकिन वहाँ के लोग पूछ रहें हैं कि उन्हें क़ैद में क्यों रखा जा रहा है? वहाँ सेना क्यों है? तमाम संचार माध्यम को ठप्प कर उन्हें पूरी दुनिया से काट दिया गया है? उनके बच्चों को उठाकर थानों में रख दिया गया है? सरकार देश लूटने वालों को दोस्त बता रही है और एनआरसी के बहाने मुसलमानों की नागरिकता पर सवाल खड़े कर उन्हें दुश्मन बताकर नफ़रत–उन्माद फैला रही है।

हमें सतर्क होने की ज़रूरत है क्योंकि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने परिवार नियोजन के बहाने देशभक्ति की एक नयी परिभाषा दी है। जिसमें अगर देश से प्यार है तो परिवार छोटा रखने के बहाने देश के मुसलमानों को टारगेट किया है। यानी देश के अमीरों के परिवार बड़े रहें और गरीब अपना परिवार छोटा रखें। दिनरात टेलीविज़न से इनके नेताओं द्वारा परोसी जा रही नफरत से भी हमें सतर्क रहना होगा। कश्मीर को लेकर संसद तक में कब्जा करनेवालों और लुटेरों की भाषा खुद गृहमंत्री बोल रहें हैं कि – मैं जो कहूँगा वह सुनना होगा।"

कविता कृष्णन ने आगाह करते हुए कहा कि कश्मीर की भांति कल को छत्तीसगढ़–झारखंड जैसे सामाजिक विशिष्टता वाले राज्यों को भी ख़त्म करने की दिशा में यह सरकार बढ़ रही है। साथ ही आनेवाले समयों में एसटी–एससी के विशेषाधिकारों को भी समाप्त करने की साजिशें हो रहीं हैं। ऐसे में एकजुट प्रतिरोध संघर्ष ही हमारी ताक़त बरकरार रख सकता है।        

दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार–सामाजिक कार्यकर्त्ता जॉन दयाल ने कहा, "देश के संविधान ने जो नागरिक अधिकारों का अश्वाशन हमें दिये हैं, कश्मीर मामले ने दिखला दिया है कि किस तरह वह टूटा है। देश के अल्पसंख्यकों को शिक्षा प्रसार का आश्वासन मिला था लेकिन संविधान को ताख पर रखकर उसे भी तोड़ दिया गया और जय श्रीराम का सांप्रदायिक विभाजन कर दिया गया है। नयी शिक्षा नीति लाकर पूरी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया है। एनआरसी के नाम पर परिवारों तक को तोड़कर जेलों में डाला जा रहा है और सारे अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बोलकर उन्हें अपने ही देश में दुश्मन बताया जा रहा है।" 

जाने माने आंदोलनकारी व फ़ोरम के राष्ट्रीय नेता सुनीलम ने फ़ोरम की बैठक में लिए गए आंदोलन के प्रस्तावों की जानकारी देते हुए कहा, "यह प्रचंड बहुमत की नहीं बल्कि ईवीएम की सरकार है। जो अब पूरे सुनियोजित ढंग से देश के संविधान–लोकतंत्र को खत्म करने पर तुली हुई है। काश्मीर का जो हाल किया है अब वही हाल बस्तर–छत्तीसगढ़ इत्यादि इलाकों का भी करेगी। ऐसे में राजनीतिक दलों के भरोसे रहने की बजाय देश जनता को ख़ुद एक नए विकल्प की तैयारी करनी होगी। जिसके लिए गाँव गांव जाकर लोगों को तैयार तैयार करना होगा और हम में से हर एक को कुछ न कुछ अपनी तय करनी होगी।"

ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रतिराज ने कहा, "मोदी जी का फ़ास्ट ट्रैक विकास केवल मंदी और विनाश ला रहा है। इनके नेताओं की ओछी मानसिकता कश्मीरी बच्चियों को लेकर दिये जा रहे घृणित बयानों में दिखता है और मोदी 15 अगस्त को लाल किले से महिला सा सशक्तिकरण कि बात करते हैं।"

सामाजिक कार्यकर्त्ता बेला भाटिया ने केंद्र की सरकार पर लोकतन्त्र को ख़त्म कर मिलिट्राइज़ेशन राज थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां-जहां राष्ट्रीयताओं का आंदोलन चल रहा है उसे देश विरोधी क़रार देकर कुचला जा रहा है। बस्तर में अर्ध सैन्य बलों की दमनकारी स्थितियों को सामने लाते हुए उनकी कानून सम्मत जवाबदेही तय करने की भी बात कही।

भिलाई हिंदुस्तान स्टील इंपलाइज़ यूनियन (सीटू) के मज़दूर नेता डीबीएस रेड्डी ने कहा, "ऐसे अजीबो ग़रीब और डरावने हालत पैदा किए जा रहें हैं जिसमें संसद तक की भाषा बादल गयी है। गृहमंत्री सदन में दादागिरी के अंदाज़ में बात करते हैं। लोगों का ध्यान इस पर नहीं जाये इसके लिए तरह तरह से भटकाया जा रहा है। ऐसे में वाम जनवादी व लोकतन्त्र पसंद ताक़तों को छोडकर कोई भरोसेमंद विकल्प नहीं हो सकता।"

जन कन्वेन्शन को छत्तीसगढ़ नागरिक सहयोग समिति के अखिलेश एडगर , छत्तीगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के आई के वर्मा, हिन्द मज़दूर सभा के वज़ी अहमद तथा आम आदमी पार्टी की अर्शिया आलम समेत कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कन्वेन्शन का संचालन फ़ोरम की छत्तीसगढ़ इकाई के बृजेन्द्र तिवारी ने किया। जन संस्कृति मंच के कलाकारों ने जोशीले जनगीत प्रस्तुत किए। 

कन्वेन्शन में 17–18 अगस्त को सम्पन्न फ़ोरम राष्ट्रीय परिषद की बैठक में तय किए गए विभिन्न आंदोलनात्मक कार्यक्रमों को प्रभावी बनाते हुए आगामी 2 अक्तूबर को “गांधी जी को जानो” कार्यक्रम को पूरे देश में ज़ोर शोर से आयोजित करने का आह्वान किया गया।

Constitution of India
public right
AIPF
democracy
Aisi Taisi Democracy
Chattisgarh
ALL INDIA PEOPLE'S FORUM

Related Stories

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

Press Freedom Index में 150वें नंबर पर भारत,अब तक का सबसे निचला स्तर

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

ढहता लोकतंत्र : राजनीति का अपराधीकरण, लोकतंत्र में दाग़ियों को आरक्षण!

लोकतंत्र और परिवारवाद का रिश्ता बेहद जटिल है

किधर जाएगा भारत— फ़ासीवाद या लोकतंत्र : रोज़गार-संकट से जूझते युवाओं की भूमिका अहम

न्यायिक हस्तक्षेप से रुड़की में धर्म संसद रद्द और जिग्नेश मेवानी पर केस दर केस

यह लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन का अमृतकाल है


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License