NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पड़ताल: पंजाब में गहराता बिजली संकट और चुनावी वायदे
बिजली संकट ने खेती व् औद्योगिक क्षेत्र को गहरी चोट दी है। लोग अकाली दल द्वारा उनके राज में प्राइवेट कंपनियों के साथ किये गये बिजली समझौतों की आलोचना कर रहे हैं साथ ही कप्तान अमरिंदर सरकार की भी आलोचना हो रही है कि उसने बिजली की मांग की पूर्ति क्यों नहीं की।
शिव इंदर सिंह
13 Jul 2021
पड़ताल: पंजाब में गहराता बिजली संकट और चुनावी वायदे
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: Tribune  India

पंजाब विधानसभा चुनाव में लगभग सात महीने का समय रह गया है। वहीं राज्य की तीनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने लोक-लुभावने वायदे करने शुरू कर दिए हैं। इन वायदों में से एक वायदा है 200 से 300 यूनिट घरेलू बिजली मुफ़्त देना और घरों व खेतों में 24 घंटे बिजली सप्लाई देना। लेकिन ये वायदे हकीकत से बहुत दूर हैं। इस समय पंजाब गहरे बिजली संकट का सामना कर रहा है।

प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत वेदांता कंपनी की ओर से मानसा शहर के पास बणावाला गांव में लगाए गए उत्तरी भारत के सबसे बड़े तापघर, जिसके तीन यूनिटों की कुल समर्थता 1980 मेगावाट है, के तीनों ही यूनिट तकनीकी कारणों के चलते बंद पड़े हैं। ज़िला रोपड़ के गुरु गोबिंद सिंह सुपर थरमल प्लांट की एक यूनिट में भी खराबी आ गई है। पंजाब में बिजली के लम्बे कट लगने शुरू हो गए हैं। इन बिजली कटों के विरोध में किसान और आम जनता सडकों पर आ गई है।

लोग अकाली दल द्वारा उनके राज में प्राइवेट कंपनियों के साथ किये गये बिजली समझौतों की आलोचना कर रहे हैं साथ ही कप्तान अमरिंदर सरकार की भी आलोचना हो रही है कि उसने बिजली की मांग की पूर्ति क्यों नहीं की। बिजली संकट ने खेती व् औद्योगिक क्षेत्र को गहरी चोट दी है। धान की रोपाई शुरू होने से लेकर अब एक महीना पूरा हो चुका है पर सरकार खेती के लिए आवंटित बिजली नहीं दे सकी। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि खेती सेक्टर को आठ घंटे बिजली सप्लाई दी जा रही है। पर हकीकत इसके उलट है। पॉवरकॉम के अपने सरकारी तथ्य हैं कि पंजाब में खेती सेक्टर को 8 जुलाई को 7.12 घंटे व सरहदी क्षेत्र में खेती को 7.30 घंटे बिजली सप्लाई दी है। हकीकत में इससे भी कम बिजली सप्लाई दी गई है। राज्य में करीब 14.5 लाख खेती ट्यूबवेल कनेक्शन हैं व 6000 खेती फीडर हैं।

पॉवरकॉम के तथ्य ही सरकारी दावे का मजाक उड़ा रहे हैं। किसान संगठनों द्वारा बिजली सप्लाई पर सवाल उठाये जा रहे हैं। सरकार बेशक दावा कर रही है कि अब पंजाब में बिजली कट नहीं लगाये जा रहे लेकिन पॉवरकॉम के सरकारी आंकड़ों अनुसार पंजाब में पिछले दिनों में शहरी पैटर्न वाली ग्रामीण सप्लाई पर 4.52 घंटे, ग्रामीण सप्लाई पर 6.16 घंटे, शहरी/ औद्योगिक क्षेत्र पर 2.51घंटे और कंडी क्षेत्र में 5 घंटे बिजली कट लगाए गए हैं। पिछले साल इन दिनों कोई बिजली कट नहीं था। किसान नेता राजिंदर सिंह कहते हैं कि आवश्यकता तो इस बात की थी कि कृषि कानूनों की मार को देखते हुए पंजाब सरकार खेती सेक्टर को बिना किसी बाधा के 8 घंटे की बजाय दस घंटे बिजली सप्लाई देती, लेकिन सरकार गलत तथ्य पेश करके किसानों को मूर्ख बना रही है।

बीकेयू (उगराहां) के नेता शिंगारा सिंह मान कहते हैं, “पंजाब सरकार को खेतों में अपनी टीम भेजनी चाहिए ताकि सच पता लग सके”।

राज्य में बिजली कट लगने के कारण व बड़े उद्योगों को बंद रखने के कारण बिजली की मांग करीब 11,690 मेगावाट के आस-पास है जिसमें से 7700 मेगावाट बिजली बाहर से ली जा रही है। पॉवरकॉम की तरफ से यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि बाहर से बिजली 12.49 रुपये प्रति यूनिट खरीदी गई है लेकिन जानकार बताते हैं कि यह आधा सच है क्योंकि यह पीक टाइम (शाम का टाइम) का स्लॉट रेट है जबकि दिन का औसतन रेट (आरटीसी) 5.09 रुपये प्रति यूनिट है।

किसान नेता कहते हैं की यदि बिजली मंत्री आवश्यक प्रबंधों की पूर्व योजना बनाते तो यह नौबत नहीं आती। आंकड़ों के अनुसार इस बार भाखड़ा डैम से 125 मेगावाट बिजली कम मिल रही है जबकि गुजरात के प्राइवेट थर्मल ने पॉवरकॉम पर 200 मेगावाट की कटौती कर दी है।

एक अनुमान अनुसार गर्मी के इन महीनों में पंजाब की बिजली की मांग लगभग 14,500 मेगावाट तक पहुँच सकती है। पंजाब की अपनी खुद की बिजली लगभग 5700 मेगावाट है। राज्य के पण-बिजली परियोजनाओं से 1015 मेगावाट बिजली उत्पादन होता है, पर इस बार डैमों में पानी की कमी के कारण 894 मेगावाट ही मिल पा रही है। सरकारी थर्मलों से 1558 मेगावाट, राजपुरा थर्मल प्लांट से 1339 मेगावाट बिजली मिलती है। बणावाला के 1980 मेगावाट समर्थता वाले थर्मल प्लांट से करीब 1228 मेगावाट बिजली मिल रही है। बाकी बिजली बाहर से खरीदनी पड़ रही है। कुछ समय पहले वित्तमंत्री मनप्रीत बादल एवं तीन मंत्रियों की बनी कैबिनेट सब-कमेटी की सिफारिश तहत बठिंडा व रोपड़ थर्मल के 880 यूनिट उत्पादन बंद कर दिए गए और इसका कोई विकल्प सोचा नहीं गया। कुल मिलाकर 1700 मेगावाट बिजली के लगभग मांग की पूर्ति नहीं हो रही जिस करके बिजली कटों का सामना करना पड़ रहा है।

पंजाब में हर साल बिजली की मांग में लगभग 1000 मेगावाट की बढोतरी होती है। पंजाब स्टेट पॉवर कारपोरेशन (पॉवरकॉम), पंजाब स्टेट ट्रांसमिशन कारपोरेशन (ट्रांस्को) और पंजाब सरकार को मिलकर बिजली का प्रबंध करना होता है। साल 2018-2019 में बिजली की मांग 13,633 मेगावाट तक चली गई थी। साल 2019-20 और 2020-2021 दौरान कोरोना के कारण लॉकडाउन के चलते उद्योग व अन्य कारोबारी संस्थान बंद रहने के कारण मांग ज्यादा नहीं बढ़ी। पर सरकार ने इस साल भी कोई तैयारी नहीं की जिस कारण 1300मेगावाट की मांग भी पूरी नहीं हो सकी। पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा निजी कंपनियों के साथ किये बिजली समझौतों में कोई ऐसी शर्त नहीं रखी गई कि गर्मी दौरान थर्मल जरुर चालू रहें वरना हर्जाना भरना पड़ेगा।

पंजाब के बिजली संकट की गहराई से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार हमीर सिंह का कहना है, “पंजाब के बिजली संकट के लिए पिछली अकाली-भाजपा सरकार व मौजूदा कैप्टन सरकार जिम्मेदार हैं। इस संकट के फौरी हल के लिए ट्रांसको व पॉवरकॉम के रेगुलर चेयरमैन की फौरी नियुक्ति जरूरी है। सरकार द्वारा तकनीकी विशेषज्ञों की कोई सलाह नहीं ली। प्राइवेट थर्मल कंपनियों के साथ हुए समझौतों में आवश्यकता अनुसार बिजली न देने पर जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है। कैप्टन सरकार तो सत्ता में यह वायदा करके आई थी कि वह निजी कंपनियों से सभी समझौते रद्द करेगी। बिजली खरीदने के लिए पैसे की जरूरत है और पंजाब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। राज्य सरकार को गंभीरता से इस बारे ठोस नीति बनाने की जरूरत है।”

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Punjab power crisis
Amarinder Singh
Free Power
industrial shutdown Punjab
electricity shortage
electricity for farms

Related Stories

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

बिजली संकट: पूरे देश में कोयला की कमी, छोटे दुकानदारों और कारीगरों के काम पर असर

सरकार का दो तरफ़ा खेल... ‘’कोयले की कमी भी नहीं विदेशों से आयात भी करना है’’

पंजाब ने त्रिशंकु फैसला क्यों नहीं दिया

पंजाब चुनाव : पुलवामा के बाद भारत-पाक व्यापार के ठप हो जाने के संकट से जूझ रहे सीमावर्ती शहर  

देश के कई राज्यों में कोयले का संकट, मध्यप्रदेश के चार पॉवर प्लांट में कोयले की भारी कमी

पंजाब में हर किसी को दलित मुख्यमंत्री पसंद क्यों हैं

भाईचारिक सांझ का प्रतीक पंजाब का ज़िला मालेरकोटला

पंजाब में पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट, 18 लोगों की मौत


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License