न्यूज़क्लिक ने मृत्युदंड के प्रावधान और याकूब मेमन की फांसी पर मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा से बात की. गौतम के अनुसार मृत्युदंड, जीने के अधिकार के प्रावधान का विरोधाभासी है और यह मौलिक अधिकारों का उन्लंघन है. नवलखा ने बताया कि हमारे सामने यह साक्ष्य मौजूद हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि जिन देशों में मृत्युदंड हटाया गया है वहाँ हिंसक वारदातों में गिरावट आई है. जो यह सिद्ध करता है कि मृत्युदंड अपराध रोकने का जरिया नहीं हो सकता. याकूब मेमन की फांसी पर गौतम ने कहा कि याकूब की सज़ा कम करने के मज़बूत हालात थे और जब एक तरफ राजीव गाँधी एवं बेयंत सिंह के हत्यारों को फांसी नहीं दी गई तो याकूब मेमन को भी माफ़ किया जा सकता था. गौतम के अनुसार यह न्यायपालिका में बहुमत समुदाय के लिए किए जा रहे पक्षपात को उजागर करता है.
